Chinese Steel : आयात अप्रैल से दिसंबर के बीच रिकॉर्ड उच्च स्तर पर
Chinese Steel – भारत चीन से आयातित स्टील पर 15% से 25% का अस्थायी कर छह महीनों के भीतर लागू कर सकता है, क्योंकि सस्ते आयात से घरेलू उत्पादकों को गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। स्टील मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने कहा कि चीन से बढ़ता स्टील आयात भारतीय निर्माताओं के लिए गंभीर चुनौती पेश कर रहा है। सरकार भारतीय स्टील उद्योग की सुरक्षा को लेकर दृढ़ संकल्पित है। भारत ने दिसंबर में आकलन शुरू किया कि क्या स्टील आयात को नियंत्रित करने के लिए सेफगार्ड ड्यूटी लगाई जाए। यदि इसे लागू किया जाता है तो यह दो साल तक प्रभावी रह सकता है। अनुचित प्रतिस्पर्धा को रोकने और समान स्तर की प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए 15-25% के बीच सुरक्षा शुल्क पर विचार किया जा रहा है।

घरेलू स्टील की कीमतों में गिरावट
चीन से स्टील का आयात अप्रैल से दिसंबर के बीच रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। इसके परिणामस्वरूप विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में बढ़ते बुनियादी ढांचे पर खर्च के कारण मजबूत स्थानीय मांग होने के बावजूद घरेलू स्टील की कीमतों में गिरावट आई है। भारत की कुछ छोटी मिलों को आयात में वृद्धि के कारण अपने संचालन को कम करना पड़ा और नौकरियों में कटौती पर विचार करना पड़ा है। उद्योग के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा स्टील आयात पर तीव्र कर बढ़ोतरी से समस्याएं और बढ़ सकती हैं, क्योंकि निर्यातक अब भारत को शिपिंग करने की कोशिश करेंगे।

कोरिया-जापान उठाएंगे FTA का लाभ
भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौतों के कारण शुल्क-मुक्त प्रवेश को देखते हुए दक्षिण कोरिया और जापान से आयात दबाव वित्तवर्ष 2026 में बढ़ सकता है, क्योंकि वे अब अमेरिकी माल के लिए वैकल्पिक बाजारों की तलाश कर रहे हैं। इससे घरेलू स्टील कीमतों पर दबाव पड़ सकता है, जो 2026 में उद्योग के मुनाफे को और घटा सकता है। भारत का स्टील निर्यात भी हाल के महीनों में घटा है। मुख्य रूप से वैश्विक मांग में सुस्ती के कारण प्रमुख भारतीय स्टील निर्माताओं को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
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विशेष स्टील उत्पादन की ओर रुख
भारत के सबसे बड़े स्टील निर्माता जेएसडब्लू स्टील ने अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में अपेक्षाकृत अधिक गिरावट दर्ज की। हालांकि संक्षिप्त अवधि की चुनौतियों ने स्टील निर्यात को प्रभावित किया है। भारत अपने स्टील को अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया में बेचने की योजना बना रहा है और निर्माताओं ने उच्च-मूल्य के विशेष स्टील उत्पादन की ओर रुख किया है। उच्च-ग्रेड स्टील अधिक कीमतों पर बिक सकता है और चीन से प्रतिस्पर्धा कम होती है।

कोकिंग कोल के स्रोत भी बदलेंगे
कुमारस्वामी ने कहा कि भारत स्टील उत्पादन के कच्चे माल जैसे कोकिंग कोयले के स्रोतों को भी बदलने की कोशिश कर रहा है और वह कनाडा, रूस, मंगोलिया, मोजाम्बिक और संयुक्त राज्य अमेरिका की ओर देख रहे हैं। पिछले दशक में ऑस्ट्रेलिया भारत को कोकिंग कोयला आपूर्ति करने वाला मुख्य आपूर्तिकर्ता था, जो इन शिपमेंट्स का लगभग 80% था। 2024 में इसका हिस्सा घटकर 62% हो गया, क्योंकि यूएस, रूस और मोजाम्बिक से आपूर्ति ने भारत को विविधीकरण में मदद की। सरकार लो-कार्बन स्टील उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक पीएलआई कार्यक्रम शुरू करे। भारत को अपने स्टील क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन के लिए लगभग 20-25 बिलियन डॉलर का निवेश आवश्यक होगा और यह परिवर्तन ग्रीन बॉन्ड्स, सस्ते वित्तपोषण और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा।
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मेटल का अधिक का उत्पादन करने के लिए प्रेरित
अक्टूबर 2024 में चीन के स्टील उत्पादन में चार महीने की गिरावट को दरकिनार करते हुए सुधार नजर आया था। आर्थिक विकास को फिर से शुरू करने के बीजिंग के प्रयासों के बाद वहां के सेंटीमेंट्स तेज हुए थे। सांख्यिकी ब्यूरो ने जानकारी दी थी कि अच्छे मार्जिन ने स्टील निर्माताओं को मेटल का अधिक का उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया। इससे उत्पादन बढ़कर 8.188 करोड़ टन हो गया था। इसमें सितंबर 2024 की तुलना में 6.2% की वृद्धि और पिछले वर्ष की तुलना में 2.9% की वृद्धि देखने को मिली है। 2023 की तुलना में पहले 10 महीनों में उत्पादन में गिरावट अब 3% तक कम हो गई है। हालांकि कई मिलों को अभी भी नुकसान हो रहा है और प्रॉपर्टी सेक्टर में मांग में कमी जारी है। ऐसे में एनालिस्ट्स ने मैन्यूफैक्चरिंग और राज्य समर्थित निर्माण गतिविधि के ऑर्डर में बढ़ोतरी के साथ-साथ निर्यात में बढ़ोतरी का हवाला दे रहे हैं। फिर भी इंडस्ट्री की लॉन्ग टर्म संभावनाएं निराशाजनक बनी हुई हैं।