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Reading: Lungs Damage: 4 साल बाद भी कोरोना के शिकार रहे लोगों में लंग्स डैमेज
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सेहत

Lungs Damage: 4 साल बाद भी कोरोना के शिकार रहे लोगों में लंग्स डैमेज

कोरोना संक्रमण का शिकार रहे लोगों को ठीक होने के 4 साल बाद भी हृदय, मेटाबॉलिज्म और मस्तिष्क से संबंधित दिक्कतों का अनुभव हो रहा है। कोविड-19 के दुष्प्रभावों को लेकर हाल ही में किए गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं...

WeStory Editorial Team
Last updated: 2024/02/28 at 6:22 PM
WeStory Editorial Team
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5 Min Read
Lungs Damage
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Lungs Damage: भारत में 50% लोगों में सांस की दिक्कत

कोरोना संक्रमण का शिकार रहे लोगों को ठीक होने के 4 साल बाद भी हृदय, मेटाबॉलिज्म और मस्तिष्क से संबंधित दिक्कतों का अनुभव हो रहा है। कोविड-19 के दुष्प्रभावों को लेकर हाल ही में किए गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने फेफड़ों की समस्याओं को लेकर अलर्ट किया है। अध्ययन से पता चलता है कि अक्यूट कोविड के बाद भारतीय लोगों में लंग्स डैमेज के मामलों की दर काफी अधिक देखी जा रही है, 50% लोगों को सांस की दिक्कत महसूस हो रही है।

Table of Contents
Lungs Damage: भारत में 50% लोगों में सांस की दिक्कतफेफड़ों और हृदय की जांच जरूरीइटली में भी लोगों को तकलीफवैश्विक स्वास्थ्य जोखिम बना हुआ

कोविड-19 ने फेफड़ों की कार्यक्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिसके गंभीर और जानलेवा दुष्प्रभावों का भी खतरा हो सकता है। अध्ययन के अनुसार कोविड के गंभीर मामलों के बाद ज्यादातर भारतीयों में फेफड़ों की कार्यक्षमता में काफी गिरावट दर्ज की जा रही है। आधे से अधिक लोगों ने सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की है। ये निष्कर्ष चिंताजनक हैं, जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की सलाह दी गई है।

Lungs Damage
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फेफड़ों और हृदय की जांच जरूरी

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है अगर आप कोविड के शिकार रहे हैं तो डॉक्टर से मिलकर एहतियातन अपने फेफड़ों और हृदय की जांच जरूर करा लें। कोरोनावायरस ने इन दोनों अंगों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में फेफड़ों की दिक्कत भविष्य के लिए अलार्मिंग मानी जा रही है। कोविड-19 के कारण होने वाली समस्याओं के बारे में जानने के लिए क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर के शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया। ये फेफड़ों की कार्यप्रणाली पर कोविड-19 के दुष्प्रभावों की जांच करने वाला भारत का सबसे बड़ा अध्ययन है।

शोध के दौरान 207 प्रतिभागियों की जांच में उनमें होने वाली समस्याओं को समझने की कोशिश की गई। अध्ययन से पता चला कि गंभीर बीमारी से ठीक होने के औसतन दो महीने से अधिक समय के बाद भी बड़ी संख्या में भारतीयों ने फेफड़ों से संबंधित दिक्कतों की शिकायत की। इसमें 49.3 प्रतिशत में सांस की तकलीफ और 27.1 प्रतिशत में खांसी की शिकायत रिपोर्ट की गई। हालांकि फेफड़ों में क्षति का सटीक कारण स्पष्ट तौर पर नहीं समझा जा सका है क्योंकि भारतीय आबादी में अन्य देशों की तुलना में कोमोरबिडिटी की दिक्कत भी अधिक रही है।

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इटली में भी लोगों को तकलीफ

इसी तरह इटली में किए गए एक अन्य अध्ययन में 43 प्रतिशत लोगों में डिस्पेनिया या सांस की तकलीफ और 20 प्रतिशत से कम लोगों में खांसी की दिक्कत देखी गई। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, फेफड़ों में होने वाली क्षति गंभीर समस्याकारक होती है। अगर समय पर इसका उपचार न किया जाए तो इससे मौत का खतरा भी हो सकता है। इससे पहले के अध्ययनों में कोरोनावायरस के हृदय रोग और संक्रमण के बाद बड़ी संख्या में लोगों में गंभीर पाचन की दिक्कतें बढ़ने को लेकर सावधान किया गया था। कोरोना ने गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसफंक्शन और गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज की दिक्कतों को काफी बढ़ा दिया है।

Lungs Damage
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वैश्विक स्वास्थ्य जोखिम बना हुआ

कोरोना संक्रमण पिछले चार साल से अधिक समय से वैश्विक स्वास्थ्य जोखिम बना हुआ है। महामारी की शुरुआत से अब तक 70.36 करोड़ से अधिक लोग इस संक्रामक रोग की चपेट में आ चुके हैं, इसमें से 69.86 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना सिर्फ संक्रमण की स्थिति में ही नहीं, संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों के लिए भी गंभीर समस्याओं का कारण मानी जा रही है, पोस्ट कोविड (लॉन्ग कोविड) के कारण लोगों में कई प्रकार स्वास्थ्य समस्याएं देखी जा रही हैं।

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