जीन के आधार पर निर्भर हाथ का इस्तेमाल
दुनिया की पूरी आबादी में एक बड़ा हिस्सा ऐसे लोगों का है, जो बायें हाथ से लिखते हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी लेफ्ट हैंडी थे। लेफ्ट हैंडी को लेकर समाज और विज्ञान, दोनों ही क्षेत्रों में हमेशा कौतूहल रहा है। अब ब्रितानी वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया है कि इसके लिए इंसानी जीन जिम्मेदार हैं। इस रिसर्च में ये भी सामने आया कि राइट या लेफ्ट हैंडी होने की बात 25 फीसदी जीन के आधार पर तय होती है और 75 फीसदी दूसरे कारकों पर निर्भर होता है।
बोलने की क्षमता भी बेहतर
इंसान के डीएनए में जीन एक तरह के सुझाव देता है, जो किसी व्यक्ति के लेफ्ट हैंडी होने से जुड़ा होता है। ये सुझाव इंसानी दिमाग की बनावट और उसके काम करने के तरीके एवं भाषाई क्षमता पर असर डालते हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि इस वजह से लेफ्ट हैंड से अपने काम करने वालों की बोलने-चालने की क्षमता भी बेहतर होती है। हालांकि उनके पास इसे साबित करने के लिए कोई आंकड़े मौजूद नहीं हैं।
10 में से एक व्यक्ति लेफ्टी
रिसर्च में पाया गया कि दुनिया में 10 में से एक व्यक्ति अपने बायें हाथ से काम करता है। जुड़वा बच्चों पर हुए अध्ययनों में सामने आया कि इसमें मां-बाप से मिले डीएनए बड़ी भूमिका निभाते हैं। इस विषय पर शोध करने वालों ने यूके बायोबैंक की मदद ली, जहां पर 4 लाख लोगों ने अपने जेनेटिक कोड का पूरा सिक्वेंस रिकॉर्ड करवाया है। इनमें से सिर्फ 38 हजार लोग लेफ्ट हैंडेड निकले।

काम का सम्बंध साइटोस्केलेटन से
टीम के एक शोधार्थी प्रोफेसर ग्वेनलि डोउड के मुताबिक, हमारी शोध का नतीजा बताता है कि कोई व्यक्ति किस हाथ का इस्तेमाल करता है, ये बात जीन से जुड़ी हुई है। लेकिन ये कैसे काम करती है इस तरह के बदलाव शरीर की कोशिकाओं के अंदर की संरचना को बनाने के लिए जिम्मेदार साइटोस्केलेटन से जुड़े निर्देशों में पाए गए। सायटोस्केलेटन के निर्माण के लिए दिए गए निर्देशों में बदलाव की वजह से ही घोंघों को अपने लिए जोड़ीदार तलाश करने में दिक्कत होती है।
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पूरे मामले का कनेक्शन दिमाग से
प्रोफेसर डोउड कहते हैं कि जब हम यह तय करने में सक्षम हो सके हैं कि किसी व्यक्ति के लेफ्ट हैंडी या राइट हैंडी होने से जुड़े साइटोस्केलेटन के बदलाव दिमाग में साफ नजर आते हैं। यूके बायोबैंक में मिले डीएनए के स्कैन में जानकारी मिली कि सायटोस्केलेटन दिमाग में व्हाइट मैटर की बनावट में बदलाव कर रहा है। ये बदलाव कोशिकाओं की संरचना को बनाने के लिए जिम्मेदार साइटोस्केलेटन में पाये गये।
क्या होते हैं खतरे
इस रिसर्च में ये भी सामने आया कि लेफ्ट हैंड का प्रयोग करने वालों के स्किजोफ्रेनिया से ग्रसित होने की आशंका ज्यादा रहती है। इन लोगों को पार्किंसन नामक बीमारी से ग्रसित होने का खतरा कम रहता है।
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किस्मत से कोई लेना-देना नहीं
हाथों के सर्जन और इस रिपोर्ट के लेखक प्रोफेसर डॉमिनिक फर्निस के मुताबिक, कई संस्कृतियों में लेफ्ट हैंड से काम करने वालों को दुर्भाग्यशाली माना जाता है और उनकी भाषा में भी ये चीज सामने आती है। फ्रांस में गॉश शब्द का मतलब लेफ्ट होता है लेकिन इसका मतलब अनाड़ी भी होता है। वहीं अंग्रेजी में राइट शब्द का अभिप्राय सही होने से भी लगाया जाता है। ये स्टडी बताती है कि लेफ्ट हैंडी होना दिमागी विकास से जुड़ी हुई चीज है। इसका किस्मत से कोई लेना-देना नहीं है।
दुनिया के मशहूर लेफ्ट हैंडर
महात्मा गांधी, मदर टेरेसा, बराक ओबामा, अमिताभ बच्चन, आशा भोंसले, बिल गेट्स, रतन टाटा, सौरभ गांगुली, सचिन तेंदुलकर, निकोल किडमैन, एंजेलीना जॉली, करण जौहर आदि।
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