Health and Social Gerontology: देश के शहरों में खाले जा रहे हैं रिक्रिएशन सेंटर
बुजुर्गों की देखभाल में ऐसे प्रोफेशनल की तलाश है, जो सही तरीके से इनका देखभाल कर सकें। इसके लिए डीयू में कोर्स भी चलाया जा रहा है। शहरों में बुजुर्गों की देखभाल बड़ी समस्या के तौर पर उभरकर सामने आ रही है। सामाजिक संरचना में बदलाव के कारण आज महानगरों और बड़े शहरों में ऐसे बुजुर्गों की देखभाल की खासी जरूरत है, जो संयुक्त परिवार के बिखरने से अलग-थलग पड़ गए हैं। इन बुजुर्गों का ख्याल करते हुए ही अब शहरों में रिक्रिएशन सेंटर खोले जा रहे हैं। ऐसे अस्पताल और आशियाने बनाए जा रहे हैं, जहां इनके स्वास्थ्य और मनोरंजन का पूरा ध्यान रखा जा सके। इन जगहों पर ऐसे प्रोफेशनल की भी तलाश है, जो सही तरीके से देखभाल कर सकें। ऐसे में हेल्थ एंड सोशल जेरन्टोलॉजी से जुड़े लोगों के लिए काफी मौके होते हैं।

दिल्ली विविद्यालय में जराविज्ञान का कोर्स
दिल्ली विविद्यालय के तहत संचालित इंस्टीट्यूट ऑफ होम इकोनोमिक्स पीजी डिप्लोमा इन हेल्थ एंड सोशल जेरन्टोलॉजी यानी जराविज्ञान का कोर्स संचालित कर रहा है। हालांकि विदेशों में इस विषय की पढ़ाई काफी अरसे से हो रही है ले किन भारत में सरकारी स्तर पर यह पहला कोर्स है। यह कोर्स छात्रों को करियर की नई राह दिखाएगा। साथ ही, समाज सेवा का सुख भी देगा। छात्रों के लिए नया और अनूठा यह कोर्स यूजीसी के सहयोग से शुरू किया गया है। रोजगार के हिसाब से यह काफी फायदेमंद है, जो रोजगार के साथ-साथ युवाओं को समाजसेवा का सुख देता है।
कोर्स विदेशी संस्थानों में सर्टिफिकेट से लेकर मास्टर डिग्री और पीएचडी पाठय़क्रम उपलब्ध हैं। दिल्ली विविद्यालय में शुरू हुए इस कोर्स में पूरे साल भर में दो सेमेस्टर के अंदर छात्रों को दस पेपर पढ़ने होंगे। इसके बाद उनका आहार, क्लीनिकल, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलू और उनके अनुरूप माहौल निर्माण का ज्ञान दिया जाना। कोर्स में रिसर्च पद्धति से जुड़ा भी एक पेपर है। सेमेस्टर के आखिर में प्रोजेक्ट वर्क करना अनिवार्य है।
योग्यता
दाखिले की प्रक्रिया दाखिले के लिए स्नातक पास होना अनिवार्य है। छात्र समाज विज्ञान, होम साइंस या साइंस में 50 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण हो। इसके अलावा, इस कोर्स में प्रोफेशनल डिग्री धारकों को भी दाखिले का मौका मिलता है, जिन्होंने फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी या नर्सिग में 50 फीसद अंकों के साथ ग्रेजुएशन किया है। आवेदन के बाद मेरिट के आधार पर 25 सीटों पर छात्रों को दाखिला दिया जाएगा। इनमें सामान्य वर्ग के 13, एससी 4, एसटी 2 और ओबीसी वर्ग की 6 सीटें हैं। दाखिले के लिए कॉलेज से संपर्क कर सकते हैं।

अवसर
कोर्स पूरा करने वाले छात्र बुजुर्गों पर कराए जा रहे रिसर्च में भाग ले सकते हैं। उनके लिए सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर होने वाली ट्रेनिंग, वेलफेयर प्रोग्राम और सर्विस में काम कर सकते हैं। बुजुर्गों को लेकर संविधान में कई कानून हैं। उनका अध्ययन कर बुजुर्गों को सलाह दी जा सकती है। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई संस्थाएं काम कर रही हैं और वे जानकारों और विशेषज्ञों की तलाश लगातार करती रहती है। इसलिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के एनजीओ और कम्युनिटी आधारित संगठनों से जुड़ सकते हैं।
इसके अलावा, अस्पताल और बुजुर्गों के लिए बनाए गए आशियाने भी ऐसे छात्रों को काम का अवसर मुहैया कराते हैं। इसमें छात्रों को प्रबंधन की कला भी आनी चाहिए। नौकरी आमतौर पर महानगरों और बड़े शहरों में ही उपलब्ध कराई जाती है। शुरुआती वेतन 25 से 30 हजार रुपये है। जिम्मेदारी और अनुभव बढ़ने के साथ इसमें इजाफा होता रहता है।
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