Bangladesh Hindu Attack -अल्पसंख्यकों को 3,679 बार हमलों का सामना करना पड़ा एक दशक में
Bangladesh Hindu Attack: बांग्लादेश में अल्पसंख्यक अधिकारों पर काम कर रही संस्था एकेएस के अनुसार 2021 से पिछले 9 साल में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को 3,679 बार हमलों का सामना करना पड़ा। इस दौरान 1,678 मामले धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ और हथियारबंद हमलों के सामने आए। इसके अलावा घरों-मकानों में तोड़-फोड़ और आगजनी समेत हिंदू समुदाय को निशाना बनाकर लगातार हमले किए गए हैं। खासकर 2014 के चुनावों में अवामी लीग की जीत के बाद हिंसक घटनाएं बड़े पैमाने पर हुईं, जिनमें हिंदू समुदाय को निशाना बनाया गया।
9 साल में हुए इन हमलों में हिंदू समुदाय के 11 लोगों की जान गई तो 862 लोग जख्मी हुए हैं। बांग्लादेश से लगातार हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की खबर आ रही है। खबर है कि बड़ी संख्या में हिंदू जान बचाने के लिए बांग्लादेश छोड़कर भारत आना चाहता हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के इस्तीफे के बाद पूरे देश में हिंदुओं के घरों, व्यापारिक संस्थानों और मंदिरों पर हमले की खबरें आई हैं। हिंदू बुद्ध ईसाई यूनिटी काउंसिल के हवाले से बताया गया है कि देश के 64 में से 45 जिलों में हिंसा फैल गई है। इस हफ्ते हुई झड़पों में एक स्कूल शिक्षक की मौत हो गई जबकि 45 अन्य घायल हो गए।

2021 के बाद से तेजी
बांग्लादेश में हिंदुओं पर बड़े पैमाने पर हमलों में 2021 के बाद से कहीं तेजी आई हैं। उस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के विरोध में लगभग पूरे बांग्लादेश में हिंसक प्रदशर्न हुए थे। उसके बाद से यह सिलसिला कायम है, जिसमें हाल के घटनाक्रम के बाद नए सिरे से तेजी देखी जा गई है। हालिया समय बांग्लादेश की आबादी में हिंदू लगभग 8 प्रतिशत या लगभग 1.31 करोड़ हिंदू हैं। 1951 में बांग्लादेश की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी 22 फीसदी थी। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार 1964 और 2013 के बीच धार्मिक उत्पीड़न के कारण 1.1 करोड़ से अधिक हिंदू बांग्लादेश से पलायन कर चुके हैं।
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इस्लामी और अवामी लीग पीछे पड़े
हिंदू संगठन ओइक्या परिषद के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव मोनिंद्र कुमार नाथ ने भी हिंदुओं पर अधिक हमलों की आशंका जाहिर की है। बांग्लादेश के हिंदुओं को उनकी मातृभूमि से खदेड़ने का राजनीतिक लक्ष्य 1947 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में शुरू हुआ था, जिसे 1971 में पाकिस्तानी सेना और उसके सहयोगियों द्वारा बेहद दुर्दांत और क्रूरता से अंजाम दिया गया था। अब स्वतंत्र बांग्लादेश में कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी और अवामी लीग विरोधी समूहों हिंदुओं के पीछे पड़े हैं।
बांग्लादेश में निहित संपत्ति अधिनियम (जिसे पहले पाकिस्तानी शासन के दौरान शत्रु संपत्ति अधिनियम के रूप में जाना जाता था) के कारण 1965 और 2006 के बीच हिंदुओं की करीब 26 लाख एकड़ भूमि का अधिग्रहण हुआ था, जिससे 12 लाख हिंदू परिवार प्रभावित हुए। हिंदुओं के खिलाफ कट्टरपंथी आंदोलन 1980 से 1990 के बीच और अधिक बढ़ा। 1990 में अयोध्या में विवादित ढ़ांचा ध्वंस के बाद चटगांव और ढाका में कई हिंदू मंदिरों में आग लगा दी थी।

1.1 करोड़ से अधिक हिंदू भागे
हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार 1964 और 2013 के बीच 1.1 करोड़ से अधिक हिंदू धार्मिक उत्पीड़न के कारण बांग्लादेश से भाग गए। इसमें कहा गया है कि बांग्लादेश में हर साल 2.3 लाख हिंदू देश छोड़कर चले जाते हैं। हसीना के निष्कासन के साथ बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी की राजनीतिक पकड़ और मजबूत हो चुकी है। इससे आशंका को बल मिलता है कि भारत खासकर पश्चिम बंगाल में हिंदू शरणार्थियों की संख्या बढ़ सकती है।
भारत बांग्लादेश के साथ लगभग 4,096 किलोमीटर लंबी जमीन और नदी सीमा साझा करता है। संभवत: यही वजह है कि पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी पहले ही ममता बनर्जी सरकार को बांग्लादेश से आए एक करोड़ हिंदुओं को शरण देने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दे चुके हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं के मंदिर, घर, दुकानों, पांडाल में तोड़फोड़ और लूटपाट की कई खबरें सामने आती रही हैं।
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छात्र आंदोलन के दौरान लूटपाट और दंगे
हाल ही में बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ शुरू हुआ छात्र आंदोलन पूरे देश में बड़े पैमाने पर लूटपाट और दंगों में बदल चुका था। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय विशेषकर हिंदुओं पर हमले हुए। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उग्र भीड़ ने कम से कम 27 जिलों में हिंदुओं के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर हमला किया और उनका कीमती सामान लूट लिया है। बांग्लादेश में हिंदुओं को धर्मनिरपेक्ष बंगाली भावना के प्रति शत्रुता के संकेत के रूप में ऐतिहासिक रूप से अलग-अलग कर समय-समय पर हिंसा का शिकार बनाया गया है।
चूंकि हिंदू समुदाय धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए अवामी लीग का समर्थन करता है, इसलिए उन्हें अवामी लीग के खिलाफ हमले के रूप में भी निशाना बनाया जाता है। बांग्लादेश की 170 मिलियन जनसंख्या में से करीब 8% हिंदुओं की है। बांग्लादेश में हिंदू आमतौर पर शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के लिए वोट करते रहे हैं। आवामी लीग को बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टियों के मुकाबले सेक्युलर पार्टी माना जाता है।
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