Haryana Politics:जिन नेताओं ने छोड़ी थी पार्टी, टिकट की आस में फिर लौटे
Haryana Politics:हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को आगामी विधानसभा चुनाव में बागियों से बड़ी आस है। कांग्रेस से टिकट न मिलने पर जिन नेताओं ने पार्टी छोड़ी और दूसरी पार्टियों में शामिल होकर कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ ही चुनाव लड़ा, अब वे नेता फिर से कांग्रेस में शामिल होकर सक्रिय हो गए हैं। ये नेता इन दिनों कांग्रेस के पूर्व सीएम के साथ नजर आ रहे हैं। हुड्डा भी इन्हें पूरा भाव दे रहे हैं और मंच से लेकर प्रेस कान्फ्रेंस तक साथ लेकर चल रहे हैं।
पिछले दिनों हिसार के नलवा हलके में हुए प्रदेश स्तरीय गुरु दक्ष प्रजापति सम्मेलन में हुड्डा के इर्दगिर्द ऐसे ही नेता नजर आ रहे है। इसमें नलवा से पूर्व विधायक प्रो। संपत सिंह, बरवाला के पूर्व विधायक राम निवास घोड़ेला, नारनौंद से पूर्व विधायक प्रो। रामभगत शर्मा, सांसद जयप्रकाश जेपी और पूर्व विधायक कुलबीर बेनीवाल शामिल हैं। ये नेता एक बार फिर अपने-अपने विधानसभा से टिकट पाने की जुगत में हैं। ऐसे में पार्टी के लिए ग्राउंड स्तर पर मेहनत कर रहे वर्करों को निराशा हाथ लग रही है।

2019 में कांग्रेस में मची थी भगदड़
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने से कई नेता कांग्रेस का साथ छोड़ गए थे। इस कारण हरियाणा में कांग्रेस 90 विधानसभा सीटों में से महज 30 सीटें ही जीत पाई थी। कांग्रेस से टिकट न मिलने के कारण नेता बागी हो गए थे और निर्दलीय ही कांग्रेस उम्मीदवारों के सामने खड़े हो गए थे। इसके अलावा कुछ नेता भाजपा में शामिल हो गए, मगर वहां भी टिकट नहीं मिल पाया। हालांकि, 2024 का चुनाव आते-आते ये नेता एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। इसमें अंबाला के निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा भी शामिल हैं।

गुटबाजी ने कांग्रेस को डुबोया
कांग्रेस को गुटबाजी की वजह से 2019 के चुनावों में हार मिली थी। यह बात खुद भूपेंद्र हुड्डा ने स्वीकार की। हुड्डा ने कहा था 2019 में ही कांग्रेस की सरकार बनना तय था, लेकिन हमारे स्तर पर ही गलती हुई, जिसका नुकसान उठाना पड़ा। 2019 में 90 विधानसभा में से 40 टिकट हुड्डा विरोधी खेमों को मिली थी। वहीं, 50 टिकट हुड्डा खेमे को दी गईं। नतीजा यह हुआ है कि कांग्रेस 30 सीटों पर ही सिमट गई। इसके बाद हुड्डा ने कहा था कि अगर टिकट वितरण सही होता तो कांग्रेस की सरकार राज्य में बनी होती।
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यह नेता फिर से टिकट की जुगाड़ मे
पूर्व वित्त मंत्री प्रो. संपत सिंह6 बार विधायक रहे संपत सिंह नलवा से टिकट न मिलने के कारण बागी होकर भाजपा में शामिल हो गए थे। इन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना पुराना दोस्त बताया था। नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस को नलवा सीट से हाथ धोना पड़ा।

पूर्व विधायक राम निवास घोड़ेला
बरवाला से कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने थे। 2019 में टिकट नहीं मिली तो बरवाला से निर्दलीय चुनाव लड़ा और कांग्रेस उम्मीदवार से ज्यादा वोट हासिल किए।

पूर्व विधायक रामभगत शर्मा
नारनौंद से पूर्व विधायक रहे रामभगत शर्मा नारनौंद से चुनाव लड़ना चाहते थे। जब टिकट नहीं मिली तो भाजपा में शामिल हुए। इसके बाद भी टिकट कैप्टन अभिमन्यु को मिला। नारनौंद से कैप्टन के हारने के बाद शर्मा फिर से कांग्रेस में आ गए।
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पूर्व विधायक कुलबीर बेनीवाल
कांग्रेस की टिकट पर पहली बार निर्वाचन क्षेत्र भट्टू से विधायक बने, लेकिन बाद में कांग्रेस से बगावत कर इनेलो में शामिल हो गए। अब 2022 में कांग्रेस में फिर से शामिल हो गए।

सांसद जयप्रकाश जेपी
हिसार से मौजूदा सांसद जेपी कांग्रेस से बगावत कर चुके हैं। 2019 में कलायत से टिकट कटा तो निर्दलीय ही मैदान में आ गए। कांग्रेस कलायत सीट हार गई और भाजपा जीत गई। इसके बाद जेपी दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए और लोकसभा टिकट पर चुनाव लड़कर सांसद बन गए। अब इन्हें अपने बेटे के लिए विधानसभा टिकट चाहिए।

पूर्व विधायक निर्मल सिंह
अंबाला से कांग्रेस के नेता निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ चुके हैं। इनकी बेटी अंबाला कैंट से कांग्रेस प्रत्याशी के सामने निर्दलीय चुनाव लड़ी थी। इन्होंने कांग्रेस से ज्यादा वोट लिए और कांग्रेस अंबाला कैंट सीट हार गई।
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