Regular Exercise: शारीरिक श्रम करने से बिल्कुल न हिचके
Regular Exercise: कामकाजी युवाओं के लिए दफ्तर में बेस्ट परफार्मेंस के साथ बेस्ट लुक का भी खास महत्व होता है। ऐसे में भला मोटापा किसे भाएगा। वजन कम करने के लिए सबसे जरूरी है कि अपना आत्मविश्वास न डगमगाने दें। कभी नकारात्मक बातों को खुद पर हावी न होने दें। कभी यह न सोचें कि आप फिट यानी पतले नहीं हो सकते। हर सुबह एक्सरसाइज के लिए जरूर जाएं। जहां जहां संभव हो शारीरिक श्रम करने से हिचके नहीं। यह कंप्यूटर का युग है। हर काम चंद सेकेंडो में एक क्लिक से पूरा हो जाता है। शॉपिंग से लेकर घर खरीदने तक की कवायद यहां पूरी की जा सकती है। लेकिन ऐसा न करें। बाहर जाएं। बसों में सफर करें, देर शाम पैदल चलें। मॉर्निंग वॉक के अनगिनत फायदे हैं। हृदय मजबूत बनता है, देर तक चलने से हड्डियां मजबूत होती हैं, जोड़ों के दर्द की आशंका कम होती है। यही नहीं नियमित एक्सरसाइज करने से हमारा बदन आकर्षक और दमकता हुआ लगता है। खाने पीने के मामले में भी हमें इसी प्रकार कटौती करनी चाहिए।

स्नैक्स को टाटा बाय बाय कह दें
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि स्नैक्स को बिल्कुल टाटा बाय बाय कह दें। एक साथ बहुत ज्यादा खाना खाने से बचें। प्रोटीन, मिनरल्स, कैल्शियम आदि जरूरी तत्वों की मात्र शरीर में संतुलित बनाए रखें। असल में किसी की भी अति शरीर के लिए खतरनाक हो सकती है। इसके अलावा सोने के टाइम पीरियड पर भी फोकस करें। आज की युवा पीढ़ी सोने से ज्यादा काम करने पर विश्वास करती है। लेकिन ध्यान रखें न सोने से भी हमारा स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है। ऐसे में मोटापा बढ़ने की आशंका भी बढ़ जाती है। अतः नियमों का सख्ती से पालन करें। आप पाएंगे कि जहां एक ओर आपका वजन घटा, वहीं दूसरी ओर आपका आत्मविश्वास बढ़ा।

हंसी का पात्र न बनें
अगर आप हंसी का पात्र नहीं बनना चाहते तो अभी से सजग हो जाएं। मन में ठान लें कि हर हाल में फिट होना है। वजन घटाना है। दरअसल मोटापा समाज में भी आसानी से स्वीकार्य नहीं होता। मोटे लोगों को हर समय शादी हो, पार्टी हो, घर हो, स्कूल हो या कॉलेज हर जगह दूसरों के ताने सुनने पड़ते हैं। ऐसे में आत्मविश्वास डगमगाना हैरानी की बात नहीं है। लेकिन जरूरी है कि हम अपने मोटापे से लड़ें। ध्यान रखें कि मोटापा न सिर्फ हमें भावनात्मक रूप से परेशान करता है बल्कि इसके शारीरिक रूप से भी असंख्य कुप्रभाव हैं। विशेषज्ञों की मानें तो मोटापे यानी शरीर में जमा हुई अतिरिक्त वसा है। इससे हम ज्यादा सक्रिय होकर काम नहीं कर पाते।

