Indian Gooseberry: पूरे देश में अलग-अलग नामों से पहचान
Indian Gooseberry: आंवला मनुष्य को प्रकृति की एक अनुपम भेंट है। औषधीय गुणों से भरपूर, पोषक तत्वों का खजाना आंवला आज दुनिया के दूसरे अन्य देशों में भी काफी बड़ी मात्रा में दवाइयों और भोजन में इस्तेमाल होता है। आधुनिक शोधों से भी यह बात आज प्रमाणित हो चुकी है कि त्रिदोष नाशक आंवले जैसा अन्य कोई और फल नहीं है। संस्कृत में इसे अमृता, पंचरसा, आमलकी, जाती फल आदि नामों से पुकारा जाता है। हिंदी में इसे आंवला, आंवड़ा, औड़ा और औरा कहा जाता है। फारसी में इसे आमलज, आमलह, आमलय, आमलाहा, आमलहजय कहते हैं। तमिल में इसे नेल्ली, तो बंगाल में इसे आमरो आमला, अमला, कर्नाटक में इसे आमलकनेल्ली और नेल्लिकाई, मलयालम में नेल्ली, उड़िया में अंडा एवं आला तो असमिया में अमला, मारवाड़ी में आंवला कहा जाता है।

प्रतापगड़ में सबसे ज्यादा उत्पादन
हमारे देश में यह उत्तरी भारत, अवध, बिहार एंव पूर्वी प्रदेशों में उगाया जाता है। भारत के अलावा यह चीन, म्यांमार और मलाया में भी पैदा होता है। भारत में उत्तर प्रदेश के प्रतापगड़ जनपथ में आंवले का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। इसकी तीन प्रजातियां होती हैं, जिनमें कल्मी, बीजू और जंगली होती हैं। इसे जंगली इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह प्राकृतिक अवस्था में रेशों से भरा आकार में छोटा और खाने में कसैला होता है। यह औषधीय गुणों में दूसरी अन्य किस्मों से निम्नतर माना जाता है। आंवले में विटामिनसी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। 100 ग्राम आंवले में 600 से 621 मिलीग्राम विटामिन सी होता है, इसके अलावा इसमें टेनिन, गैलिक एसिड और ग्लूकोज पाया जाता है। इसमें मौजूद विटामिन सी सुखाने के बाद भी बना रहता है। तमाम फलों में यह विशेषता सिर्फ आंवले में ही पायी जाती है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, निकोटिन पाया जाता है।
Read more: Beauty With Exercise: आकर्षक लगें और एक्सरसाइज पर भी करें फोकस

कई देशों को निर्यात
आंवले से चटनी मुरब्बा, अचार, शैम्पू, च्यवननप्राश तथा दवाइयां बनाने के अलावा चमड़े को रंगने के लिए इसकी वृक्ष के छाल का उपयोग करना चाहिए। भारत से आंवला कई देशों को निर्यात करके मुद्रा अर्जित की जाती है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में आंवले का उपयोग त्रिदोष नाशक आंवले का उपयोग आयुर्वेदिक औषधी बनाने में किया जाता है। पका या सूखा आंवला रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है और दस्त में विशेष लाभकारी होता है। इसमें लौह तत्व की मौजूदगी, खून की कमी और पीलिया को रोकने में सहायक होती है। यह खांसी में अत्यंत उपयोगी होता है। इसके फल को चीरने से निकले रस से आंखों की सूजन का इलाज होता है। लोगों के बीच लोकप्रिय चवनप्राश में भी आंवले का उपयोग किया जाता है। यह स्क्रबी रोग मेंभी लाभदायक होता है। आंवले का चूर्ण पेट संबंधी रोगों को दूर करता है।

दिल की बीमारी में भी लाभकारी
आंवले का बीज बेहद कठोर और उपयोगी होता है। यह दमा और श्वास संबंधी बीमारियों को दूर करने में सहायक होता है। आंवले के पेड़ प्राप्त करने के लिए इसके बीज को क्यारियों में बोने से पहले पानी में भिगोकर फुला लिया जाता है। अंकुरण के पश्चात जब इसके पौधे 10 से 15 सेंटीमीटर तक के हो जाते हैं तब इन्हें 5 या 7 मीटर के अंतर पर लगाया जाता है। आंवला दिल की बीमारी में भी लाभकारी होता है। इसके सूखे फल के गुदे से बनाये गये चूर्ण का उपयोग कई औषधीयों में किया जाता है। यह कोलेस्ट्राल की मात्रा बनने से रोकता है। भारतीय मनीषियों ने आंवले के महत्व को बहुत पहले ही जान लिया था, यही वजह है कि इसे लोगों के आम जीवन में ही नहीं बल्कि चिकित्साशस्त्र में भी विशेष महत्व दिया गया है।

- Content Marketing : भारत में तेजी से बढ़ रहा है कंटेंट मार्केटिंग का क्रेज - January 22, 2025
- Black Magic Hathras: ‘काले जादू’ के नाम पर 9 वर्ष के बच्चे की बलि - January 18, 2025
- Digital Marketing: आपके व्यवसाय की सफलता की कुंजी ‘डिजिटल मार्केटिंग’ - January 18, 2025