Canada–US Border – 6 महीनों में उत्तरी सीमा पर 22,399 टकराव की सूचना
Canada–US Border: अमेरिका में कनाडा के रास्ते से गैरकानूनी तरीके से एंट्री करने वाले भारतीयों की संख्या में हालिया समय में तेजी से बढ़ी है। उत्तरी अमेरिकी बॉर्डर पर ऐसे भारतीय प्रवासियों की संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है, जो कनाडा से अमेरिका में एंट्री ले रहे हैं। बिना कागजात के ये लोग यूएस में घुस रहे हैं। अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर पर कड़ी सुरक्षा से बचने के लिए ये लोग कम गश्त वाली उत्तरी सीमा को चुन रहे हैं। भयावह जंगलों और मुश्किल हालात के बावजूद लोग उत्तरी बॉर्डर को चुन रहे हैं।
यहां से सीमा को पार करना जिंदगी को खतरे में डालने जैसा है लेकिन अमेरिका में बेहतर अवसरों की तलाश के लिए लोग तमाम जोखिम उठा रहे हैं। अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (सीबीपी) के आंकड़ों से पता चलता है कि अमेरिका-कनाडा सीमा पर भारतीय प्रवासियों की आमद में तेजी से वृद्धि हुई है। 2023 में सीबीपी ने 97,000 बार लोगों के आने पर उन्हें रोकने की रिपोर्ट की है। ये संख्या 2021 में 2,200 और 2022 में 30,000 थी। उत्तरी सीमा से एंट्री करने वाले भारतीयों की संख्या दक्षिण से प्रवेश करने वालों से अधिक हो गई है। 2023 के पहले 6 महीनों में उत्तरी सीमा पर 22,399 टकराव की सूचना मिली, जबकि दक्षिणी सीमा पर 11,053 मामले सामने आए।

बाइडन प्रशासन की नीति बन रही वजह
माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो मुजफ्फर चिश्ती का कहना है कि कनाडाई सीमा पर क्रॉसिंग में वृद्धि के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की नई प्रवर्तन नीतियां जिम्मेदार हैं। इन नीतियों की वजह से दक्षिणी सीमा पर सुरक्षा कड़ी करते हुए शरण के लिए पात्रता सीमित कर दी गई। ऐसे में लोग उत्तरी सीमा की तरफ जाने लगे। चिश्ती का कहना है कि जो लोग टूरिस्ट वीजा के साथ कनाडा जाते हैं और वहां से अमेरिका में एंट्री चाहते हैं, वे लोग दक्षिणी की तुलना में उत्तरी रूट को चुनते रखते हैं क्योंकि इस पर दक्षिणी सीमा की तरह गहन गश्त नहीं होती है।
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आर्थिक स्थिरता की तलाश
प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में अमेरिका में गैर-दस्तावेजी आप्रवासियों का तीसरा सबसे बड़ा समूह भारतीय थे। एक विशेषज्ञ के अनुसार भारत से कई प्रवासी आर्थिक स्थिरता की तलाश में कनाडा से अमेरिका की यात्रा करते हैं। हालांकि कई बार इस यात्रा की भारी कीमत चुकानी पड़ती है। इस रूट पर सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। कई बार तस्करों और बिचौलियों को हजारों अमेरिकी डॉलर का भुगतान करने के बावजूद अमेरिका में एंट्री नहीं मिल पाती है। यहां तक कि कुछ प्रवासियों को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है।
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नौकरी की चाह में आ रहे हैं भारतीय
विश्लेषकों का कहना है कि ये प्रवासी किसी उत्पीड़न से भागकर नहीं आते हैं बल्कि अपने और अपने परिवार के लिए बेहतर जीवन की तलाश में अमेरिका आना चाहते हैं। चिश्ती ने कहा कि यह भूख से मर रहे लोग नहीं हैं जो शरण मांगने के लिए भारत से अमेरिका आ रहे हैं। दरअसल भारत में सबसे बड़े मुद्दों में से एक शिक्षितों के बीच बेरोजगारी है। भारत में बड़ी संख्या में डिग्री वाले लोग हैं, जिनके पास काम नहीं है। ऐसे में नौकरी की चाह उनको जोखिमभरे रास्तों से अमेरिका आने को मजबूर करती है।
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