Global Tulsi Herbs: 3 दर्जन से ज्यादा देशों में मिली मान्यता
Global Tulsi Herbs: तुलसी का पौधा घर में रहने से उसकी महक हवा में मौजूद बीमारी फैलाने वाले कई सूक्ष्म कीटाणुओं को नष्ट करती है। रोज तुलसी की एक पत्ती सेवन करने से तमाम फायदे मिलते हैं पहले इसे एक टोटका समझा जाता था। लेकिन कोरोना के बाद अब इसे तमाम शोधों से साबित किया जा चुका है। तुलसी की महक से सांस से संबंधित कई रोगों में लाभ मिलता है। साथ ही, तुलसी का एक पत्ता रोज सेवन करने से हम सामान्य बुखार से भी बचे रहते हैं। मौसम परिवर्तन के समय होने वाली बीमारियों से भी बचाव हो जाता है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। लेकिन हमें नियमित रूप से तुलसी का सेवन करते रहना चाहिए। भारतीय जीवन और परम्परा में तो तुलसी की हमेशा से एक महत्वपूर्ण जगह रही है। भारत में एक जमाना था, जब शायद ही कोई घर बिना तुलसी के पौधे के होता रहा हो।

तुलसी की चाय पीने की परंपरा
भारत में तो सदियों से बुखार उतारने के लिए तुलसी की चाय पीने की परंपरा रही है। हमारे यहां शास्त्रों में भी तुलसी को पूजनीय, पवित्र और देवी का मान दिया गया है। तुलसी का जितना धार्मिक, सांस्कृतिक या औषधीय महत्व है उतना ही मनोवैज्ञानिक महत्व भी है। मसलन माना जाता है कि घर में तुलसी का पौधा होगा तो वास्तु विकार घर के आसपास भी नहीं फटकेंगे। घर-आंगन में तुलसी होने से कई प्रकार के वास्तु दोष स्वतः समाप्त हो जाते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति पर भी इसका शुभ असर होता है। ऐसी मान्यता है। इसी तरह तुलसी घर में हो तो नहीं लगती है बुरी नजर ऐसा भी माना जाता है।
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भारतीय लोक जीवन में अनंत मान्यताएं
तुलसी को लेकर भारतीय लोक जीवन में अनंत मान्यताएं हैं। यह भी कहते हैं कि तुलसी का घर में पौधा हो तो घर के आसपास किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा नहीं पनपती है तथा सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। जहां तक तुलसी के औषधीय महत्व की बात है तो वह तो हम सभी जानते ही हैं। न भी जाने तो भारतीय घरों में तमाम घरेलू नुस्खों के चलते विभिन्न मौकों में तुलसी का सेवन होता है। आयुर्वेद में तो तुलसी को संजीवनी बूटी के समान माना जाता है। तुलसी में एक दो नहीं तमाम ऐसे गुण होते हैं जो बहुत-सी बीमारियों को दूर करने में और उनकी रोकथाम करने में अत्यंत सहायक होते हैं।
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हमारे पद चिन्हों पर चल रहे अन्य देश
भारत में तुलसी हमेशा एक हर्ब भर नहीं रही इसके साथ हमारे पवित्र और आध्यात्मिक रिश्ते रहे हैं- अब जर्मनी, अमेरिका, कनाडा, नार्वे, स्पेन, इटली और ब्राजील भी हमारे पद चिन्हों पर चल रहे हैं। ये उन देशों के नाम हैं, जहां आज तुलसी को औषधीय पौधे के रूप में मान्यता मिल चुकी है। जबकि तीन दर्जन से ज्यादा यूरोपीय, अमेरिकी, एशियाई और अफ्रीकी देशों में अगले एक दो सालों में इसे ऐसी ही मान्यता मिल जायेगी। निश्चित रूप से इसमें आयुर्वेद, कोरोना और भारतीय संस्कृति का बड़ा योगदान है। अब विदेशी लोग नए नए तौर तरीकों से लोग तुलसी के गुणों से चमत्कृत हो रहे हैं।
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