Dance For Health: परफोर्मिंग आर्ट का नाभि बिंदु है नृत्य
Dance For Health: नृत्य अपने आपमें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। इसलिए इसका महत्व सिर्फ इस लिहाज से भी बहुत ज्यादा होता है। हालांकि नृत्य की अपनी एक सामाजिक दुनिया भी है और वह कम प्रभावशाली या कम महत्व की नहीं है। लेकिन ज्यादातर आम लोगों के लिए नृत्य के सर्वाधिक फायदे शारीरिक और मानसिक ही होते हैं।
यह अलग बात है कि आज के दौर में नृत्य एक बड़ा कारोबार और कई रचनात्मक कलाओं का केंद्र है। जितने भी परफोर्मिंग आर्ट हैं, नृत्य उन सबका नाभि बिंदु है। लेकिन नृत्य के ये संदर्भ उन कुछ रचनात्मक लोगों से ही हैं, जो नृत्य के लिए समर्पित हैं और नृत्य की लय को जीवन की लय मानते हैं। आम लोगों के लिए नृत्य शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का खजाना है। अमेरिकन कॉलेज ऑफ कोडियोलॉजी, जो कि एक गैरलाभकारी चिकित्सा संस्था है, उसके मुताबिक डांस यानी नृत्य गंभीर हृदय रोगी को भी जीवनदान दे सकता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि डांस सामान्य जीवन की कितनी सकारात्मक गतिविधि है। समाजशास्त्रियों से लेकर मनोचिकित्सकों तक और हृदय रोग विशेषज्ञों से लेकर सामान्य लोगों तक का मानना है कि नृत्य हमारे फिट रहने का सबसे आसान और सरस तरीका है।

70 से 80 फीसदी तक हृदय स्वस्थ
अमेरिकी हृदय स्वास्थ्य विशेशज्ञ नृत्य को मांसपेशियों की ताकत, भावनात्मक सहन शक्ति और फिटनेस की अपार संभावनाओं वाला केंद्र मानते हैं। मेडिकल निश्कर्शों के मुताबिक डांस करने से 70 से 80 फीसदी तक हृदय बिना और कुछ किए स्वस्थ रहता है। डांस करने से दो दर्जन लाइफस्टाइल बीमारियां जैसे चिंता, डिप्रेशन, हाईपरटेंशन और एंजाइटी आपके पास नहीं फटकतीं।
डांस करने से आत्मविश्वास में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी होती है। यह आपकी संज्ञानात्मक मेधा में वृद्धि करता है। डांस करने से शरीर में एक लयात्मकता आती है और भरपूर लचीलापन न सिर्फ शारिरिक अंगों मे बल्कि स्वभाव और संवेदना में भी दिखता है। डांस हमेशा आपके नये दोस्त बनाता है और आपके अंदर रचनात्मकता, आत्म अनुशासन और सहयोगात्मक रूप से काम करने की क्षमता विकसित करता है। यह तो कहने की बात ही नहीं है कि डांस आपके भीतर सौंदर्यबोध को पैदा करता है। वैसे भी कहते हैं कि डांसर की आंखें दुनिया का सृजन देखती हैं।
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रचनात्मक कलाओं में रूचि
अमेरिका में हुए एक शोध के मुताबिक प्रतिदिन एक घंटे डांस करने वाले लोग बहुत मुश्किल से किसी आपराधिक घटना में शामिल पाये जाते हैं। नियमित डांस करने वाले लोगों के दिल दिमाग में ऐसे हार्मोन पैदा ही नहीं होते, जो उन्हें किसी भी तरह की आक्रामकता या अपराध की तरफ उन्मुख करें। डांस में इस तरह की सकारात्मक और संवेदना होती है। हर डांस करने वाला व्यक्ति करीब करीब सभी रचनात्मक कलाओं में रूचि लेता है।
क्योंकि डांस उसके मन की कंडीशन और ‘स्टेट ऑफ माइंड’ यानी मनःस्थिति को संवदेना से भर देता है। इसलिए कहते हैं डांस करने वाले के दिमाग में कार्टीसोल का स्तर बेहद कम होता है और ऑक्सीटोसिन का स्तर बढ़ता है यानी फीलगुड हार्मोन पैदा होते हैं। इसलिए इंसान की धरती में सबसे खूबसूरत गतिविधि को डांस कहते हैं।

ऑस्टियोपोरेसिस का खतरा नहीं रहता
रेगुलर डांस करने वाले लोगों का शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य तो बेहतर होता ही है, उन्हें कभी ऑस्टियोपोरेसिस का खतरा नहीं रहता। कहते हैं डांस जानने वालों को संगीत की जानकारी स्वतः ही हो जाती है। क्योंकि डांस करने वालों का शरीर ही नहीं, मन भी लय में रहता है और लय संगीत के साथ सहजता से आत्मसात हो जाता है। दुनिया में डांस के अलावा दूसरी ऐसी कोई सक्रिय गतिविधि नहीं है, जिसमें तन और मन एक लय में रहें। इससे दिल और फेफड़ों की स्थिति बेहतर रहती है। कभी आपका वजन नहीं बढ़ता और डांस सीखने से बाकी सारी कलाएं अपने आप आपके नजदीक आ जाती हैं।
दुनिया में यूं तो इंसान के अंदर चेतना विकसित होने के साथ ही, उसमें डांस जैसी गतिविधि की खोज कर ली थी। लेकिन नृत्य की शास्त्रीयता की खोज सबसे पहले भारत में ही हुई है। इसलिए भारत में नृत्यों की अपनी एक क्लासिक पंरपरा है जैसा दुनिया में और कहीं नहीं है। भारत अकेला वह देश है जहां नृत्य शारीरिक गतिविधि नहीं बल्कि आध्यात्मिक मनोयोग है, इसलिए नृत्य को महायोग भी कहा गया है।
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