Haryana Election Result 2024 – बगावत के बाद भी बनाकर रखा दबदबा
Haryana Election Result 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे एग्जिट पोल के अनुमान से उलट रहे। राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर में भगवा दल आगे रहा। आमने-सामने के चुनाव में निर्दलीय और छोटे दलों को ज्यादा सीटें नहीं मिलीं, लेकिन तीन निर्दलीय फिर भी विधानसभा पहुंचने में सफल रहे। इन तीनों निर्दलीय ने टिकट नहीं मिलने पर बगावत की थी। इसके बाद कांग्रेस और बीजेपी के बीच सिमटे मुकाबले में भी जीत हासिल की। इन्होंने चुनाव में राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशियों को बड़ी शिकस्त दी।

हिसार में सावित्री जिंदल ने बाजी मारी
जिंदल समूह की चेयरमैन सावित्री जिंदल विधानसभा चुनावों के पहले तक बीजेपी में थी। हिसार से एक बार कांग्रेस से जीतकर विधायक रह चुकी जिंदल की इच्छा चुनाव लड़ने की थी, लेकिन जब बीजेपी ने फिर तीसरी बार मौजूदा विधायक डॉ। कमल गुप्ता को मैदान में उतारा तो वह चुनाव मैदान में उतर गई। सावित्री जिंदल ने लोगों के बीच कह दिया कि यह उनका अंतिम चुनाव है। चुनाव परिणामों में सावित्री जिंदल ने जीत हासिल कर ली। अब देखना होगा कि वह किसे समर्थन देती हैं। यह फिर निर्दलीय रहती हैं।
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बहादुरगढ़ में राजेश जून की शानदार जीत
बहादुरगढ़ विधानसभा सीट से राजेश जून चुनाव लड़ना चाहते थे। वह कांग्रेस में टिकट के प्रबल दावेदार थे, लेकिन जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए। राजेश जून ने बहादुरगढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी के कैंडिडेट दिनेश कौशिक को बड़े अंतर से हराया है, तो वहीं कांग्रेस से लड़े राजिंदर सिंह जून तीसरे नंबर पर चले गए। दिलचस्प होगा यह देखान कि जून अब जीतने के बाद किस ओर जाएंगे?

गन्नौर में देवेंदर कादियान ने जीत हासिल की
गन्नौर सीट से निर्दलीय देवेंदर कादियान ने जीत हासिल की है। कादिया बीजेपी से लड़ना चाहते थे, लेकिन जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह निर्दलीय मैदान में कूद गए। उन्होंने 77 हजार से अधिक वोट हासिल किए। कादियान ने कांग्रेस के बड़े नेता कुलदीप शर्मा के साथ बीजेपी कैंडिडेट देवेंदर कौशिक को शिकस्त दी। देवेंद्र कादियान ने अपनी कैंपेन को गन्नौर का बेटा पर केंद्रित रखा था।
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सत्ता विरोधी लहर के बावजूद कांग्रेस असफल
हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। राज्य की कुल 90 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 48, कांग्रेस को 37, इंडियन नेशनल लोकदल को 2 और निर्दलीय उम्मीदवारों को 3 विधानसभा क्षेत्रों में जीत मिली है। मतदान के बाद आए विभिन्न एक्जिट पोल में हरियाणा कांग्रेस को बहुमत मिलने की संभावना जताई गई थी, लेकिन नतीजे बीजेपी के पक्ष में आए। बीजेपी को पूर्ण बहुमत हासिल हो गया है और वह सरकार बनाने जा रही है।
हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर के बावजूद कांग्रेस असफल क्यों हुई? इसके पीछे प्रमुख कारण पार्टी में बगावत है। कांग्रेस ने कई दावेदारों नेताओं को विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के टिकट नहीं दिए। इससे गुस्साए नेताओं ने बगावत का रास्ता अपना लिया और अपनी ही पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए। बागी उम्मीदवारों में से जीत तो सिर्फ एक के हिस्से में आई, लेकिन बाकी बागी न तो खुद जीते, न ही कांग्रेस के उम्मीदवारों को जीतने दिया। उन्होंने कांग्रेस के वोट काटे जिसका फायदा बीजेपी को मिला।

छोटे दलों को जनता ने नकारा
हरियाणा के नतीजों से पता चलता है कि राज्य की जनता ने छोटे राजनीतिक दलों को पूरी तरह से नकार दिया है। पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी हरियाणा चुनाव में बुरी तरह से हार गयी। चुनाव नतीजों में जेजेपी का खाता भी नहीं खुला। इंडियन नेशनल लोकदल दो विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की है। कुल मिलाकर, छोटे दल और निर्दलीय कुल 90 में से केवल पांच विधानसभा सीटों पर अपनी ताकत दिखा पाये हैं।
भाजपा ने 2019 के राज्य चुनावों में 40 विधानसभा सीटें जीती थीं। अब 48 सीटों पर अपना कब्जा जमा लिया है। हरियाणा में जेजेपी के कार्यकर्ताओं के पलायन का फायदा भाजपा को मिलता दिख रहा है। मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के बाद भाजपा ने जेजेपी के कई विधायकों को अपने पाले में कर लिया था। भाजपा के वोट शेयर में बढ़ोतरी का कारण जेजेपी के जनाधार को भाजपा के पक्ष में जाना माना जा रहा है। आम आदमी पार्टी (आप) को हरियाणा में करीब 1.78 फीसदी वोट मिले।

आप से गठबंधन न करना पड़ा भारी
आप हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहती थी। लेकिन हरियाणा कांग्रेस के क्षत्रप और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आप के साथ गठबंधन का विरोध किया। आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह संकेत देने की कोशिश की कि कांग्रेस उनकी पार्टी के साथ गठबंधन न करके हरियाणा में सत्ता हासिल करने से चूक गयी है। केजरीवाल ने कहा, “चुनाव को लेकर किसी को भी अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए।” कांग्रेस ने वोट शेयर में काफी सुधार किया, लेकिन हरियाणा में पार्टी अभी भी भाजपा से 0।80 प्रतिशत वोट शेयर के साथ पीछे है।
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अति आत्मविश्वास ने कांग्रेस को डुबोया
हरियाणा में कुमारी शैलजा फैक्टर ने भी कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया। कांग्रेस के अभियान में अति आत्मविश्वास की झलक दिखी, क्योंकि उसे लगा कि राज्य पहले से ही उसकी झोली में है। जबकि इससे पहले भी छत्तीसगढ़ में जब सारे ओपिनियन पोल कांग्रेस को जीता रही थी, तब भी पार्टी को हार मिली थी। उस हार को शायद कांग्रेस भूल गयी थी, तभी अति आत्मविश्वास के साथ काम कर रही थी। जबकि भाजपा अपने कथित हार को जीत में बदलने की वह सब कोशिश करने में जुटी रही, जो जरूरी था। भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक पार्टी की सफलता का श्रेय संगठनात्मक मेहनत और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ बेहतर तालमेल का रहा। आरएसएस के प्रचारक ने जिस तरह से घर-घर जाकर कांग्रेस द्वारा फैलाये जा रहे नैरेटिव को दूर करने काम किया वह पार्टी के जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
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