Tobacco marketing policy: तम्बाकू विपणन नीति का कड़ाई से पालन जरूरी
Tobacco marketing policy: तम्बाकू लत दरअसल इसलिए लगती है क्योंकि हम अपनी रोजमर्रा की लाइफस्टाइल में ज्यादातर समय तनाव में रहते हैं तो तम्बाकू का सेवन करने वाले लोगों का तर्क होता है कि वे दिन भर की जटिल और व्यस्त जीवनचर्या को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए तम्बाकू खाते हैं और जब नहीं खाते तो उन्हें तनाव होता है। बहुत आसान तरीके से युवा इस दलदल से अगर बाहर आना चाहें तो उन्हें क्या करना चाहिए?
दुनियाभर के डॉक्टर और योग व एक्सरसाइज के एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि युवाओं को खुद तम्बाकू की लत से छुटकारा पाने के लिए आगे आना चाहिए और इसके लिए उन्हें इस तरह के उपायों को आजमाना चाहिए। तनाव मैनेजमेंट के एक्सपर्ट कहते हैं कि हम इन तनावों से दूर हो सकते हैं बशर्ते गहरी सांस लें, अपनी मांसपेशियों को आराम दें। नियमित योग और एक्सरसाइज करें। सपने देखें, कल्पनाशील बनें, अच्छा संगीत सुनें और घर में परिवारजनों के साथ क्वालिटी समय बिताएं। ऐसा करने से तम्बाकू के इस्तेमाल की उतनी तेज जरूरत नहीं पड़ती जितनी तेज इन सब गतिविधियों के न होने पर पड़ती है।

फलों और पेयों का नियमित इस्तेमाल करें
तम्बाकू में निकोटिन पाया जाता है जो कि शरीर में विटामिन सी की मात्रा को खत्म कर देता है। इस कारण भी बार-बार तम्बाकू की लत का एहसास होता है। इसलिए अगर युवा अपने रोजमर्रा के खानपान में संतरा, अमरूद, स्ट्रोबेरी, आलूबुखारा, कीवी और नींबू पानी जैसे फलों और पेयों का नियमित इस्तेमाल करें तो तम्बाकू की लत नहीं लगती और पहले की लत निर्णायक रूप से खत्म हो जाती है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि युवा सिर्फ किसी देश का नहीं बल्कि पूरी दुनिया का भविष्य हैं। दुनिया के इस भविष्य पर जहरीली तम्बाकू का मंडराता साया बेहद खतरनाक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन दुनिया की सरकारों को बार-बार आगाह कर रहा है कि अगर उन्होंने तम्बाकू विपणन नीति का कड़ाई से पालन नहीं किया तो युवाओं को इसके चंगुल में फंसने से रोका नहीं जा सकता। युवाओं का इस घातक धूम्रपान के जाल से दूर रहना इसलिए जरूरी है क्योंकि अगर तम्बाकू की लत के शिकार युवाओं में एक फीसदी की वृद्धि होती है तो विश्व की अर्थव्यवस्था में 3 फीसदी से ज्यादा की घटोतरी हो जाती है।

सैकड़ों कानून बनाये हुए हैं कागज पर
स्वस्थ युवा सेहतमंद दुनिया का भविष्य हैं। इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बार नो टोबैको डे की थीम युवाओं को धूम्रपान से दूर रखने की कोशिशों पर जोर देने पर रखा है। दुनियाभर में सभी सरकारों ने दिखावे के तौर पर ऐसे सैकड़ों कानून बनाये हुए हैं जो कागजी इबारत में युवाओं को धूम्रपान से विशेषकर तम्बाकू से दूर रखने की बात करते हैं लेकिन हकीकत यह है कि लगातार हर गुजरते साल के साथ तमाम हो हल्ले के बावजूद सिगरेट पीने वाले, तम्बाकू खाने वाले, तम्बाकू की नशवार लेने वाले या तम्बाकू के दर्जनों किस्म के उत्पादों का इस्तेमाल करने वाले युवाओं की संख्या में किसी किस्म की जरा भी कमी नहीं आ रही। उल्टे ये हर गुजरते साल के साथ कुछ बढ़ते ही जा रहे है।
Read more: Dance For Health: संजीवनी से कम नहीं है डांस

