Jammu Kashmir News – जम्मू-कश्मीर में रात 12 बजे तक चुनाव प्रचार
Jammu Kashmir News: वर्ष 1987 के बाद पहला मौका जब सूबा-ए-जम्मू-कश्मीर में अमन-चैन-शांति-सुरक्षा-सियासत और चुनाव एक साथ हैं। सुरक्षाबलों के लिहाफ में जनजा को दूर से ही सलाम करनेवाले नेता अब लोगों के नजदीक जा रहे हैं। हाथ मिला रहे हैं। गले मिल रहे हैं। कभी टोपी उतारकर तो कभी झोली फैलाकर वोट के लिए दुआएं मांग रहे हैं। शायद 40 साल में पहली बार है जब रात 12 बजे तक प्रत्याशी प्रचार कर रहे हैं।नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता और श्रीनगर की जादिबल सीट से उम्मीदवार तनवीर सादिक कहते हैं, पहले दिन में चार बजे तक सब घर लौट जाते थे। तब खतरा था। इन दिनों रात 12 बजे तक प्रचार चलता है।

दरवाजा बंद कर लेते थे लोग
पहले मोहल्ले के प्रमुख चुनाव संभालते थे। प्रत्याशी तो झंडे लेकर मोहल्लों तक भी नहीं जा पाते थे। नेताओं को देखकर लोग घरों में चले जाते थे और दरवाजा बंद कर लेते थे। भले फिर उन्हें ही वोट दें। इस बार लोग हमें अपने घर बुला रहे हैं। हमसे हाथ मिला रहे हैं। हमें चाय के लिए पूछ रहे हैं। और ये भी कह रहे हैं….,अब चुनाव के बाद गायब मत हो जाना। इस बार कश्मीर में सभी नेताओं का जोर डोर टु डोर प्रचार पर है। अनंतनाग के रशीद कहते हैं, पहले प्रत्याशी डोर टु डोर चुनाव प्रचार करने में डरते थे। प्रत्याशियों को डर था, वो गांव और गलियों में जाएंगे तो लोग पत्थर मारेंगे। जनता आतंकी संगठनों और हुर्रियत के कहने पर चुनाव का बायकॉट कर देती थी। इस बार ऐसा कुछ नहीं है। लोग घरों से बाहर आ रहे हैं, उम्मीदवारों को अपने मसले सुना रहे हैं।
Read more: Anti-Incumbency Haryana: एंटी इनकंबेंसी से बचने भाजपा ने बदले चेहरे

1999 के लोस चुनाव में हुआ था हमला
1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सोफी यूसुफ अपने साथी हैदर नुरानी के साथ चुनाव प्रचार कर रहे थे। सोफी खुद बिजबिहेड़ा उपचुनाव के प्रत्याशी थे। उन पर आतंकी हमला हुआ और उसमें हैदर नुरानी और तीन भाजपा कार्यकर्ताओं की मौत हो गई। यह पहला मौका है जब भाजपा और बाकी सभी पार्टियों के नेता बेखौफ प्रचार कर रहे हैं। साउथ कश्मीर के गांव कनहलवन में 1996 का वाकया है।

NC के नेताओं का किया था अपहरण
चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस तब अलगाववादियों और आतंकी संगठनों के निशाने पर थी। उसके नेता मोहम्मद गुलाम श्रीनगर से अपने घर लौट रहे थे। हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने उनका अपहरण कर लिया। दो दिन बाद उनका शव सड़क किनारे पड़ा मिला। इससे पहले उनके घर पर तीन बार आतंकी हमला हो चुका था। इस घटना के बाद उनके परिवार से कोई राजनीति में नहीं गया। उनके भाई अरशद गुलाम कहते हैं, तब नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता कैंडिडेट बनने के बाद अंडरग्राउंड हो जाते थे। न प्रचार करते थे न लोगों से मिलते थे। उन्हें आतंकियों से खतरा था। पीडीपी वाले आतंकियों से मिले हुए थे, तो सिर्फ वही रैलियां करते थे। जब उनके भाई की हत्या हुई तब चुनावों में उनके इलाके में बस 15 प्रतिशत वोट डले थे।
Read more: Manipur Violence: मणिपुर में हाईटेक हथियार आ कहां से रहे हैं ?

विधानसभा में पहुंचेंगे नए चेहरे
इस बार विधानसभा में कई नए चेहरे पहुंचेंगे। इन चुनावों में पहली बार मुफ्ती परिवार की तीसरी पीढ़ी इल्तिजा चुनाव लड़ रही हैं और अब्दुल्ला खानदान की चौथी पीढ़ी यानी उमर अब्दुल्ला के बेटे पहली बार प्रचार कर रहे हैं। भाजपा के अलावा कई नई छोटी-छोटी पार्टियां भी मैदान में हैं, जिनका यह पहला विधानसभा चुनाव है।
- Content Marketing : भारत में तेजी से बढ़ रहा है कंटेंट मार्केटिंग का क्रेज - January 22, 2025
- Black Magic Hathras: ‘काले जादू’ के नाम पर 9 वर्ष के बच्चे की बलि - January 18, 2025
- Digital Marketing: आपके व्यवसाय की सफलता की कुंजी ‘डिजिटल मार्केटिंग’ - January 18, 2025