Sweating: शरीर से ज्यादा पानी निकलना भी खतरनाक
Sweating: शरीर का पानी हमें सिर्फ गर्मी से ही नहीं बल्कि कई तरह की आपातकालीन परेशानियों से भी बचाता है। लेकिन इस बचाव की एक सीमा होती है। अचानक गर्मी पैदा होने पर शरीर से निकला पसीना हमारे शरीर का तापमान अनुकूल स्तर पर ला तो देता है, लेकिन अगर लगातार गर्मी बनी रही और पसीने के रूप में शरीर का पानी बहुत तेजी से बहता रहा तो जल्द ही हमें पानी की कमी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। शरीर से निकलने वाला यह पानी इसलिए परेशान कर सकता है, क्योंकि इसके साथ शरीर का नमक भी बाहर चला जाता है। मतलब यह कि गर्मी के आपातकालीन हमले से तो पसीना बचा लेता है, लेकिन अगर लगातार गर्मी बनी रही तो हमें शरीर में जरूरी पानी बनाये रखना जरूरी हो जाता है। लेकिन इस पसीने के मैकेनिज्म की भी दो शर्ते हैं। यह पसीना हमारे शरीर को बहुत ज्यादा गर्म होने से तभी बचा सकता है, जब शरीर सीधे गर्मी के स्रोत की जद में न आए और दूसरा यह कि वातावरण की हवा पूरी तरह से खुश्क हो यानी हवा में नमी न हो।

हवा में नमी से ज्यादा गर्मी
अगर हवा में नमी होगी तो हमें पसीना भी देर तक गर्मी से नहीं बचा पाता। यह अकारण नहीं है कि मई-जून के मुकाबले हमें बारिश के दिनों यानी जुलाई अगस्त में कहीं ज्यादा गर्मी लगती है। उसका कारण यही है कि तब हवा में नमी मौजूद होती है। गर्मी में जब हम बढ़ते तापमान से बैचेन होते हैं, तो हमारा शरीर पसीना बहाकर हमें तत्काल राहत तो प्रदान कर देता है, लेकिन अगर हम काफी देर तक इसी के भरोसे रहे और शरीर का पानी कम हो गया तो कई तरह की परेशानियां पैदा हो जाती हैं। जैसे- सिरदर्द हो जाता है, चक्कर आने लगते हैं, कई बार आदमी बेहोश हो जाता है और यह सब इसलिए होता है क्योंकि शरीर से ज्यादा पानी निकल चुका होता है।

सांस लेने की प्रक्रिया प्रभावित
शरीर में पानी की कमी अगर काफी देर तक बनी रही तो इससे सांस लेने की पूरी प्रक्रिया भी प्रभावित होती है। खून के बहाव में भी इससे फर्क आता है। खून के फ्लो में कमी आ जाती है। जिस कारण दिल और फेफड़ों पर ज्यादा दबाव बनता है। इसलिए दोस्तों हमारा शरीर अचानक पैदा हुई गर्मी का मुकाबला तो कर लेता है, लेकिन स्थायी रूप से गर्मी से बचने के लिए हमें कई उपाय आजमाने पड़ते हैं, वरना मौत तक हो जाती है। साल 2019 में केरल एक्सप्रेस में बैठे हुए 4 वरिष्ठ यात्रियों की झांसी में उस समय मौत हो गई थी, जब वातावरण में तापमान शरीर की सहने की क्षमता से कहीं ज्यादा था। इसलिए हमें गर्मी से बचाव की एक पूरी व्यवस्था बनानी पड़ती है। चाहे वह आधुनिक विद्युतीय व्यवस्था हो यानी एसी और कूलर या फिर खानपान और शरीर को ढके रखकर किसी भी तरीके से बाहरी उपायों से तापमान कम करने की प्रक्रिया। मतलब इंसान के शरीर के पास यह जादू तो है कि वह भयानक गर्मी से भी मुकाबला कर ले, लेकिन लगातार ऐसी स्थिति से पार नहीं पाया जा सकता।
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जबरदस्त सहनशीलता का राज
सवाल है आखिर यह होता कैसे है या दूसरे शब्दों में इंसान के शरीर की तापमान को लेकर इस जबरदस्त सहनशीलता का राज क्या है? इसका राज हमारे शरीर की एक सजग प्रक्रिया में छिपा है। वास्तव में हमारा शरीर बाहर के तापमान को ग्रहण ही नहीं करता। इसके लिए यह कई तरह की तरकीबों का इस्तेमाल करता है। इनमें सबसे कारगर है- शरीर से निकले वाले पसीना। जैसे ही हम अपने शरीर के तापमान, से ज्यादा तापमान के संपर्क में आते है, वैसे ही हमारे शरीर की पसीना पैदा करने वाली श्वेद ग्रंथियां सक्रिय हो जाती हैं और शरीर से ढेर सारा पसीना बहा देती हैं। पसीने के रूप में हमारे शरीर से निकला यही पानी हमारी त्वचा में पसरी गर्मी को हजम कर जाता है। इससे हमारे शरीर का तापमान उतना ही हो जाता है, जितना कि वह हमारे लिए सहनीय होता है। यह इसलिए संभव हो पाता है, क्योंकि हमारे शरीर की संरचना में 70 फीसदी तक पानी होता है। इसीलिए पानी को जीवन का आधार कहते हैं।
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122 सालों में सबसे गर्म रहा 2022
2022 में अप्रैल माह पिछले 122 सालों में सबसे गर्म रहा है। लेकिन गहराई से देखें तो इससे बहुत हाहाकार नहीं हुआ। सवाल है क्यों? इसका जवाब है कि ग्लोबल वार्मिंग से एडजस्ट करने के लिए इंसान अपनी गर्मी सहने की क्षमता बढ़ा रहा है। जी, हां वैज्ञानिकों के मुताबिक़ इंसान के लिए भविष्य में 50 डिग्री टेम्प्रेचर सामान्य बात होगी। सवाल है ये सब होगा कैसे? मानव शरीर का सामान्य तापमान 37.5 से 38.3 डिग्री सेल्सियस या 98.4 डिग्री फॉरेनहाइट होता है। ऐसे में यह स्वभाविक है कि इससे ज्यादा होने या तापमान हमें न सिर्फ महसूस होता है बल्कि बेचौन भी करता है। लेकिन हम इंसानों में ही नहीं बल्कि गर्म रक्त वाले सभी स्तनधारियों में थर्मोरेग्युलेट की खूबी होती है। कहने का मतलब यह कि गर्म रक्त वाले स्तनधारी जिसमें इंसान भी है, अपने शरीर का तापमान खुद ही नियंत्रित कर सकता है। यही वजह है कि हम अपने शरीर के तापमान से काफी ज्यादा बल्कि कहना चाहिए कई गुना ज्यादा तापमान को भी मैनेज कर लेते हैं।
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