सरकारें आधे अधूरे मन से चलाती है अभियान
दुनियाभर में 15 से 24 साल तक के युवा कुल तम्बाकू का सेवन करने वाले नशेड़ियों में 22.5 से 23 फीसदी के बीच हैं। 24 से 49 साल की उम्र वाले लोगों में धूम्रपान करने वाले लोगों की संख्या कुल धूम्रपान करने वाले लोगों की 60 फीसदी से भी ज्यादा है। मतलब यह कि ज्यादातर धूम्रपान का इस्तेमाल करने वाले लोग कामकाजी पीढ़ी के दायरे में आते हैं। इसलिए दुनिया के बेहतर भविष्य के लिए युवाओं का धूम्रपान से दूर होना जरूरी है। साल 1987 से विश्व स्वास्थ्य संगठन लगातार ऐसी कोशिशों में जुटा है कि दुनिया में तम्बाकू का इस्तेमाल कम हो लेकिन करोड़ों-अरबों डॉलर खर्च कर देने के बावजूद दुनिया में न तो तम्बाकू के उत्पादन में किसी किस्म की गिरावट आयी है और न ही तम्बाकू के कारोबार में।
तम्बाकू का सेवन करने वालों में साल दर साल कोई कमी नहीं आयी, उल्टे हर गुजरते साल के साथ इनकी संख्या में इजाफा हो रहा है। इसलिए तमाम प्रयासों के बावजूद दुनिया से धूम्रपान की लत या तम्बाकू के अधिकाधिक उपयोग की खतरनाक आदतें कम होने की बजाय उल्टे बढ़ रही हैं। जाहिर है इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि सरकारें आधे अधूरे मन से तम्बाकू निषेध जैसे कार्यक्रम की रस्म अदायगी भले कर दें लेकिन दुनियाभर की सरकारों को हर साल तम्बाकू माफिया से अरबों डॉलर कीमत की आर्थिक मदद मिलती है।

27 करोड़ युवा दलदल में फंसे
दुनिया के अधिकतर देशों की गोलबंदी और हर देश में तम्बाकू जैसे जहर से दूर रहने के लिए किए जाने वाले दिन-रात आह्वान सब कुछ धरे के धरे रह जा रहे हैं, न सिर्फ युवाओं के बीच इस दौर में भी धूम्रपान की यह लत बरकारार है बल्कि अब तो यह इसलिए भी बढ़ती जा रही है क्योंकि बेरोजगारी और तनाव की स्थिति में इस तरह के धूम्रपान बड़ी राहत देते हैं। अगर धूम्रपान छोड़ना है, विशेषकर तम्बाकू के अलग-अलग तरीकों के उत्पादों से बचना है तो सिर्फ सरकारों के भरोसे रहने से काम नहीं चलेगा। समाज को भी ईमानदारी से आगे आना होगा और उतनी ही ईमानदारी से हमें खुद भी इस लत से दूर जाने के लिए अपने निजी प्रयास करने होंगे।
ऐसा करने पर ही दुनिया के करीब 27 करोड़ युवा जो कि तम्बाकू के खतरनाक दलदल में फंसे हैं, वे आने वाले दूसरे युवाओं के लिए इसकी जगह नहीं बनाएंगे वरना यह सिलसिला भी जारी रहेगा और उपदेशों की रस्म अदायगी भी जारी रहेगी। युवाओं का तम्बाकू की लत से दूर होना इसलिए जरूरी है क्योंकि तम्बाकू की लत के कारण युवाओं की 25 से 30 फीसदी की श्रमशक्ति जाया हो रही है। हर साल तम्बाकू के अलग-अलग तरीकों के इस्तेमाल से जो 60 लाख से ज्यादा लोग असमय मौत के मुंह में समा रहे हैं। उनमें एक तिहाई से ज्यादा संख्या नौजवानों की है।
Read more: CardioVascular Diseases: भारतीयों को चपेट में ले रहा है कार्डियोवस्कुलर डिसीज

चंगुल में फंसी रहे वर्क फोर्स
हाल के सालों में जबड़े के कैंसर को शिकार सबसे ज्यादा युवा हुए हैं। इसलिए जल्द से जल्द युवाओं को इस दलदल से बाहर निकालना होगा, नहीं तो 2030-31 के बाद एक ऐसी स्थिति आ खड़ी हो सकती है कि जब इस तरह की लत के चलते न सिर्फ बड़ी संख्या में वर्क फोर्स इसके चंगुल में फंसी रहे बल्कि भविष्य की वैश्विक युवा फोर्स को भी इससे नुकसान होगा।
तम्बाकू की युवा शक्ति पर मार के कारण ही विश्व स्वास्थ्य संगठन और दुनिया के कई दूसरे मंचों ने अलग-अलग मौकों पर सिविल सोसाइटी से आह्वान किया है कि वे युवाओं को इस जहर से दूर रखने में मदद करें। यह जरूरी भी है क्योंकि किसी भी देश की श्रमशक्ति के ही नहीं बल्कि उसकी भविष्य संबंधी सोच, विचार के केंद्र में युवा ही होते है। लब्बोलुआब यह कि युवाओं को हर हाल में अपने भले के लिए, दुनिया की भलाई के लिए और आने वाली पीढ़ियों की भलाई के लिए तम्बाकू के नशे से दूर आना होगा।
- Content Marketing : भारत में तेजी से बढ़ रहा है कंटेंट मार्केटिंग का क्रेज - January 22, 2025
- Black Magic Hathras: ‘काले जादू’ के नाम पर 9 वर्ष के बच्चे की बलि - January 18, 2025
- Digital Marketing: आपके व्यवसाय की सफलता की कुंजी ‘डिजिटल मार्केटिंग’ - January 18, 2025