Kind People: बीपी और अवसाद के उपचार में लाभ
एक नये शोध में वैज्ञानिकों का कहना है कि दयालु बनने से इन्सान को और भी बहुत कुछ प्राप्त हो सकता है। माना जा रहा है कि इससे आपका जीवनकाल बढ़ सकता है। यह शोध यूसीएलए के बेडारी काइंडनेस इंस्टीट्यूट के सदस्यों ने किया है। संस्थान के निदेशक डैनियल फेस्लर ने बताया, हम अपने शोध में वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात कर रहे हैं। हम मनोविज्ञान, जीव विज्ञान में मौजूद सकारात्मक सामाजिक सहभागिता के बारे में बात कर रहे हैं।
हाल के दिनों में दयालुता की भावना सुर्खियों में रही है। फेस्लर ने अपने शोध में यह जानने की कोशिश की है कि दयालुता देखकर दूसरे लोग दयालु होने के लिए किस तरह से प्रेरित होते हैं। इसके साथ ही वो इस बात का पता भी लगा रहे हैं कि आखिर यूं एक दूसरे से प्रभावित होकर कौन लोग दयालु बन जाते हैं।
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह कहना सही होगा कि हम अभी एक तरह से निर्दयी युग में जी रहे हैं। लोगों के बीच अलग-अलग राजनीतिक विचारधारा और अलग-अलग धर्मों के चलते संघर्ष बढ़ रहा है। लोगों का यह व्यवहार कोई नई बात नहीं है। आमतौर पर लोगों के आक्रामक होने और गुमान में रहने की संभावना अधिक रहती है। वे दूसरों की चिन्ता करने और भलाई को कम महत्व देते हैं।
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मूड में सुधार
हैरिस ने बताया- आधुनिक समाज में दयालुता इतनी दुर्लभ क्यों हो रही है यह जानने और साथ ही विज्ञान और आध्यात्मिकता के बीच की खाई को पाटने लिए शोध की जरूरत थी। मानवविज्ञानी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि लोगों के बीच दयालुता कैसे बढ़ती है। मनोवैज्ञानिक शोध करते हैं कि दयालुता कैसे मूड में सुधार कर सकती है और अवसाद के लक्षणों को कम कर सकती है। फेस्लर कहते हैं, ‘आपकी अवहेलना करने वाले या कम चिन्ता करने वाले और आपके साथ खुलेआम दुश्मनी करने वाले लोगों के साथ रहना आपके लिए बुरा है। यह आपके जीवन काल को छोटा करता है।

तनाव कम होता
इससे उलट, एक-दूसरे के प्रति दया दिखाने और प्यार दर्शाने वाले लोगों में तनाव कम होता है और यह अच्छा जीवन जीने में भी मदद करता है। यहां तक कि जब एक कॉफी के दुकान पर एक वेटर मुस्कुराते हुए पूछता है कि आप कैसे हैं, तो यह बात भी लोगों के सुख में बढ़ोतरी कर सकता हैं। यह सोचना कि आप दूसरों के प्रति कैसे दयालु हो सकते हैं। इससे आपका ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है। इसके चिकित्सकीय लाभ हैं। अवसाद और चिन्ता के इलाज में यह लाभकारी है।’
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खरगोशों पर अध्ययन
कोलंबिया विश्वविद्यालय की डॉक्टर केली हार्डिंग के अनुसार ‘दयालु होना प्रतिरक्षा प्रणाली, ब्लड प्रेशर में मदद करता है। यह लोगों को लंबे समय तक जीवित रहने और स्वस्थ्य बने रहने में मदद करता है। इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि यह हमें मुफ्त में मिलता है। मैंने 1970 के दशक में खरगोशों पर इस तरह के अध्ययन के बारे में सुना था। उस अध्ययन में यह पता चला कि जिन खरगोशों को दयालु शोधकर्ताओं की देखभाल में रखा गया उनकी सेहत काफी बेहतर थी।

बहुत कुछ बदल सकती है
दयालुता बहुत कुछ बदल सकती है। अपने प्रति दयालु होने के मुकाबले दूसरों के प्रति दयालु होना ज्यादा आसान काम है। खुद पर और दूसरों पर दया करने के बहुत सारे तरीके हैं। कार्यस्थल पर, स्कूल में और घर पर, दयालु होने से बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं। मेडिकल क्षेत्र में तकनीक बेहतर हो सकती है लेकिन फिर भी वह दयालुता का मुकाबला नहीं कर सकती। मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य के बीच संबंध बहुत महत्वपूर्ण है।’