ज्वाइंट्स पेन जैसी समस्याएं आम
मोटापे से शरीर में हमेशा थकान बनी रहती है। शारीरिक श्रम करने में खुद को असमर्थ पाते हैं। यही नहीं हृदय रोग, बदन दर्द, ज्वाइंट्स पेन जैसी समस्याएं मोटापे में आम हो जाती हैं। मोटे लोग अकसर इनके आदी हो जाते हैं। कहने की बात नहीं है कि कोई भी इन समस्याओं का शिकार नहीं होना चाहेगा। खासकर जब बात युवाओं की हो तो वे इन सब समस्याओं से खुद को कोसो दूर रखना चाहते हैं। दरअसल यह उम्रवर्ग ऐसा है जिसमें उन्हें देर रात तक जगना पड़ता है, हद से ज्यादा परिश्रम करना पड़ता है, मेहनती होना उसकी मजबूरी हो जाती है। लेकिन साथ ही उन्हें अपने दोस्तों के बीच एक्स्ट्रा ऑर्डनरी दिखने का दबाव भी होता है।
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व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा
वजन की परिभाषा अब उलटफेर के साथ हमारे व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। हमारा शारीरिक रंग, रूप, आकार कहने का मतलब है कि शारीरिक ढांचा आत्मविश्वास का पर्याय बनता जा रहा है। अब फिटनेस का मतलब सिर्फ आंतरिक मजबूती नहीं है बल्कि फिटनेस बाह्य रूप से दिखावे की चीज बन गई है। ऐसे में भला कौन है जो अपनी फिटनेस के साथ समझौता करना चाहेगा। ऐसा नहीं है कि ये बातें सिर्फ महिलाओं के पक्ष में ही कारगर हैं। पुरुषों के लिए भी यही बातें खरी उतरती हैं। जिस युवती का वजन 40 किलो पार कर गया समझो वह अपने फिटनेस के प्रति सजग हो गई। कहीं मोटी न हो जाए सोचकर वह सुबह का नाश्ता बंद कर देती है, लंच में लाइट फूड्स लेती है और डिनर में भी हैवी खाने से बचने की कोशिश करती है। यही नहीं है मोटापे से बचने के लिए अकसर युवतियां पार्टियों से भी दूर भागती हैं। जबकि हकीकत यह है पतला होना फिटनेस का पर्याय नहीं है।

सेहत पर नकारात्मक असर
हालांकि इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि मोटापा न सिर्फ हमारी सेहत पर नकारात्मक असर डालता है बल्कि व्यवहारिक जीवन में भी काफी मुश्किलें खड़ी करता है। अब 19 वर्षीय लीसा का ही लें। दिखने में क्यूट और व्यवहार में सॉफ्ट लीसा की सबसे बड़ी मुश्किल उसका मोटापा ही है। दरअसल कॉलेज में ड्रामे के लिए कुछ लड़कियों का सिलेक्शन होना था। सबकी चहेती होने के बावजूद ड्रामे में उसके लिए कोई रोल फिट नहीं बैठा। इससे लीसा काफी डिप्रेशन में आ गई। यहां तक कि वह फंक्शन वाले दिन कॉलेज भी नहीं आयी। अपने भारी वजन के चलते लीसा अकसर दोस्तों के साथ पार्टियों में, पिकनिक आदि जगहों में जाने से बचती है। उसका कांफिडेंस स्तर इतना गिर चुका है कि वह स्टेज में जाने से भी हिचकने लगी है। गैरों से बात करने से कतराती है। दरअसल उसे लगता है कि कहीं कोई बात बात में उसके मोटापे का मजाक न उड़ाने लगे।
लड़कियों को बहुत परेशान करता है मोटापा
मोटापा खास तौर पर लड़कियों को बहुत परेशान करता है। यही कारण है कि पतले होने को हर कोई आइडियल मानता हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। हालांकि फिट होने में पतला होना अंतर्निहित होता है। फिट होने पर हमारी अतिरिक्त वसा नहीं होती और हमारा शरीर आकर्षक दिखता है। कहने का मतलब है कि हमें पतला होने की चाह रखने की बजाय फिट होने की चाह रखनी चाहिए। वजन घटाना बहुत जरूरी है। इसके लिए दिन रात भूखे रहने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन हां, यह जरूरी है कि हम अपने खानपान में चुनिंदा आहारों को शामिल करें, नियमित वर्कआउट करें। अगर योगासन करने के इच्छुक हैं तो किसी एक्सपर्ट के इंस्ट्रक्शन अनुसार ही नियमों का पालन करें। मगर समस्या यह होती है कि हम अकसर अपने बनाए हुए शेड्यूल के हिसाब से नहीं चल पाते। ऐसे में लोगों को अकसर दूसरों के सामने हँसी का पात्र बनना पड़ता है। कुछ लोग उसे स्वीकार करते हुए आगे बढ़ते हैं। लेकिन कुछ लोग गहरे तक आघात हो जाते हैं। उन्हें दूसरों की बाते सुनना अच्छा नहीं लगता।
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