Crime: स्वभाव में दिखने लगते है अपराध का स्वरूप
व्यक्ति अपराध क्यों करता है? इसके पीछे कई कारण हैं, अपराध करने के कुछ व्यक्तिगत कारण भी होते है। जिन व्यक्तियों के माता-पिता अपराधी व्यवहार में संलग्न हो तो उनके बच्चो द्वारा भी अपराध करने की संभावना बड़ जाती है। माता-पिता द्वारा अपने बच्चों अच्छी परवरिश या अवश्यकताओं की पूर्ति न करना या फिर नैतिक शिक्षा न दे पाना भी अपराध कारण हो सकता है। इसके अलावा निर्धनता अपराध का सबसे मुख्य कारणों मे से एक है।
व्यक्ति अपनी पत्नी और बच्चों का भरण-पोषण करने में अपने आपको जब असर्मथ पाता है तो वह अपराधी गतिविधियों की और बढ़ने लगता है। उदाहरण को तौर पर औद्योगीकरण और नागरीकरण के कारण मलिन बस्तियां पनपती है। ग्रामीण लोग रोजगार के लिए उद्योगों में काम करने के लिये आते है लेकिन कम आय के कारण उनकी पत्नी- बच्चों का भरण-पोषण नही हो पाता और समुचित आवास की व्यवस्था भी नही हो पाती तो स्थानों पर अधिकांशतः अपराधी प्रवृत्ति पनपने लगती है।

अपराध करने के पीछे कई कारण होते हैं, ये देखना ज़रूरी है कि अपराध करने वाला व्यक्ति किस परिवेश में पला-बढ़ा है, उसकी बचपन से लेकर बड़े होने तक कैसी सोच रही है और उसके आचरण पर उसका कैसे प्रभाव पड़ा है। अपराध करने वालों में बचपन से बड़े होने पर ऐसे संकेत मिलते हैं जहां वे अपने गुस्से पर कंट्रोल नहीं कर पाते और ऐसा अपराध कर बैठते हैं।
तार्किक समझ खो देते हैं अपराधी
कुछ अपराध ऐसे होते है जिन्हें करने की मानसिकता एक दिन में विकसित नहीं होती है बल्कि इसके पैटर्न या स्वरूप स्वभाव में दिखने लगते हैं। ऐसे लोगों के लिए अपनी ज़रूरत को पूरा करना, चीज़ों को नियंत्रण में लेना ही सर्वोपरि हो जाता है और सही-ग़लत का ज्ञान होने के बावजूद वो तार्किक समझ खो देते हैं। अपराध वह नकारात्मक प्रक्रिया है जिसके कारण सामाजिक तत्वों का विनाश होता है। अपराध एक बेहद गंभीर समस्या है जिसे कानूनी एवं सामाजिक दृष्टिकोण से गलत कार्य माना जाता है।
किसी भी देश या राज्य में अपराध की घटनाओं में वृद्धि होने से उस देश की शांति व्यवस्था का खंडन होता है। जिसका सीधा परिणाम कानून व्यवस्था एवं समाज के लोगों पर पड़ता है। इसके कारण सामान्य जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। विश्व के सभी देशों ने एकजुट होकर आपराधिक घटनाओं की रोकथाम के लिए विभिन्न प्रकार के कानून लागू किए हैं। अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले हर व्यक्ति के लिए उचित दंड की व्यवस्था की गई है।
व्यवहार से मिलते हैं संकेत
अपराधी के व्यवहार से ये पता चल सकता है कि एक व्यक्ति अपराध कर सकता है, जैसे-गुस्से पर नियंत्रण न होना (छोटी-छोटी बात पर बहुत ज़्यादा गुस्सा होना, अपने या दूसरे को शारीरिक नुक़सान पहुंचाना), दूसरों को पीड़ा देकर सुकून मिलना, रिश्ते में एक-दूसरे के लिए सम्मान का न होना, एक रिश्ता केवल एक ही व्यक्ति की ज़रूरतों के हिसाब से चले जा रहा है और उसमें दूसरे का मत, इच्छाएं मायने ही ना रखती हों, जहां रिश्ते में एक व्यक्ति का दूसरे पर नियंत्रण होना, व्यवहार में अनियमितता हो या मूड स्विंग हो, यानी बहुत ज्यादा प्यार हो, बहुत गुस्सा, और ये केवल पार्टनर के साथ ही नहीं बल्कि लोगों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार होना, चीज़ें छिपाने की आदत, झूठ बोलना, दूसरों की संवेदना को न समझना आदि। अगर इस तरह के व्यवहार स्वभाव में दिखाई देते हैं तो ये ख़तरे की घंटी हो सकती है, लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं है कि ऐसे व्यवहार वाला व्यक्ति ऐसा जघन्य अपराध करेगा ही।
हत्या, अपहरण, बलात्कार, आतंकवादी गतिविधि
संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आने वाले हर अपराध अत्यंत गंभीर होते हैं। इस प्रकार के अपराध करने वाले अपराधियों को प्रदेश की पुलिस बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकती है। संज्ञेय अपराध में हत्या, अपहरण, बलात्कार, आतंकवादी गतिविधि आदि जैसे अपराध शामिल हैं। यह अपराध इतने अधिक गंभीर होते हैं कि इसमें दोषियों को फांसी या उम्रकैद तक की सजा दी जा सकती है।

