Highway Tourism: देश में सैर-सपाटे की नई तस्वीर देखते ही बनती है
Highway Tourism: हाईवे टूरिज्म देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बहुत बड़े साधन के रूप में उभरा। आज पूरे देश में तेजी से हाईवे टूरिज्म विकसित हो रहा है। अगर इसके आर्थिक कारोबार पर बात करें तो एक अनुमान के मुताबिक हर साल हाईवेज के किनारे खाने पीने और रुकने वाले पर्यटकों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। हिंदुस्तान में वैसे हाईवेज टूरिज्म करीब 3 दशक से भी ज्यादा पुराना है।
वास्तव में जब देश की एकमात्र जनता कार ‘मारुति’ ने सफर का कल्चर निर्मित करना शुरू कर दिया था तभी से देश में न सिर्फ ऑटो क्रांति को पर लगे बल्कि धीरे-धीरे इन सड़कों के किनारे पर्यटन की संस्कृति भी विकसित होने लगी थी। हालांकि 3 दशक पहले यह वैसे संभव नहीं था जैसे आज है। मीलों लम्बी साफ और सपाट सड़कों पर लांग ड्राइव का अपना ही मजा है। यह रोमांच तब और बढ़ जाता है जब इन सैकड़ों मील लम्बे नेशनल हाईवेज के किनारे बीच-बीच में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस मोटेल आपका स्वागत करने के लिए बांहें पसारे खड़े हों। अपने देश में सैर-सपाटे की यह एक बिल्कुल नई तस्वीर है और हर गुजरते दिन के साथ यह चटख हो रही है।

10 लाख करोड़ वार्षिक टर्नओवर की संभावना
आज भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है जहां बहुत बड़ी संख्या में राष्ट्रीय राजमार्गों का जाल बिछा है। नेशनल हाईवेज और एक्सप्रेसवेज इतने अच्छे और विश्व स्तर के विकसित हुए हैं कि अब आप बिना किसी टेंशन के इन राजमार्गों पर अपनी कार के जरिये हवा से बातें करते हुए पर्यटन का आनंद ले सकते हैं। अगर कहा जाए कि उत्तर भारत में सबसे पहले इस पर्यटन को समझा गया और उसमें भी हरियाणा इसकी संभावनाएं परखने वाला सबसे पहला राज्य है तो अतिश्योक्ति न होगी।
साल 2018-19 में यह करीब 3 करोड़ पहुंच चुकी थी। 2020-21 में कोरोना महामारी के चलते पर्यटन क्षेत्र में संकट के बादल रहे लेकिन 21-22 और फिर 22-23 में पर्यटक फिर से घरों से निकले और वहीं 2024 में एक अनुमान के मुताबिक देश में हाईवेज पर्यटन की अर्थव्यवस्था 80 हजार करोड़ रुपये सालाना का आंकड़ा पार कर जायेगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत में हाईवेज पर्यटन 10 लाख करोड़ वार्षिक टर्नओवर से भी आगे पहुंच सकता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में हाईवेज पर्यटन की कितनी जबरदस्त संभावना है। दरअसल नई पीढ़ी सेल्फ ड्राइविंग पर्यटन को अब धीरे-धीरे सबसे ज्यादा तरजीह दे रही है। इसलिए सड़कों के किनारे पर्यटन के फलने-फूलने की अनंत संभावनाएं हैं।
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मोटेल्स में पर्यटन टूर को एंज्वॉय करते हैं पर्यटक
