Dermatology: MBBS के बाद होती है डर्मेटोलॉजी की पढ़ाई
त्वचा और रूप के प्रति लोगों के बढ़ती सजगता के कारण डर्मेटोलॉजिस्ट की मांग में इजाफा हो रहा है। डर्मेटोलॉजी मेडिसिन की एक शाखा है, जिसमें त्वचा और उससे संबंधित रोगों के निदान का अध्ययन किया जाता है। यह एक स्पेशलाइज्ड विषय है, जिसकी पढ़ाई एमबीबीएस के बाद होती है। डर्मेटोलॉजिस्ट रोगों के उपचार के अलावा त्वचा, बाल और नाखूनों से संबंधित कॉस्मेटिक समस्याओं का भी निदान करते हैं

स्पेशलाइजेशन के लिए उपलब्ध विषय
1. मेडिकल डर्मेटोलॉजी – सर्जिकल डर्मेटोलॉजी
2. डर्मेटोपैथोलॉजी – हेअर एंड नेल डिस्ऑर्डर्स
3. जेनिटल स्किन डिजीज – पीडियाट्रिक डर्मेटोलॉजी
4. इम्यूनोडर्मेटोलॉजी – पब्लिस्टरिंग डिस्ऑर्डर्स
5. कनेक्टिव टिश्यू डिजीज – फोटोडर्मेटोलॉजी
6. कॉस्मेटिक डर्मेटोलॉजी – जेनेटिक स्किन डिजीज
त्वचा, बाल, नाखूनों की बीमारियों का उपचार
इनका मुख्य कार्य लोगों की उन बीमारियों का उपचार करना होता है, जो त्वचा, बाल, नाखूनों और मुंह पर दुष्प्रभाव डालती हैं। एलर्जी से प्रभावित त्वचा, त्वचा संबंधी दागों, सूर्य की रोशनी में झुलसे या अन्य तरह के विकारों से ग्रसित त्वचा को पूर्व अवस्था में लाने में ये रोगियों की मदद करते हैं। इसके लिए वह दवाओं या सर्जरी का इस्तेमाल करते हैं। त्वचा कैंसर और उसी तरह की बीमारियों से जूझ रहे रोगियों के उपचार में भी वह सहयोग करते हैं। क्लिनिक या अस्पताल में वह सबसे पहले मरीजों के रोग प्रभावित अंग का निरीक्षण करते हैं। जरूरी होने पर वह रोग की गंभीरता जांचने के लिए संबंधित अंग से रक्त, त्वचा या टिश्यू का नमूना भी लेते हैं। इन नमूनों के रासायनिक और जैविक परीक्षणों से वह पता लगाते हैं कि रोग की वजह क्या है। रोग का पता लगने के बाद उपचार शुरू कर देते हैं। इस कार्य में वह दवाओं, सर्जरी, सुपरफिशियल रेडियोथेरेपी या अन्य उपलब्ध उपचार विधियों का उपयोग करते हैं।

डाइट प्लान’ भी तैयार करते हैं
कई बार शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण भी त्वचा संबंधी रोग हो जाते हैं। ऐसे में डर्मेटोलॉजिस्ट रोगियों की स्थिति को देखते हुए उनके लिए ‘डाइट प्लान’ भी तैयार करते हैं। इसी तरह वह रोगियों को व्यायाम के साथ त्वचा और बालों की देखरेख से संबंधित सलाह भी देते हैं। इसके अलावा मरीजों के उपचार से संबंधित चिकित्सकीय दस्तावेजों (दी गई दवाओं और पैथोलॉजिकल जांच से संबंधित) का प्रबंधन भी उनके कार्यक्षेत्र का एक हिस्सा है।’

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अंगों को आकर्षक बनाने करते कॉस्टमेटिक सर्जरी
चेहरे और अन्य अंगों को आकर्षक बनाने के लिए डर्मेटोलॉजिस्ट कॉस्टमेटिक सर्जरी भी करते हैं। त्वचा की झुर्रियों और दाग-धब्बों को खत्म करने के लिए वह डर्माब्रेशन जैसी तकनीक और बोटोक्स इंजेक्शन का इस्तेमाल करते हैं। इन तकनीकों के अलावा वह लेजर थेरेपी का भी उपचार में उपयोग करते हैं। इस तकनीक की मदद से वह झुर्रियों और त्वचा पर होने वाले सफेद दाग का ईलाज करते हैं।

साइंस के साथ बारहवीं पास जरूरी
फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी के साथ बारहवीं पास करके एमबीबीएस डिग्री प्राप्त करना डर्मेटोलॉजिस्ट बनने की पहली शर्त है। इसके बाद डर्मेटोलॉजी, वेनेरियोलॉजी और लेप्रोलॉजी में तीन वर्षीय एमडी या दो वर्षीय डिप्लोमा पाठय़क्रम की पढ़ाई की जा सकती है। डर्मेटोलॉजी विषय के पोस्ट ग्रेजुएट पाठय़क्रम की पढ़ाई के बाद आप किसी निजी अस्पताल, नर्सिंग होम या सरकारी डिस्पेंसरी में डर्मेटोलॉजिस्ट के तौर पर काम कर सकते हैं। शिक्षण कार्य में रुचि होने पर आप किसी मेडिकल कॉलेज, यूनिवर्सिटी या इंस्टीटय़ूट में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में अध्यापन या शोध-कार्यों का निर्देशन भी कर सकते हैं।
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ये संस्थान करवाते हैं कोर्स
एम्स, दिल्ली
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, दिल्ली
पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीटय़ूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़
डिपार्टमेंट ऑफ डर्मेटोलॉजी एंड वेनेरियोलॉजी, दिल्ली यूनिवर्सिटी
एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर
एएफएमसी, पुणे
डिपार्टमेंट ऑफ डर्मेटोलॉजी, पांडिचेरी इंस्टीटय़ूट ऑफ मेडिकल साइंसेज
डॉं एमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु
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