GangaSagar Island: बंगाल की खाड़ी क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन की सबसे तगड़ी मार
गंगा नदी करीब 2,500 किलोमीटर से अधिक के अपने प्रवाह क्षेत्र में प्रदूषण से आहत तो थी ही, अब इसके बंगाल की खाड़ी में समुद्र के समागम स्थल पर भी अस्तित्व का संकट मंडरा रहा है। जलवायु परिवर्तन की सबसे तगड़ी मार बंगाल की खाड़ी क्षेत्र पर पड़ रही है और इसी से गंगासागर द्वीप के गुम होने की आशंका बढ़ गई है। कोलकाता से करीब 100 किलोमीटर दूर गंगासागर सुंदरवन द्वीपसमूह का सबसे बड़ा द्वीप है, जिसकी आबादी सवा दो लाख है। द्वीप की आबादी बढ़ रही है, पर क्षेत्रफल घट रहा है। इसका असर उस समूचे इलाके पर बहुत भयानक है। वर्ष 1969 में गंगासागर द्वीप का क्षेत्रफल 255 वर्ग किलोमीटर था, पर 10 साल बाद यह 246.79 वर्ग किमी रह गया। वर्ष 2009 में यह और घटकर 242.98 वर्ग किमी रह गया। वर्ष 2019 में यह और तेजी से घटकर 230.98 वर्ग किमी रह गया। वर्ष 2022 में इसका क्षेत्रफल और घटकर 224.30 वर्ग किमी रह गया। यानी बीते 52 साल में गंगासागर की 31 वर्ग किमी धरती समुद्र में समा चुकी है।

समुद्र ने गहरे कटाव दर्ज किए
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत काम करने वाले चेन्नई स्थित नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट के आंकड़े बताते हैं कि पश्चिम बंगाल में समुद्री सीमा 534.45 किमी है और इसमें से 60.5 फीसदी अर्थात 323.07 किमी हिस्से में समुद्र ने गहरे कटाव दर्ज किए हैं। इससे पूरे सुंदरवन पर स्थित करीब 102 द्वीप खतरे में हैं। घोरमारा द्वीप पर जब कटाव बढ़ा, तो आबादी गंगासागर की तरफ पलायन करने लगी। ऐसे ही शिकार की कमी से गोसाबा द्वीप के रॉयल बेंगॉल टाइगर गांवों में घुसकर नरभक्षी बन रहे हैं, तब इस द्वीप भी से भाग रहे लोगों का आसरा सागर द्वीप ही है।
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जल-समाधि ले चुका कपिल मुनि मंदिर
चूंकि गंगासागर द्वीप सरकार और समाज की निगाह में है, सो लोगों को लगता है कि यहां बसने से जिंदगी बचेगी। लेकिन द्वीप पर कटाव बढ़ता जा रहा है। कपिल मुनि के मंदिर का ही उदाहरण लें। वर्ष 1437 में स्थापित कपिल मुनि मंदिर दशकों पहले समुद्र में समा गया था। फिर बीती सदी के 70 के दशक में समुद्र से 20 किलोमीटर दूर दूसरा मंदिर बनाया गया, वह भी जल-समाधि ले चुका है। वहां की प्रतिमा को नए मंदिर में स्थापित किया गया, पर समुद्र तट से उस मंदिर का फासला भी अब 300-350 मीटर ही रह गया है।

खिसकती जा रही है जमीन
जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है और ग्लेशियर पिघलने से समुद्र का जल स्तर ऊंचा हो रहा है, गंगासागर की जमीन खिसकती जा रही है। यहां हर साल जल स्तर में औसतन 2.6 मिलीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। पर्यावरण केंद्रित अंतरराष्ट्रीय शोध जर्नल स्प्रिंगर नेचर में 2018 में प्रकाशित एक आलेख के मुताबिक, सागर द्वीप के दक्षिणी भाग में 19.5 फीसदी मौजा (प्रशासनिक इकाइयां) यानी सिबपुर- धबलाट, बंकिमनगर-सुमतिनगर और बेगुआखाली- महिशमारी, जहां की आबादी पूरे द्वीप की 15.33 प्रतिशत है, उच्च जोखिम वाले हैं और यहां जबर्दस्त भूमि कटाव तथा मौसम में बदलाव हो रहा है।
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बिशालक्खीपुर मौजा जलमग्न
तटीय कटाव के कारण गंगासागर के आसपास के चार द्वीप-बेडफोर्ड, लोहाचारा, खासीमारा और सुपरिवांगा पिछले कुछ दशकों में लुप्त हो गए। सागर द्वीप का बिशालक्खीपुर मौजा जलमग्न हो गया है और अत्यधिक कटाव के कारण सागर मौजा रहने लायक नहीं रह गया है। घोरमारा द्वीप भी जल्दी ही जलमग्न हो जाएगा। गंगासागर पर बढ़ते चक्रवाती तूफानों का खतरा है। समुद्र में 0.1 डिग्री तापमान बढ़ने का अर्थ है चक्रवात को अतिरिक्त ऊर्जा मिलना। जबकि आनेवाले दिनों में चक्रवाती तूफानों की संख्या और तीव्रता बढ़नी है।
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