Cooking Habits: एक तरह का रचनात्मक काम है यह
क्या आप अकेले हैं? क्या आप घर से दूर नौकरी के चलते अकेले रह रहे हैं, अगर ऐसा है और बातचीत में हर चैथे वाक्य के बाद आप अकेले होने के नाम पर खाने की समस्या का रोना रोते हैं तो निश्चित रूप से आप बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। अकेले रहना किसी भी तरह से समस्या या अभिशाप नहीं होता। जहां तक खाने पीने की बात है तो इस मामले में भी अकेले रहने का कोई नुकसान नहीं है।
बशर्ते आपमें खानपान को लेकर थोड़ी रुचि और थोड़ा एक्सपेरिमेंट का भाव होना चाहिए। लेकिन अगर आप बात करेंगे तो अकेला रहने वाला हर तीसरा आदमी और पांचवीं महिला यह कहती मिलेगी कि अरे अकेले होने पर खाना कहां बना पाते हैं, जबकि होना इसके उल्टा चाहिए। हिंदी के महान साहित्यकार अज्ञेय खाना बनाने को आनंद का समय कहा करते थे। उनके मुताबिक खाना बनाने में जिसे आनंद नहीं आता, इसका मतलब उसमें भावनाओं यानी जज्बातों की कमी है, वह क्रिएटिव नहीं है। यह अकेले अज्ञेय का ही मानना नहीं था बल्कि दुनिया के बहुत सारे सोचने, विचारने वाले रचनात्मक लोग मानते हैं कि खाना बनाना भी एक तरह का रचनात्मक काम है।
बहरहाल बिना भटकाव के हम इस पर बात करेंगे कि अगर आप अकेले हैं तो किस तरह खाना बनाने को अपना इंज्वॉय टाइम बना सकते हैं और कैसे इससे भरपूर आनंद ले सकते हैं। जाहिर अगर आपको खाना बनाने में आनंद आयेगा तो इसका मतलब है कि आप खाना अच्छा बनाएंगेध्बनाएंगी। लेकिन सवाल है इसकी शुरुआत कहां से करें? अगर आप खाना न बना पाने वाले लोगों की दलीलें सुनें तो वह आम तौरपर यही कहते मिलेंगे टाइम नहीं है। लेकिन हम सब जानते हैं कि अगर हम व्हाइट कालर जाब में है यानी लिखने पढ़ने का काम करते हैं तो 8 घंटे काम करने के बाद मानसिक थकान हो जाती है।
फास्ट फूड पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा
अगर हम खाना बनाने की आदत डाल लें तो उसके दो फायदे होंगे, एक तो हमें ज्यादातर समय फास्ट फूड यानी मैगी जैसे नाश्तों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और दूसरी बात 8 घंटे काम करते हुए जब मानसिक थकान होती है, वह सारी थकान लजीज कड़ाई पनीर या दाल तड़का बनाते हुए निकल जायेगी। इन दिनों तो खाना बनाना और भी मजेदार है।
पहले तो चलो यह बात समझ में आती थी कि अगर हमने शुरु से यानी घर में मां के साथ खाना बनाने आदि पर रूचि नहीं लिया या हम ऐसे पृष्ठभूमि से आते हैं, जहां खाना बनाना पुरुषों का काम नहीं समझा जाता है। लेकिन आजकल तो यह सब ट्रेनिंग या सीखने की जरूरत नहीं है। क्योंकि आज की तारीख में यू-ट्यूब में दुनिया की कोई ऐसी डिश नहीं है, जिसके बनाने की हजारों विधियां उपलब्ध न हों। दो चार को देखिए जो आपको सबसे आसान लगे या लगे कि ऐसा खाना बनेगा तो पसंद आयेगा, वैसे ही शुरू करिये ज्यादा से ज्यादा एक बार या दो बार कम अच्छा बनेगा बाकी एक बार के बाद आप खुद ही समझ जाएंगे क्या कमी रह गई ? मतलब यह कि खाना बनाना आपके हाथ में है।
दिमाग नियमित काम से अलग होता है
खाना बनाना सीखने की कोई बाधा नहीं है। जो लोग अकेले रहते हुए महिलाएं हों या पुरुष, खाना न बनाने के लिए थकान का बहाना बनाती हैं, उन्हें भी इस बात पर गौर करना चाहिए कि खाना बनाने से थकान कम होती है। क्योंकि खाना बनाते समय हमें उसमें रूचि लेने पर दिमाग नियमित काम से अलग होता है और नियमित काम के चलते हम जो थकान महसूस करते हैं, उस थकान से हम उबरते हैं इसलिए थकान का बहाना बनाना बेमतलब है। दरअसल हमें एक बात हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि न तो वक्त आड़े आता है, न थकान जैसी बाधाएं आड़े आती हैं।
स्वस्थ और हाईजीन फूड मिलता है
खाना बनाने में दो बातें आड़े आती हैं, पुरुषों के लिए पुरुषोचित्त मनोविज्ञान की, खाना बनाना उनका काम नहीं है और महिलाओं के लिए यह बात आड़े आती है कि जब मैं इतना अच्छा कमाती हूं। कैरियरिस्टिक महिला हूं तो बहनजी की तरह रसोई क्यों संभालूं? ये दोनों बातें न सिर्फ हमारी कम समझ का प्रतीक हैं बल्कि हमारे दकियानूस होने का भी सबूत हैं। क्योंकि हम यह भूल जाते हैं कि खाना बनाने का रिश्ता इंसान की कमतरी से नहीं है, खाना बनाना कम मर्द होना नहीं है। खाना बनाने से मर्दानगी कम नहीं हो जाती। न ही आपका ओहदा कम हो जाता है।
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खाना बनाना वास्तव में एक ऐसी गतिविधि है,जिसका न तो किसी तरह की सामाजिक प्रभाव से लेना देना है, न किसी तरह की ऊंच नीच की भावना से लेना देना है। खाना बनाना वास्तव में हमारे लिए हर तरह से फायदेमंद गतिविधि है। हम खाना बनाकर अपने स्वास्थ्य के प्रति जिम्मेदारी भरा बरताव करते हैं, क्योंकि जब हम खाना बनाते हैं तो हमें स्वस्थ और हाईजीन फूड मिलता है। जब हम खाना नहीं बनाते तब हम चाहे कितने सजग हों, लेकिन हमारी मजबूरी हो जाती है कि हम बार बार फास्ट फूड खाएं। दरअसल बाजार से खरीदकर खाते समय खाना दिमाग को चुभता है, क्योंकि यह महंगा होता है और दिल को भी नहीं अच्छा लगता क्योंकि इससे स्वास्थ्य की समस्या रहती है।
आज से ही शुरू करिये
खाना बनाना एक आनंददायक और फायदेमंद गतिविधि है। खाना बनाने से हम अपने प्रति जिम्मेदार साबित होते हैं। खाना बनाने से हम फूड के बारे में गहराई से जानते हैं, उसके प्रति संवेदनशील होते हैं, उसमें तरह से तरह से प्रयोग करके उसे ज्यादा स्वादिष्ट बना लेते हैं और इस तरह के कई दूसरे फायदे होते हैं। इसलिए खाना बनाने के नाम पर दर्जनों बहाने छोड़िये आप किसी और के लिए नहीं अपने लिए खाना बना रहे हैं, जो आपके लिए स्वास्थ्यवर्धक होगा, स्वादिष्ट होगा और संतोषदायक और संतुष्टदायक होगा। तो देर किस बात की है आज से ही शुरू करिये…।
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