What is Colorectal Cancer: इन खादय पदार्थ की सहायता से हराये कोलन कैंसर को
बदलते समय के साथ-साथ हमारी फूड्स हैबिट भी पूरी तरह बदल रही है। पहले लोग ज्यादा से ज्यादा नेचुरल चीजे जैसे-फल,सब्जियाँ,अनाज,दाले आदि को खाना पसंद करते थे। परन्तु आज ऐसा नहीं है आज के समय में हर इंसान अपने काम में पूरी तरह से व्यस्त रहता है और अपने खाने-पीने का ख्याल नहीं रख पाता और फिर भूख लगने पर बाहर से कुछ भी खरीद कर खा लेता है जिसके चलते कई शारीरिक और मानसिक बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
अकसर लोग अपने पेट में होने वाली समस्याओ को नजरअंदाज कर देते है जो आगे चल कर काफी खतरनाक साबित हो सकता है। कई बार तो पेट की यह मामूली सी लगने वाली समस्या आंत के कैंसर जिसे कोलन कैंसर भी कहा जाता है का रूप ले लेती है। खानपान की गलत आदतों के चलते कोलन कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। समय पे इसके लक्षणों की पहचान और इलाज ना होने के कारण दुनिया भर में हजारो लाखो लोग इसके शिकार हो रहे हैं।
कोलन कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि है जो की बड़ी आतं में शुरू होता है। वैसे तो कोलन कैंसर बड़ी उम्र के लोगो को अपनी चपेट में लेता हैं। परन्तु बदलती जीवनशैली के चलते यह किसी भी उम्र में हो सकता है। कैंसर सबसे पहले बड़ी आतं की वॉल में फिर लिंफ नोड्स में और फिर धीरे -धीरे पूरे शरीर में फैलने लगता है।
जिन लोगों को ज्यादा कब्ज , अल्सरेटिव कोलाइटिस या फिर अकसर पेट में दर्द होता है. उनको कोलन कैंसर होने का खतरा भी ज्यादा रहता है। डॉ के अनुसार कोलन कैंसर दो प्रकार का होता है इसके दो हिस्से होते है लेफ्ट साइड और राइट साइड का कैंसर। लेफ्ट साइड के कैंसर के लक्षणों में पेट में दर्द और रैक्टम में खून आना है। इसमें उल्टी या थकावट होना भी शामिल है, जबकि राइट साइड के कैंसर के लक्षणों में थकावट , कमजोरी और एनीमिया की शिकायत होती है। कई बार कोलन कैंसर जेनेटिक भी सकता है। परन्तु समय रहते अगर इसके लक्षणों को पहचान लिया जाये तो इसका इलाज आसानी से हो जाता हैं।
कोलन कैंसर के लक्षण
1. बिना किसी कारण के बार-बार दस्त या कब्ज का हो जाना।
2. मल को त्यागते समय खून आना।
3.पेट में अक्सर ऐंठन, गैस या दर्द होना।
4. मल त्याग करते समय आंत का पूरी तरह से खाली ना होना।
5. बिना काम किये कमजोरी या थकान होना.
6. बिना किसी कारण के वजन का कम हो जाना।
कोलन कैंसर
1.बड़ी उम्र में कोलन कैंसर का खतरा ज्यादा होता हैं।
2. जेनेटिक कारणो से भी कोलन कैंसर हो सकता हैं।
3. भोजन में फाइबर की मात्रा कम होने और वसा की मात्रा अधिक होने पर भी कोलन कैंसर का खतरा हो सकता है।
4. रोजाना के जीवन में शारीरिक गतिविधी का कम होना भी कोलन कैंसर का कारण हो सकता हैं।
5. मधुमेह या इंसुलिन के रोगियों में भी कोलन कैंसर का खतरा ज्यादा होता हैं।
6. अधिक मोटापा भी कोलन कैंसर का कारण बनता हैं।
7. धूम्रपान या अधिक शराब पिने से भी कोलन कैंसर हो सकता हैं।
कैसे करे कोलन कैंसर का खतरा कम
1. नियमित रूप से हर दिन कम से कम 30 मिनट के लिए जरूर करे व्यायाम या फिर शारीरिक गतिविधी करे ।
2. धूम्रपान करने की आदत बिलकुल बंद कर दे।
3. शराब पीने की आदत जितनी जल्दी हो सके छोड़ दे या फिर शराब पीना बिल्कुल कम कर दें।
4. अपने वजन पर बराबर नजर बनाये रखे और आवश्यकता से अधिक अपने वजन को ना बढ़ने दें।
5. नियमित रूप से डॉ से परामर्श लेते रहे।
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इन खादय पदार्थो को करे अपने भोजन में शामिल
1. रंग -बिरंगे फल और सब्जियाँ जैसे-सेब, जामुन, खरबूजा, आम, संतरे ,नाशपाती ,ब्रोकोली,सेब,पपीता , गोभी, गाजर, फूलगोभी, अजवाइन, खीरे आदि को अपने भोजन में या सलाद बना कर नियमित रूप से सेवन अवश्य करे।
2. अलसी के बीजों में कई तरह के पोषण तत्व शामिल होते हैं। जो की हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यकता होती है। अलसी का नियमित तथा सही रूप से सेवन करने पर हमारा पाचन तंत्र अच्छे से काम करता है और शरीर में किसी भी प्रकार के टॉक्सिन को जमा नहीं होने देता।
3. साबुत अनाज जैसे -गेहूं ,चना,जौ,बाजरा,रागी,मक्का,धान आदि को अपने भोजन का अहम हिस्सा बनाना चाहिए और नियमित रूप से इनका सेवन जरूर करना चाहिए।
4. स्वस्थ फैटी एसिड,मिनरल्स और फाइबर से भरपूर मेवे टाइप 2 मधुमेह और कोलन कैंसर दोनों के खतरे को कम करने में फायदेमंद होते हैं। काजू ,बादाम , हेज़लनट, पिस्ता और मैकाडामिया नट्स आदि मेवे का सेवन अवश्य करे।
5. कोलन कैंसर में लौंग भी कॉफी असरदार है लौंग में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल दोनों ही गुण होते हैं। लौंग को अपने खानपान में नियमित शामिल करने पर कब्ज की समस्या नहीं होती और पेंट साफ होने में भी मदद मिलती हैं।
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