पिछले साल वैष्णो देवी 78 लाख लोग सड़क मार्ग के जरिये पहुंचे। करीब 35 लाख लोग हिमाचल प्रदेश पहुंचे। लगभग 35 से 40 लाख लोग राजस्थान गए जबकि करीब 35 से 40 लाख लोग सड़क मार्ग से पर्यटन के लिए पंजाब गए। इन पर्यटकों में से एक भी पर्यटक हरियाणा के लिए नहीं था, लेकिन क्या आपको मालूम है कि इन सभी पर्यटकों में से करीब 80 फीसदी पर्यटक हरियाणा से होकर अलग-अलग राज्यों को गए और इनका किसी भी दूसरे राज्य के मुकाबले ज्यादा फायदा हरियाणा को मिला। वजह यह कि चाहे राजस्थान जाने वाले पर्यटक हों या हिमाचल, चाहे जम्मू कश्मीर जाने वाले सैलानी रहे हों या पंजाब, इनमें से औसतन सभी पर्यटक डेढ़ से दो बार हरियाणा में रुके। यहां खाया-पीया, विश्राम किया और हाईवेज के किनारे बने मोटेल्स में अपने पर्यटन टूर को एंज्वॉय किया।

34 राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं हरियाणा से
अगर इकोनॉमी के लिहाज से देखें तो भले पंजाब, हिमाचल या जम्मू कश्मीर के मुकाबले पर्यटक हरियाणा बहुत कम आते हों लेकिन पर्यटन से होने वाली आय में हरियाणा इन सभी राज्यों में बेहतर स्थिति में है। इसकी वजह यह है कि हरियाणा काफी पहले ही जान चुका था कि राजमार्ग पर्यटन भविष्य का पर्यटन है। इसलिए हरियाणा जहां से होकर 34 राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं, 11 एक्सप्रेसवे जिनमें तीन नेशनल एक्सप्रेसवे हैं और राज्य में 33 स्टेट हाईवेज भी मौजूद हैं।
इतने सघन रोड नेटवर्क में जो कि करीब 30,000 किलोमीटर के आस-पास का है, हरियाणा राज्य पर्यटन निगम ने सैकड़ों मोटेल बना रखे हैं, जहां हर साल 80 लाख से ज्यादा पर्यटक रुकते हैं और पर्यटक राज्य न होते हुए भी हरियाणा बड़ी संख्या में हाईवेज पर्यटन के जरिये पर्यटन अर्थव्यवस्था का निर्माण करता है।
सबसे पर्यटन फ्रेंडली राज्य राजस्थान
आज हरियाणा का कोई ऐसा शहर नहीं है जहां 3-4 किलोमीटर के आगे-पीछे सड़कों के किनारे शानदार होटल और मोटेल्स मौजूद न हों। हरियाणा एक तरफ जहां राजधानी दिल्ली से जुड़ा हुआ है वहीं दूसरी तरफ देश के सबसे पर्यटन फ्रेंडली राज्य राजस्थान, जो पर्यटकों को अपने प्यारे श्लोगन ‘पधारो म्हारे देश’ से कहकर आमंत्रित करता है, जुड़ा है।
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तीसरी तरफ पंजाब और हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू कश्मीर जाने वाले पर्यटक भी अगर सड़क मार्ग से जा रहे हैं तो आमतौर पर हरियाणा से होकर ही जाते हैं। हरियाणा अपनी इसी केंद्रीय स्थिति का फायदा बहुत अच्छी तरह से उठा रहा है। दिल्ली, जयपुर मार्ग में राजस्थान पर्यटन ने भी हरियाणा से सबक लेते हुए मिड वे जैसी सुविधाएं शुरू कीं, तो दिल्ली से हरियाणा में घुसते ही सड़क किनारे खाने के बेहतरीन ढाबों और विश्राम के लिए शानदार मोटेल्स की लाइन लगी हुई है।
हाईजेनिक फूड और टॉप ब्रांड पेय
सबसे बड़ी बात यह है कि हरियाणा के इन मोटेल्स और रोड किनारे के रेस्टोरेंट और ढाबों में दो दशक पहले से ही बड़ी सहजता से क्रेडिट और डेबिट कार्ड इस्तेमाल होते रहे हैं। शायद इन्हें बनाया ही गया था उन मिडिल क्लास पर्यटकों के लिए जो सड़क मार्ग में अपनी कारों के जरिये अकेले या परिवार के साथ सैर-सपाटे पर जाना पसंद करते हैं। साफ सुथरे मोटेल्स जहां आसानी से हाईजेनिक फूड और दुनिया के टॉप ब्रांड पेय मिलते हैं, बच्चों के लिए तमाम ट्वॉय शॉप्स हैं और खरीदारी के लिए आर्टिफिशियल ज्वैलरी से लेकर तमाम बड़े-बड़े फैशन डिजानरों के शो रूम हैं।