Stuttering Disorder: देश में बड़ी संख्या में लोग शर्मिंदगी के शिकार
दुनिया भर की 1.5% आबादी हकलाहट से ग्रस्त हैं। भारत में बड़ी संख्या में लोग हकलाने के कारण रोजाना शर्मिंदगी का शिकार होते हैं और अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाते। स्पीच थेरेपी और कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी के जरिये हकलाहट का इलाज किया जा सकता है। चिकित्सकों का कहना है कि ‘हकलाना, बीमारी नहीं है। यह एक स्पीच डिसऑर्डर है, जो बोलने की गति में रुकावट के कारण होता है।
यह आवाज, अक्षरों में दोहराव, बोलने में लंबा समय या झिझक के रूप में सामने आ सकता है। हकलाहट के पीछे, जेनेटिक और पर्यावरण से जुड़े कारण हो सकते हैं। यह समस्या अक्सर बचपन में ही दिखाई देने लगती है, जो बड़े होने तक बनी रह सकती है या उम्र के साथ इसमें सुधार आ सकता है। भले ही यह बीमारी नहीं है, लेकिन जो इससे परेशान हैं, उनके लिए यह चुनौतीपूर्ण और निराश करने वाली स्थिति होती है।’ बच्चों में हकलाहट की पहचान और उससे निपटना बहुत जरूरी होता है। जितनी जल्दी इस ओर ध्यान दिया जाएगा, बच्चे में इसकी स्थिति बिगड़ने से रोकने या इसे दूर करने की संभावना भी ज्यादा होगी।

स्पीच थेरेपी
इसमें थेरेपिस्ट (थेरेपी करने वाले डॉक्टर) आपकी बोलने की गति को कम करने की सलाह देंगे, इसके साथ ही वे इस बात का ध्यान रखेंगे कि आप विशेष रूप से किस शब्द पर हकलाते हैं। जहां पर आपकी स्थिति और भी अधिक बिगड़ती है उसे कम करने में मदद करते हैं। कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे – डिलेड ऑडिट्री फीडबैक (डीएएफ) उपकरण या स्पीच रिस्ट्रक्चरिंग सॉफ्टवेयर का प्रयोग हकलाहट दूर करने और बेहतर साफ बोली के लिए किया जा सकता है।
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कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी)
यह एक साइकोथेरेपी है, जिनकी मदद से व्यक्ति के सोचने की शक्ति और व्यवहार करने की प्रक्रिया में सुधार किया जाता है। दवाइयों का प्रयोग सीधे तौर पर हकलाहट के इलाज के लिए नहीं किया जाता, बल्कि कुछ मामलों में एंजाइटी या डिप्रेशन को दूर करने के लिए इनका सहारा लेना पड़ सकता है।

नकारात्मक भावना से बचें
जिन लोगों को हकलाने की समस्या है, उनके मन में ऐसी नकारात्मक भावनाएं आना काफी आम बात होती है। लेकिन एक दृढ़ आत्मविश्वास के साथ अभ्यास करने से आप इन नकारात्मक भावनाओं पर काबू पा सकतें हैं।
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धीरे-धीरे बोलने की कोशिश करें
धीरे-धीरे और सोच विचार करके बोलने से सिर्फ हकलाहट ही नहीं आपका मानसिक तनाव भी काफी प्रभावी रूप से कम होगा। जब भी आप कोई बात बोलना चाहें, तो उससे पहले इस बारे में एक बार मन में सोच लें। सहयोगी समूहों में शामिल होना या काउंसलिंग की मदद लेना भी हकलाहट से जुड़े भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं से निपटने में मदद कर सकता है। ये समूह अनुभव साझा करने और दूसरों से सीखने के लिए सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराते हैं।

मुश्किल शब्दों को न बोलें
यदि आपको लगता है कि आपको कोई विशेष शब्द बोलने में कठिनाई होती है या फिर आप उसे हकला कर बोलते हैं, तो उसकी जगह किसी वैकल्पिक शब्द का इस्तेमाल करें। इसके साथ आप एकांत में उस शब्द को बोलने का अभ्यास कर सकते हैं। आप ऐसे शब्दों की एक लिस्ट भी बना सकते हैं, ताकि आप उन शब्दों को बोलने का अभ्यास कर सकें और जब तक आप उन्हें बोलना ना सीख जाएं उनका उपयोग न करें।
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चिंता
अगर आपके परिवार में कोई व्यक्ति हकलाने की स्थिति से ग्रस्त है तो आप उनकी मदद करने की कोशिश करें। कई लोगों में हकलाने का मुख्य कारण चिंता होती है, चिंता के स्रोत का निवारण करके भी हकलाने की स्थिति को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। सहयोगी समूहों में शामिल होना या काउंसलिंग की मदद लेना भी हकलाहट से जुड़े भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं से निपटने में मदद कर सकता है। ये समूह अनुभव साझा करने और दूसरों से सीखने के लिए सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराते हैं।

जागरूक रहना जरूरी
हकलाहट को स्वीकार करना और उसके बारे में जागरूक रहना मददगार हो सकता है। हकलाहट से किसी की बुद्धिमता या क्षमताओं का पता नहीं चलता। कई सफल लोगों ने अपनी हकलाहट पर अच्छी तरह काबू पाया है। हकलाहट का निश्चित ‘इलाज’ नहीं है, लेकिन इसमें काफी हद तक सुधार लाया जा सकता है। इससे निपटने की कोशिशों के पीछे यह उद्देश्य होना चाहिए कि इससे परेशान व्यक्ति किस प्रकार अपनी स्थिति से निपट सकता है।
अपने कम्युनिकेशन स्किल को कैसे सुधार सकता है और कुल मिलाकर अपने जीवन की गुणवत्ता किस प्रकार बेहतर कर सकता है। इलाज का तरीका हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है। इनमें से क्या सबसे ज्यादा फायदेमंद होगा, यह इस पर निर्भर करेगा कि किसी व्यक्ति की खास जरूरतें और स्थितियां क्या हैं? इसलिए, हकलाहट से परेशान व्यक्ति को सही और व्यक्तिगत रूप से तैयार इलाज के तरीकों के लिए किसी स्पीच थेरेपिस्ट या हेल्थकेयर प्रोफेशनल की मदद लेनी चाहिए।’
ध्यान रखें
- – हकलाहट से पीड़ित व्यक्ति को डांटे नहीं।
- – हकलाते हुऐ व्यक्ति को ध्यान से सुने इससे उनमें आत्मविश्वास जागरुक होता है।
- – जब वह आपसे बात कर रहे हों तो धैर्य रखें।
- – जब कोई व्यक्ति हकला कर अपनी बात बोल रहा हो तो उसके शब्द पूरा करने की कोशिश न करें। उन्हें स्वयं बात पूरी करने दें।
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