Bermuda Triangle: सैटेलाइट को झेलना पड़ता है रेडिएशन का हमला
बरमूडा ट्रायंगल यानि अटलांटिक महासागर में वो इलाका जहां बहुत से विमान और जहाज रहस्यमयी तरीके से गायब हो जाते हैं। सदियों से यह राज जस का तस है। खैर, अंतरिक्ष में भी एक इलाका ऐसा है, जो दक्षिण अटलांटिक महासागर और ब्राजील के ठीक ऊपर के आसमान में है। अंतरिक्ष यात्री इस बरमूडा को साउथ अटलांटिक एनोमली कहते हैं। इस इलाके से गुजरने पर भी अंतरिक्ष यात्रियों को अजीबो-गरीब तजुर्बे होते हैं। नासा के एस्ट्रोनॉट रहे टेरी वर्ट्स को अपने पहले ही स्पेस मिशन में इसका तजुर्बा हुआ था। वे सोने ही जा रहे थे कि आंखों में भयंकर सफेद किरणों से आंखें चकाचौंध हो गई थीं।

पानी की बैग मददगार
इस इलाके से गुजरने वाले सैटेलाइट को रेडिएशन का हमला झेलना पड़ता है। कंप्यूटर सिस्टम काम करना बंद कर देते हैं। अंतरिक्ष यानों के सिस्टम और कंप्यूटरों में खराबी आ जाती है। अंतरिक्ष यात्रियों को भयंकर चमक दिखाई देती है। इस इलाके से गुजरने वाले अंतरिक्ष यान और स्पेस स्टेशन जल्द से जल्द उसके पार निकल जाने की कोशिश करते हैं। रेडिएशन के हमले की वजह से नासा की अंतरिक्ष दूरबीन हबल इस इलाके से गुजरते वक्त काम करना बंद कर देती है। रेडिएशन से बचने का सबसे अच्छा तरीका पानी है। पानी के 23 किलो वजन वाले बैग की मदद से एक दीवार खड़ी करके अंतरिक्ष यात्री रेडिएशन के हमले से खुद को बचाते हैं।
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खूबसूरत कुदरती नजारा
सूरज से चलने वाली विकिरण की इस आंधी की वजह से बेहद खूबसूरत कुदरती नजारा देखने को मिलता है। सूरज और धरती की चुंबकीय किरणें टकराने से ध्रुवों पर हमें हरे रंग की रोशनी फैलती है। उत्तरी ध्रुव पर ये खूबसूरत मंजर देखने के लिए लोग हजारों किलोमीटर का सफर करके पहुंचते हैं। ऐसी तस्वीर धरती से आप देख ही नहीं सकते। सोलर रेडिएशन की अंतरिक्ष में लगातार निगरानी की जाती है। इसके लिए अंतरिक्ष यात्री हमेशा एक रेडिएशन मीटर साथ रखते हैं। बहुत से स्पेस मिशन प्लान किए जा रहे हैं। इसलिए हमें ज्यादा से ज्यादा अक्लमंद मशीनें चाहिए होंगी, जो ऐसे विकिरण से खुद ही जूझ सकें।
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भयंकर और जलाने वाली किरणें निकलती हैं
सूरज से हमेशा भयंकर और जलाने वाली किरणें निकलती हैं। इनमें इलेक्ट्रॉन होते हैं और विकिरण (रेडिएशन) भी होता है। जब ये रेडिएशन सूरज की रोशनी के साथ धरती के करीब पहुंचता है, तो धरती के ऊपर स्थित एक परत जिसको वैन एलेन बेल्ट कहते हैं, वो विकिरण को धरती पर आने से रोकती है। जब सूरज से आने वाला ये रेडिएशन धरती की वैन एलेन बेल्ट से टकराता है, तो ये अंतरिक्ष में फैल जाता है। हमारी रक्षा करने वाली ये वैन एलेन बेल्ट धरती के ऊपर एक बराबर नहीं है। वजह यह कि धरती गोल नहीं है। ये ध्रुवों पर चपटी है। वहीं बीच में थोड़ी ज्यादा मोटी है। इस वजह से दक्षिणी ध्रुव के करीब के इलाकों में ये वैन एलेन बेल्ट धरती के ज्यादा करीब आ जाती है। इससे अंतरिक्ष में उसी हिस्से में सूरज से आने वाले रेडिएशन का ज्यादा असर दिखाई देता है।