Foreign Corrupt Practices Act : भ्रष्टाचार प्रैक्टिसेज एक्ट को रोकने के आदेश पर दस्तखत
Foreign Corrupt Practices Act – अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने न्याय विभाग को लगभग आधी सदी पुरानी कानून को लागू करने को रोकने का निर्देश दिया है। अदाणी समूह के खिलाफ रिश्वतखोरी की जांच शुरू करने के लिए इस कानून का ही इस्तेमाल किया गया था। ट्रंप ने 1977 के विदेशी भ्रष्टाचार प्रैक्टिसेज एक्ट (एफसीपीए) को लागू होने को रोकने के आदेश पर दस्तखत कर दिए हैं। यह कानून अमेरिकी कंपनियों और विदेशी कंपनियों को विदेशी सरकारों के अधिकारियों को व्यापार करने या बनाए रखने के लिए रिश्वत देने से रोकता है। ट्रंप ने अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पैम बॉन्डी को एफसीपीए को लागू करने पर रोक लगाने का निर्देश दिया। यह कानून अमेरिकी न्याय विभाग के कुछ सबसे हाई-प्रोफाइल मामलों के केंद्र में था। इसमें भारतीय अरबपति और अदाणी समूह के प्रमुख गौतम अदाणी और उनके भतीजे सागर के खिलाफ आरोप पत्र भी शामिल था।

परियोजना के लिए अरबों डॉलर जुटाए
पिछले वर्ष राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में अमेरिकी न्याय विभाग ने अदाणी पर आरोप लगाया था कि वे सोलर एनर्जी से जुड़े ठेके पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर (लगभग 2,100 करोड़ रुपये) की रिश्वत देने के एक योजना का हिस्सा थे। यह अमेरिकी बैंकों और निवेशकों से छिपाया गया था, जिनसे अदाणी समूह ने परियोजना के लिए अरबों डॉलर जुटाए थे। अभियोजकों ने पिछले वर्ष एफसीपीए का हवाला देते हुए यह आरोप लगाया था कि अगर विदेशी भ्रष्टाचार में अमेरिकी निवेशकों या बाजारों से संबंधित लिंक होते हैं तो इसे आगे बढ़ाने की अनुमति होती है।

समीक्षा करने 180 दिनों का समय
ट्रंप सरकार का यह फैसला अदाणी समूह के लिए एक राहत के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि छह महीने की समीक्षा अवधि के बाद अमेरिकी न्याय विभाग क्या रुख अपनाता है। असल में ट्रंप ने जिस आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, उसमें अटॉर्नी जनरल से एफसीपीए के तहत चल रही जांच और नीतियों की समीक्षा करने के लिए 180 दिनों का समय दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि समीक्षा अवधि के दौरान अटॉर्नी जनरल तब तक कोई नई जांच शुरू नहीं करेंगे, जब तक कि अटॉर्नी जनरल यह न तय कर लें कि किसी खास अपवाद की अनुमति दी जानी चाहिए। इसमें यह भी कहा गया कि सभी मौजूदा जांचों या प्रवर्तन कदमों की विस्तार से समीक्षा की जाए और ऐसे मामलों के संबंध में उचित कार्रवाई की जाए,
ताकि एफपीसीए पर उचित सीमा स्थापित की जा सके और राष्ट्रपति की विदेशी नीति के अधिकारों की रक्षा की जा सके। संशोधित दिशानिर्देशों या नीतियों के जारी होने के बाद अटॉर्नी जनरल यह तय करेंगे कि क्या अतिरिक्त कार्रवाई की आवश्यकता है। यदि राष्ट्रपति की ओर से कार्रवाई की आवश्यकता हो तो वे राष्ट्रपति से ऐसी कार्रवाई की सिफारिश करेंगे। पिछले वर्ष न्याय विभाग ने नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी एज़्योर के एक पूर्व कार्यकारी पर आरोप लगाया था। उस पर अदाणी मामले में रिश्वतखोरी योजना चलाने का आरोप था। हालांकि अदाणी समूह ने आरोपों को बेमतलब बताया था। एज़्योर ने कहा था कि आरोपों में संदर्भित पूर्व कर्मचारी एक साल से अधिक समय से कंपनी से अलग हो गया था।
Read more – Quad Summit: हमारा संदेश स्पष्ट है, क्वाड कायम रहेगा

कांग्रेस के 6 सदस्यों का विरोध
इसके अलावा अमेरिकी कांग्रेस के 6 सदस्यों ने अमेरिकी अटॉर्नी जनरल को पत्र लिखकर संदिग्ध फैसलों के खिलाफ विरोध जताया है, जो अमेरिकी न्याय विभाग ने किए हैं। इनमें अदाणी समूह के खिलाफ रिश्वतखोरी स्कैम में आरोप पत्र दायर करना भी शामिल है, जो भारत के साथ रिश्ते को खतरे में डालता है। लांस गुडन, पैट फॉलन, माइक हारिडोपोलोस, ब्रैंडन गिल, विलियम आर टिम्मन्स और ब्रायन बैबिन ने 10 फरवरी को पैमला बॉन्डी को पत्र लिखकर बाइडन प्रशासन के तहत न्याय विभाग द्वारा किए गए कुछ संदिग्ध फैसलों की ओर ध्यान आकर्षित किया।
- Rupinder Kaur, Organic Farming: फार्मिंग में लाखों कमा रही पंजाब की महिला - March 7, 2025
- Umang Shridhar Designs: ग्रामीण महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर, 2500 महिलाओं को दी ट्रेनिंग - March 7, 2025
- Medha Tadpatrikar and Shirish Phadtare : इको फ्रेंडली स्टार्टअप से सालाना 2 करोड़ का बिजनेस - March 6, 2025