Flat Feet: अनुसंधान दल ने मिथक को दी चुनौती
कई दशकों से शोधकर्ताओं, चिकित्सा पेशेवरों और सामान्य आबादी का मानना है कि चपटे पैर वाले लोगों में विभिन्न प्रकार की समस्याएं विकसित होने की आशंका अधिक रहती है। विशेष रूप से, ऐसा माना जाता है कि चपटा पैर होने से व्यक्तियों को भविष्य में दर्द और अन्य मसक्यूलोस्केलेटल (यानी मांसपेशियों, शिरा या स्नायु संबंधी) समस्याएं होने की आशंका अधिक रहती है। कुछ लोगों के पैर के तलवों की बनावट सामान्य से अलग होती है, जिसे फ्लैट फुट यानी सपाट पैर कहते हैं। इसमें आर्च यानी तलवों में घुमाव होने के बजाय वे पूरी तरह समतल होते हैं। तलवे पूरी तरह से ज़मीन पर छूते हैं। इसके कारण पैरों पर भार वहन करने की क्षमता कम हो जाती है।

सदियों पुराना है सिद्धांत
चपटे पैर को एक तरह का ‘टाइम बम’ माना जाता है। हालांकि एक अनुसंधान दल ने इस मिथक को चुनौती दी। यह सिद्धांत निराधार है कि चपटा पैर अनिवार्य रूप से दर्द या अन्य मसक्यूलोस्केलेटल समस्याओं का कारण बनते हैं। यूनिवर्सिटी डु क्यूबेक अ ट्रॉ-रिविएर (यूक्यूटीआर) में पादचिकित्सा (पोडियाट्रिक मेडिसिन) के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार चपटा पैर एक समस्या होने का सिद्धांत सदियों पुराना है। इसे 20वीं सदी के उत्तरार्ध में अमेरिकी पोडियाट्रिस्ट मेर्टन एल. रूट, विलियम पी. ओरियन और जॉन एच. वीड द्वारा पुनर्जीवित किया गया, जिन्होंने ‘आदर्श’ या ‘सामान्य’ पैरों की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया।
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तलवे के बीच में अंतराल
यदि पैर सामान्यता के विशिष्ट मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं (उदाहरण के लिए, पैर का अच्छी तरह से चापाकार (आर्च) में उठना यानी की तलवे के बीच में अंतराल होना, टिबिया के अनुरूप सीधी एड़ी) तो वे असामान्य हैं। यह सिद्धांत स्वास्थ्य पेशेवरों के शैक्षणिक कार्यक्रमों में अहम बन गया है। हालांकि, आधुनिक पाठ्यक्रम आने से यह धीरे-धीरे गायब हो रहा है। उच्च स्तर के वैज्ञानिक प्रमाणों से पता चलता है कि चपटे पैर वाले लोगों में अधिकांश मसक्यूलोस्केलेटल चोटें आने का कोई खतरा नहीं होता है।

चोट का अधिक खतरा
बहरहाल, इन निष्कर्षों के बावजूद अक्सर यह कहा जाता है कि चपटे पैर वाले लोगों में चोट का अधिक खतरा है या उन्हें इलाज की आवश्यकता होती है जबकि उनमें बीमारी का कोई लक्षण भी नहीं होता। दुर्भाग्यपूर्ण रूप से इसके कारण लोगों ने अनावश्यक हस्तक्षेप किया है जैसे कि चपटे पैर वाले लोगों के लिए ऑर्थोपेडिक जूते। हालांकि, यह संभव है कि चपटे पैर वाले किसी व्यक्ति को मसक्यूलोस्केलेटल चोट आ सकती है लेकिन इसका आवश्यक रूप से यह मतलब नहीं है कि चपटे पैर से चोट आती है।

दरूनी किनारों की जांच करें
यह देखने के लिए कि क्या आपके पैर सपाट हैं, खड़े होते समय अपने पैरों के अंदरूनी किनारों की जांच करें। यदि आपके पैर सपाट हैं, तो आपके पैर ज़मीन पर सपाट होंगे। यदि आपके पैर का अंदरूनी हिस्सा ज़मीन से ऊपर उठा हुआ है (इसे आर्च कहा जाता है) तो आपके पैर सपाट नहीं हैं।
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फ्लैट फुट के लक्षण
– चलने-फिरने के दौरान पैर व टखने के अंदरूनी हिस्से में दर्द महसूस होना
– तेज दर्द होने के कारण दौड़ने के लिए अधिक मेहनत करना
– चलने-फिरने या अन्य कोई गतिविधि करने पर दर्द होना
– टखने के अंदरूनी हिस्से में सूजन आना
– प्रभावित हिस्से में कहीं पर तंत्रिका दब जाने के कारण वह हिस्सा – सुन्न या झुनझुनी महसूस होना

उपचार आवश्यक
जब यह स्थिति बचपन में विकसित होती है, तो आमतौर पर बच्चे के बड़े होने पर यह दूर हो जाती है। यदि दर्द हो या किसी व्यक्ति के प्रारंभिक जीवन पर प्रभाव पड़े तो उपचार आवश्यक हो सकता है। इसमें आमतौर पर पैर ऑर्थोटिक्स और सूजनरोधी दवाएं शामिल होती हैं। दुर्लभ मामलों में, किसी व्यक्ति को सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
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