संज्ञेय अपराध की श्रेणी में दंड प्रावधान को कुछ इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है कि उसमें अपराधी या संदिग्ध व्यक्तियों को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर लिया जाता है। इसके अलावा संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आने वाले अपराधियों को पुलिस बिना मजिस्ट्रेट की आज्ञा के भी गिरफ्तार कर सकती है।
शराब पीकर झगड़ा करना, मामूली मारपीट या गाली-गलौज
कानून व्यवस्था के अंतर्गत असंज्ञेय अपराध को सामान्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इस तरह के अपराधों में सामाजिक हानि की संभावना कम होती है। असंज्ञेय अपराधों को संगीन अपराधों की श्रेणी में नहीं गिना जाता है। यह वे अपराध होते हैं जिनके अंतर्गत शराब पीकर झगड़ा करना, मामूली मारपीट या गाली-गलौज करना, छोटी-मोटी चोरियां करना, यातायात के नियमों का उल्लंघन करना आदि अपराध होते हैं। असंज्ञेय अपराध करने वाले दोषियों को लघु अवधि के लिए कारावास एवं जुर्माने जैसे दंड के प्रावधान किए गए हैं।
निर्धनता के कारण अपराध
जब कोई व्यक्ति निर्धनता के कारण अपराध करता है तो उस अपराध को आर्थिक अपराध कहा जाता है। आर्थिक अपराध में वह अपराध शामिल हैं जो किसी व्यवसायिक या आर्थिक गतिविधि के दौरान किये जाते हैं। जब व्यक्ति अपने परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ हो जाता है तब वह इस प्रकार के अपराधों की गतिविधियों की ओर बढ़ने लगता है। अधिकतर मामलों में आर्थिक अपराध करने वाले व्यक्तियों का उद्देश्य जनता को नुकसान पहुंचाना नहीं होता वह केवल अपने आर्थिक स्थिति को सुधारने की नियत से इस प्रकार के अपराधों को अंजाम देता है।
अपराध रोकने के उपाय
– नैतिक मूल्यों को आत्मसात करने से अपराध को कम किया जा सकता है। पराध वृद्धि में त्रुटीपूर्ण न्यायिक व्यवस्था, स्कूल में बच्चों को नैतिकता का पाठ नहीं पढ़ाया जाना, माता-पिता के द्वारा बच्चों को घर के पाठशाला में बेहतर संस्कार नही दिया जाना आदि शामिल हैं। इसके अलावा मीडिया का सकारात्मक प्रदर्शन भी समाज को नई दिशा दे सकता है।
– अपराध नियंत्रण एक ऐसी व्यवस्था है जिसके अंतर्गत देश में होने वाली अपराधिक घटनाओं की रोकथाम के लिए विभिन्न प्रकार की नीतियां बनाई जाती हैं। अपराध नियंत्रण सरकार के द्वारा किया जाने वाला एक ऐसा प्रयास है जिससे अपराध को कुछ हद तक कम करने का लक्ष्य बनाया जाता है।
– भारत सहित कई देश शिक्षा के प्रचार एवं प्रसार को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं जिससे लोगों में शिक्षा के प्रति प्रोत्साहन को बढ़ाया जा सके। इसके द्वारा समाज में व्यक्तियों की मानसिकता को बदला जा सकता है। सरकार का मानना है कि लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाकर अपराधिक घटनाओं को कम किया जा सकता है।
– विश्व भर में कई अपराध लोगों की खराब आर्थिक स्थिति के कारण होते हैं। यह एक ऐसा कारक माना जाता है जिसमें व्यक्ति अपने नैतिक मूल्यों का नाश करके अपराध की श्रेणी की ओर बढ़ने लगता है। ऐसे में कई देश की सरकारें व्यक्तिगत रूप से लोगों की आर्थिक उन्नति कर अपराधिक घटनाओं को रोकने का प्रयास करती है।
– अपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए भ्रष्टाचार को खत्म करना एक बेहद अहम प्रयास माना जाता है। इसके अंतर्गत भ्रष्टाचार से संबंधित आपराधिक गतिविधियों को रोका जा सकता है। भ्रष्टाचार के कारण कई लोग अवैध कार्य करने के लिए मजबूर हो जाते है जिसके कारण आपराधिक घटनाओं में वृद्धि होती है।
– कानून व्यवस्था को सख्त करने से देश में हो रही अपराधिक घटनाओं को कम किया जा सकता है। यह एक ऐसा उपाय है जिससे आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों में कानून व्यवस्था के प्रति डर की भावना को बढ़ाया जा सकता है। इससे ना केवल अपराधिक घटनाओं को कम किया जा सकता है बल्कि इससे अपराधियों की परिस्थितियों में सुधार भी लाया जा सकता है।