Mental Disorder: करियर और पर्सनैलिटी होती है प्रभावित
यकीन मानिए मानसिक रोग हम सबको बहुत आसानी से चकमा देते हैं। क्योंकि उनके शुरुआती लक्षण इतने आम होते हैं,जितने आम लक्षणों को हम अपने इर्दगिर्द अकसर देखते ही रहते हैं। लेकिन सावधान रहिये, दूसरा कोई यह नहीं समझ सकता कि आपके भीतर कितने तूफान उमड़-घुमड़ रहे हैं। लेकिन आप तो जानते हैं, इसलिए अगर आपको सुबह उठकर चाय पीने की भी इच्छा न हो रही हो, जबकि चाय कभी आपकी रही हो तो समझ लीजिए कुछ गड़बड़ है।
कुछ और भी इशारे हैं मसलन- अगर आपको लगता है कि आप पिछले 20 घंटे से लगातार उदास हैं, तो सर्तक हो जाइये और जानिये कि आखिर इस उदासी का कारण क्या है?, क्या आपको बात बात पर किसी पर भी गुस्सा आ जाता है। अगर ऐसा है तो आपका गुस्सा, गुस्सा नहीं कुछ और है। क्या आपको याद है कि आप पिछली बार कब बहुत खुश थे और उछले-उछले घूम रहे थे। नहीं, तो आपके साथ कुछ संकट है।

मानसिक रोगों के शुरुआती लक्षण
मानसिक रोग आखिर हैं क्या ? जब हमारे अंदर की तमाम चाहतें खत्म हो जाती हैं तो हमें किसी भी बात पर झूम जाने वाली खुशी नहीं मिलती। जब हम हर समय थके-थके, बुझे-बुझे से रहते हैं, हमें ज्यादातर चीजें भूल जाती हैं और कई बार तो बोलने तक का भी मन नहीं करता, तो यह सामान्य स्थिति नहीं है, आप मानसिक रोगों के शुरुआती शिकार हो सकते हैं। मानसिक रोग बहुत मामूली रूप में हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से अलग होते हैं।
मसलन यह किसी का स्वभाव भी हो सकता है कि वह लोगों के भीड़भाड़ के बीच अच्छा न महसूस करे। लेकिन यह मानसिक रोग भी हो सकता है कि कोई व्यक्ति जानबूझकर लोगों से कटने की कोशिश कर रहा हो। अगर आपको खुद से लगाव नहीं रह गया है। अगर आप खुद को बहुत महत्पूर्ण नहीं मानते हैं तो ध्यान से चेक करिये किसी मानसिक स्थिति से तो नहीं गुजर रहे। लोगों को लगता है कि शराब, नशीली दवाओं का दिन रात सेवन आदि होना ही मानसिक रोग है, लेकिन मानसिक रोग को पहचानने की इतनी मोटी नजर कई दूसरे लक्षणों की अनदेखी कर सकती है।
इनको पकड़ पाना मुश्किल होता है
जब कोई व्यक्ति कुछ भी खा लेता हो, खाना न मिले तो तनाव में रहता हो, लेकिन कुछ करता न हो, ठीक से सोच न पाता हो, किसी भी काम को करने की हिम्मत न जुटा पाता हो, तो समझ लेना चाहिए कि वह या तो मानसिक रोग की गिरफ्त में आ गया है या उधर बढ़ रहा है। मानसिक रोग बहुत मामूली होते हैं और ये सबमें एक जैसे नहीं होते। इसलिए भी इनको पकड़ पाना मुश्किल होता है। लेकिन कुछ एहसास ऐसे होते हैं, जिनके चलते हर हालत में मानसिक रोग पकड़ लेते हैं।
मसलन अगर हम स्वस्थ हैं तो हर 10 घंटे के भीतर एक न एक बार किसी बात को लेकर हमारे मन में कोई उमंग आयेगी और निराशा के फैल रहे दायरे को एक झटके में कम कर देगी। अगर आप हफ्ते में एक बार कोई नई योजना नहीं बनाते और महीने में कम से कम एक बार किसी नये लक्ष्य पर आगे बढ़ने की नहीं सोचते तो मतलब है कि आपकी मानसिक स्थिति शिथिल हो रही है, जो बीमार होने की दिशा पर चल पड़ी है।

50 करोड़ से भी ज्यादा लोग पीड़ित
मानसिक रोग बहुत प्रकार के होते हैं। कुछ के नाम तय हो चुके हैं और कुछ के नाम अभी बन बिगड़ रहे हैं। जो सबसे मशहूर मानसिक रोग हैं, उनमें बाइपोलर डिसऑर्डर, अल्जाइमर, डिमेंशिया, पार्किंसन, ऑटिज्म, डिस्लेक्सिया, एडीएचडी, डिप्रेशन, चिंता, ओसीडी, याद्दाश्त खोना, डर से भरे होना, भूलने की बीमारी, ये सब मानसिक रोग हैं। जो लोग कहते हैं पहले मानसिक रोगों का क्लिनिकल इलाज नहीं था, वो गलत कहते हैं।
मानसिक रोगों का दुनिया में हमेशा से ठोस इलाज रहा है। हां, यह अलग बात है कि पहले मानसिक रोगों को नियति मान लिया जाता था य क्योंकि उनके इलाज का दूसरा कोई तरीका नहीं था। लेकिन आज की तारीख में करीब करीब सभी मानसिक रोग के ठोस इलाज हैं। इसके बावजूद भी अगर मानसिक रोग से दुनिया में 50 करोड़ से भी ज्यादा लोग पीड़ित हैं, तो एक बड़ी वजह यही है कि लोग जान ही नहीं पाते कि वे मानसिक रोगों के शिकंजे में हैं।
डाक्टर को दिखाएं, खानपान पर ध्यान दें
वास्तव में 40 से 50 फीसदी तक मानसिक रोगों से ग्रस्त लोग कभी तय ही नहीं कर पाते कि वो मानसिक रोग से ग्रस्त हैं। लेकिन इसकी भरपायी उन्हें करनी ही होती है। इससे उनका कॅरियर प्रभावित होता है। उनकी पर्सनैलिटी प्रभावित होती है। उनके नजदीकी लोग प्रभावित होते हैं और कई बार यह प्रभाव बहुत ज्यादा होता है। इसलिए जरा भी मानसिक रोग के लक्षण हों तो न सिर्फ तुरंत डाक्टर को दिखाएं बल्कि अपने खानपान पर ध्यान दें। ज्यादा से ज्यादा पौष्टिक आहार यानी हरी सब्जियां, मौसमी फल, अंडा, दूध और अगर मांसाहारी हैं तो मीट को अपने भोजन में शामिल करें। हर समय सोशल मीडिया में न बिजी रहें। प्रकृति के बीच भी उठें, बैठें और उसे महसूस करें। पार्क जाना, जंगलों की तरफ घूमना और व्यायाम करना, ये वो कुछ आदतें हैं जो हमें भयावह मनोरोगों से बचाती हैं।
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