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Reading: Heart Attack: हार्ट अटैक अब बूढ़ों की बीमारी नहीं है…
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WeStory > सेहत > Heart Attack: हार्ट अटैक अब बूढ़ों की बीमारी नहीं है…
सेहत

Heart Attack: हार्ट अटैक अब बूढ़ों की बीमारी नहीं है…

WeStory Editorial Team
Last updated: 2024/05/16 at 3:24 PM
WeStory Editorial Team
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5 Min Read
Heart Attack
Heart Attack
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Heart Attack: अब 16 वालों को भी हार्ट अटैक का खतरा

एक जमाना था जब माना जाता था कि हार्ट अटैक बूढ़ों को या फिर 45-50 पार कर चुके अधेड़ों की बीमारी है। लेकिन पिछले 5 साल में 16 साल से लेकर 40 साल तक की उम्र वालों में हार्ट अटैक के खतरे 30% से ज्यादा बढ़ चुके हैं। WHO भी चेतावनी दे चुका है कि हार्ट अटैक अब बूढ़ों की बीमारी नहीं है… कोई भी हो, खास करके युवा बड़ी तादाद में इसकी चपेट में आ रहे हैं। अगर अपने ही देश में देखना हो तो कई celebrity भी हार्ट अटैक की चपेट में आकर जिंदगी खो चुके हैं। इसके अलावा एक बात यह भी ध्यान रखें कि सिक्स पैक या टोंड बॉडी वाले भी धड़ल्ले से हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं। इसलिए आज के इस वीडियो में हम बताएंगे कि हार्ट अटैक से बचने का तरीका glamorize body नहीं है बल्कि health related नियमित सजगता की जरूरत है। 40 से लेकर 69 साल तक के आयु वर्ग में होने वाली मौतों में से 45% मामले दिल की बीमारी के होते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी बड़ी संख्या में लोग दिल की बीमारी के कारण अपनी जिंदगी खो रहे हैं।

Table of Contents
Heart Attack: अब 16 वालों को भी हार्ट अटैक का खतरा2030 तक दोगुनी हो जायेगी संख्यायुवाओं की लाइफस्टाइल चेंजनींद घटकर साढ़े चार घंटेक्लिक दबाकर खाना मंगाना
Heart Attack
Heart Attack

2030 तक दोगुनी हो जायेगी संख्या

माना जा रहा है कि साल 2030 तक हिंदुस्तान में हार्ट अटैक से अपनी जान गंवाने वाले लोगों की संख्या दोगुनी हो जायेगी। आज करीब 35,000 लोग हर साल हार्ट अटैक से जान गंवा रहे हैं, याद रखें यह संख्या उन लोगों की है जो हार्ट अटैक आने पर अस्पताल जाते हैं और उनकी मौत का बकायदा डाटा बनता है। इस संख्या से कई गुना ज्यादा लोग बिना अस्पताल गए भी हार्ट अटैक की बीमारी से मर जाते हैं क्योंकि देश में जहां साल 2015 तक 6.2 करोड़ लोग हार्ट की बीमारी से ग्रस्त थे वहीं आज इनकी संख्या निश्चित रूप से 8 करोड़ से कम नहीं होगी। आपको जानकर हैरानी होगी कि 2015 तक 2 करोड़ 30 लाख से ज्यादा ऐसे मरीज थे, जिनकी उम्र 40 साल से कम थी। इसका मतलब, देश में बड़ी संख्या में नौजवान भी दिल से संबंधी बीमारियों के जाल में फंस रहे हैं।

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Heart Attack
Heart Attack

युवाओं की लाइफस्टाइल चेंज

सवाल ये है कि हार्ट अटैक से नौजवान क्यों ज्यादा पीड़ित होने लगे हैं और इससे बचने के उपाय क्या हैं?। हालांकि इस संबंध में कोई अंतिम राय नहीं है कि इस वजह से नौजवानों में हार्ट अटैक की बीमारी बढ़ी है लेकिन जिस तरह से युवाओं का लाइफस्टाइल चेंज हुआ है, वह बहुत बड़ा कारण है। जरूरत से कई गुना ज्यादा काम करना. लगातार तनाव में रहना, कम सोना, देर तक जागना, कॉल सेंटर के जरिये भारत में रहकर विदेशी टाइम जोन में सक्रिय होना, मनोरंजन के आधुनिक साधन ओटीटी से चिपके रहना, ये कुछ वजहें हैं जिनकी वजह से युवाओं में हार्ट अटैक संबंधी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

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नींद घटकर साढ़े चार घंटे

एक जमाने में लोग कम से 8 से 10 घंटे सोते थे। फिर नींद कम होकर 8 से 9 घंटे तक की हुई फिर और कम हो गई और लोग महज 7 से 8 घंटे सोने लगे। आज की लाइफस्टाइल में नींद घटकर औसतन साढ़े चार घंटे की रह गई है। यह स्थिति बेहद खतरनाक है वैसे 6 घंटे तक सोने वालों के लिए भी डॉक्टर कहते हैं कि उनके दिल संबंधी बीमारियों के चपेट में आने के 20 फीसदी रीजन अधिक होते हैं। ऐसे में जो साढे चार घंटे ही सोते हैं, अंदाजा लगाइये कि उन्हें दिल संबंधी बीमारियों की कितनी ज्यादा आशंकाएं होंगी।

Heart Attack
Heart Attack

क्लिक दबाकर खाना मंगाना

आजकल एक क्लिक दबाकर खाना मंगाने की जो युवाओं में गंदी आदत पड़ गई है। इस कारण भी उनमें जल्दी हार्ट अटैक आने लगे हैं, सॉफ्ट ड्रिंक और फास्ट फूड के ललचाऊ विज्ञापनों ने भी युवाओं को इनकी तरफ चुंबकीय तरीके से खींचा है। और नतीजे में बड़ी संख्या में पुरुषों को इस बीमारी के चंगुल में फंसते देखा गया है। फास्ट फूड यूं तो हर तरह के स्वास्थ्य का दुश्मन है लेकिन हृदय संबंधी बीमारियों के लिए तो यह महाकाल है।

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