Army Chief Manoj Pande: विनीत व मिलनसार व्यक्तित्व आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे
Army Chief Manoj Pande: आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे के कार्यकाल 30 जून 2024 को खत्म होने वाला है। हाल ही में जनरल मनोज पांडे सेवा विस्तार करके एक महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने जनरल पांडे के सेवा विस्तार का निर्णय लिया था। एक्सटेंशन के बाद अब मनोज पांडे 30 जून तक सेना के चीफ के पद पर बने रहेंगे। आर्मी चीफ पांडे 31 मई को रिटायर होने वाला थे लेकिन इससे पहले ही उन्हें एक्सटेंशन दे दिया गया। उन्होंने 30 अप्रैल 2022 को कार्यभार संभाला था । लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे कोर ऑफ़ इंजीनियर्स में कमीशंड पहले अधिकारी हैं, जो 12-लाख जवानों की मजबूत सेना का नेतृत्व करते हैं।

कमांडिंग-इन-चीफ रहे
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे चीन से बखूबी परिचित हैं। वह उत्तर-पूर्व में पहले 4 ‘गजराज’ कोर कमांडर थे, जो दोनों वास्तविक नियन्त्रण रेखा (एलएसी) और काउंटर-इनसरजेंसी ऑपरेशन्स की निगरानी करती है और इसके बाद वह जून 2021 से जनवरी 2022 तक ईस्टर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ रहे। वह अंडमान एंड निकोबार कमांड के कमांडर-इन-चीफ भी रह चुके हैं। वह देश के 29वें सेना प्रमुख हैं। लेफ्टिनेंट जनरल पांडे कॉम्बैट सपोर्ट आम्र्स (जिसमें इन्फेंट्री, आर्टिलरी व आर्मर्ड कॉम्बैट आम्र्स आते हैं) के भी पहले सदस्य हैं जिन्हें सेना प्रमुख बनने का गौरव प्राप्त है।
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मेहनत, ईमानदारी, साहस के प्रतीक
परम विशिष्ट सेवा मैडल (पीवीएसएम), अति विशिष्ट सेवा मैडल (एवीएसएम) व विशिष्ट सेवा मैडल (वीएसएम) से सम्मानित लेफ्टिनेंट जनरल मनोज चन्द्रशेखर पांडे का जन्म 6 मई 1962 को नागपुर, महाराष्ट्र के एक मराठी परिवार में हुआ था और उन्होंने दिसम्बर 1982 में बॉम्बे सैपर्स कोर ऑफ़ इंजिनियर्स ज्वाइन करके अपने सैन्य सफर का आरंभ किया था, जो उनकी लगन, मेहनत, ईमानदारी, साहस व कर्तव्यनिष्ठा से उन्हें नित नई बुलंदियों पर पहुंचाता रहा, और यह सफर अभी जारी है। लेफ्टिनेंट जनरल पांडे के पिता डा. सीजी पांडे मनोवैज्ञानिक थे जो नागपुर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के प्रमुख बनकर रिटायर हुए। उनकी माता प्रेमा पांडे (दिवंगत) आल इंडिया रेडियो में एनाउंसर व होस्ट थीं।

बैचलर ऑफ़ साइंस की डिग्री लेकर ग्रेजुएट बने
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने सोमलवार हाईस्कूल से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद नेशनल डिफेंस अकादमी (एनडीए) ज्वाइन कर ली, जहां वह बैचलर ऑफ़ साइंस की डिग्री लेकर ग्रेजुएट बने। एनडीए के बाद उन्होंने इंडियन मिलिट्री अकादमी ज्वाइन की और वह एक अधिकारी के रूप में कमीशंड किये गए। इसके बाद उन्होंने पुणे के कॉलेज ऑफ़ मिलिट्री इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ़ टेक्नोलॉजी की डिग्री हासिल की। तीन मई 1987 को लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने अर्चना सल्पेकर से विवाह किया जो गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, नागपुर से गोल्ड मेडलिस्ट हैं, लेकिन अब केवल गृहणी की भूमिका में हैं।

भारतीय वायु सेना में अधिकारी है बेटा
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे व अर्चना का बेटा अक्षय पांडे भारतीय वायु सेना में अधिकारी है। लेफ्टिनेंट जनरल पांडे के भाई केतन पांडे भी भारतीय सेना में कर्नल थे और अब वह अपनी पत्नी के साथ विदेश में रहते हैं। लेफ्टिनेंट जनरल पांडे को चीफ ऑफ़ द आर्मी स्टाफ (सीओएएस) कमंडेशन कार्ड और दो जीओसी-इन-सी कमंडेशन काड्र्स से भी सम्मानित किया जा चुका है। लेफ्टिनेंट जनरल पांडे स्टाफ कॉलेज, काम्बर्ले (यूनाइटेड किंगडम) से भी स्नातक हैं और उन्होंने मऊ के आर्मी वॉर कॉलेज व दिल्ली के नेशनल डिफेंस कॉलेज में हायर कमांड कोर्स भी अटेंड किया है।

विशाल व विविध अनुभव
संयुक्त राष्ट्र के इथियोपिया व इरीट्रिया मिशन में वह चीफ इंजीनियर थे। नियंत्रण रेखा के पास जम्मू कश्मीर के पल्लांवाला सेक्टर में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान 117 इंजीनियर रेजिमेंट की कमांड लेफ्टिनेंट जनरल पांडे के हाथ में ही थी। ऑपरेशन पराक्रम दिसम्बर 2001 के संसद पर आतंकी हमले के बाद लांच किया गया था, जिसके कारण भारत व पाकिस्तान युद्ध की कगार पर पहुंच गए थे। इसके अतिरिक्त उन्होंने स्ट्राइक कोर की इंजीनियर ब्रिगेड, नियन्त्रण रेखा पर इन्फेंट्री ब्रिगेड, पश्चिमी लदाख के ऊपरी क्षेत्र में माउंटेन डिवीज़न और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात कोर आदि को भी कमांड किया है। लेफ्टिनेंट जनरल पांडे के साथियों का कहना है कि वह विनीत व मिलनसार व्यक्ति हैं जिनके पास नियन्त्रण रेखा, वास्तविक नियंत्रण रेखा, उत्तर-पूर्व व लदाख का विशाल व विविध अनुभव है। दूसरे शब्दों में उनके पास चीन व पाकिस्तान की शरारतों को समझने व उनका मुंहतोड़ जवाब देने का पर्याप्त व अच्छा अनुभव है।
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