Dementia Disease: देश में 12% मौतें अल्जाइमर्स-डिमेंशिया के कारण
दुनियाभर में चीजों को भूलने यानी याद्दाश्त घटने की बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं। वैज्ञानिक भाषा में इसे डिमेंशिया कहते हैं। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2050 तक दुनियाभर में डिमेंशिया के मरीज 3 गुना बढ़ जाएंगे। ऐसे मरीजों की संख्या बढ़कर 15 करोड़ से अधिक हो जाएगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है, हर साल डिमेंशिया के 1 करोड़ नए मामले सामने आते हैं।
अमेरिकी वैज्ञानिकों की नई रिसर्च के मुताबिक, लोगों को शिक्षित करके 2050 तक इसके 60.2 लाख मामलों को बढ़ने से रोका भी जा सकता है। इस रिसर्च के परिणाम पॉलिसीमेकर्स को नई रणनीति बनाने में मदद करेंगे ताकि इसके मामलों को बढ़ने से रोका जा सके। 2019 में डिमेंशिया के मरीजों की संख्या 5 करोड़ से अधिक थी। अगले तीन दशकों बाद यह आंकड़ा 15 करोड़ तक पहुंच जाएगा।

बॉडी मास इंडेक्स
शोधकर्ताओं ने 1999 से 2019 के बीच दुनियाभर में स्वास्थ्य को लेकर हुए बदलावों को समझा। रिसर्च में डिमेंशिया के रिस्क फैक्टर जैसे स्मोकिंग और बॉडी मास इंडेक्स को भी शामिल किया। इस दौरान पता चला कि सोचने-समझने की क्षमता घटाने वाली बीमारी अल्जाइमर्स से होने वाली मौतों का खतरा बढ़कर 38 फीसदी तक हो गया। शोधकर्ताओं का कहना है कि हृदय से जुड़ी बीमारियां, लाइफस्टाइल में बदलाव और लोगों को शिक्षित करके डिमेंशिया के मामलों को घटाया जा सकता है। डिमेंशिया के मामलों के बढ़ने की एक वजह आबादी में बढ़ता बुढ़ापा भी है।
इसके अलावा युवाओं में बढ़ता मोटापा, डायबिटीज, एक ही जगह पर बैठकर घंटों काम करने की आदत भी डिमेंशिया का रिस्क बढ़ाती है। दिमाग से जुड़ी बीमारियों पर हुई ICMR की स्टडी कहती है कि 2019 में देश में स्ट्रोक के बाद सबसे ज्यादा 12 फीसदी तक मौतें अल्जाइमर्स-डिमेंशिया के कारण हुई हैं।
उपाय
ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों की नई रिसर्च कहती है कि जो लोग रोजाना 6 कप से अधिक कॉफी पीते हैं तो इसका सीधा असर ब्रेन पर पड़ता है। नतीजा, ऐसे लोगों में याद्दाश्त घटने (डिमेंशिया) का खतरा 58 फीसदी तक रहता है। स्ट्रोक का डर भी बना रहता है।
– डिमेंशिया को रोकना है तो रोजाना सेब खाएं। रिसर्च के मुताबिक, सेब में दो ऐसे तत्व भी पाए गए हैं जो याद्दाश्त को घटने से रोकते हैं। ये तत्व अल्जाइमर्स और डिमेंशिया जैसे रोगों का खतरा घटाते हैं। यह दावा जर्मनी के जर्मन सेंटर फॉर न्यूरोडीजेनेरेटिव डिजीज के वैज्ञानिकों ने किया है।
– उम्र के साथ घट रही याददाश्त को कंट्रोल करना चाहते हैं तो दोपहर में 5 मिनट की झपकी जरूर लें। यह दावा चीनी वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में किया है। वैज्ञानिकों का कहना है, उम्र के साथ नींद लेने का तरीका बदल जाता है, लेकिन दोपहर में ली जाने वाली कुछ समय की नींद सभी में कॉमन है। यह दिमाग के लिए फायदेमंद है।
– अमेरिका में हुई एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि 50 साल की उम्र तक 6 घंटे या उससे कम सोने पर डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है। जनरल नेचर कम्युनिकेशन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, जो लोग पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, उनमें 70 साल की उम्र आने तक याददाश्त कमजोर होने की आशंका बढ़ जाती है।

मेमोरी बढ़ाती है वॉक
मेमोरी लॉस रोकना है तो हफ्ते में 5 दिन वॉक करें। रोजाना पैदल चलने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और दिमाग पर बढ़ती उम्र का असर रोका जा सकता है। यह दावा टेक्सास यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में किया है। एक साल तक हुई रिसर्च में सामने आया कि ब्रिस्क वॉक से मेमोरी पर बुरा असर पड़ने से रोका जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है, वॉक करने से इंसान के दिमाग में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ता है। इस कारण ब्रेन की कोशिकाओं में ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचते हैं। नतीजा, दिमाग स्वस्थ रहता है। वॉक इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि डिमेंशिया के कारण होने वाले मेमोरी लॉस का अब तक कोई इलाज नहीं ढूंढा जा सका है।
रोजाना की वॉक मेमोरी को घटने से रोकने के साथ उसे और बेहतर बनाने का काम करती है। 65 साल या इससे अधिक उम्र के 20 से 25 फीसदी लोग घटती मेमोरी से जूझते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है, जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारा मस्तिष्क सिकुड़ता है। लेकिन, हम लोग अब तक यह पता नहीं लगा पाए हैं कि ऐसा होता क्यों है? इसकी वजह न्यूरॉन के इलेक्ट्रिक सिग्नल भेजने की घटती क्षमता हो सकती है। कुछ भी नया सीखने और याद्दाश्त के लिए मस्तिष्क का जो हिस्सा जिम्मेदार होता है, उसे हिप्पोकैम्पस कहते हैं। जैसे-जैसे इंसान बूढ़ा होता है, इसका आकार छोटा होता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, युवा एरोबिक एक्सरसाइज करते हैं, इससे मस्तिष्क में ऑक्सीजन और ब्लड बेहतर सर्कुलेट होता है। वहीं, बुजुर्गों में उम्र बढ़ने के साथ एक्टिविटी घटती जाती है।
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