Kanchanjunga Express Accident: गंभीर रेल दुर्घटनाओं की संख्या में तेजी से गिरावट आई : सरकार
Kanchanjunga Express Accident:कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे के बाद विपक्ष की आलोचना झेल रही सरकार ने रेलवे के बुनियादी ढांचे के विकास और सिस्टम के आधुनिकीकरण, सुरक्षा के लिए कई कदम उठाने का दावा किया है। भारतीय रेल ने बीते वर्षों में कई सुरक्षा उपाय लागू किए हैं। जिसकी वजह से ट्रेन संचालन की सुरक्षा में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। इसके साथ ही रेल दुर्घटनाओं में भी कमी आई है। दुर्घटनाओं में कमी के ग्राफ के मुताबिक, गंभीर रेल दुर्घटनाओं की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। जो 2000-01 में 473 से घटकर 2022-23 में 40 हो गई। जबकि 2004 से 2014 तक गंभीर रेल दुर्घटनाओं की औसत संख्या प्रति वर्ष 171 थी। लेकिन 2014 से 2024 की अवधि में यह घटकर 68 प्रति वर्ष हो गई है।
कई संरचनात्मक और प्रणालीगत सुधार
भारतीय रेल ने 2014 से 2024 तक के 10 वर्षों में भारतीय रेलवे ने सुरक्षा में महत्वपूर्ण निवेश किया है। इसने कई संरचनात्मक और प्रणालीगत सुधार भी किए हैं। जिनका सुरक्षित परिचालन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। वर्ष 2014-24 की अवधि में सुरक्षा संबंधी परियोजनाओं में निवेश 1,78,000 करोड़ रुपए था। जो 2004-14 की अवधि में इसी अवधि में किए गए 70,273 करोड़ रुपए के निवेश से 2।5 गुना अधिक है। सुरक्षा उपायों को और बेहतर बनाने पर निरंतर ध्यान दिया जा रहा है। ट्रैक संबंधी सुधार, सिग्नलिंग संबंधी सुधार, लोकोमोटिव और ट्रेन संबंधी सुधार इस प्रयास का हिस्सा हैं।

राष्ट्रीय स्वचालित ट्रेन सुरक्षा सिस्टम
सुरक्षा से जुड़े अन्य उपायों में कवच प्रणाली महत्वपूर्ण है। यह राष्ट्रीय स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) सिस्टम के रूप में अपनाई गई है। यह सिस्टम लोको पायलट की मदद करता है और अगर पायलट ब्रेक नहीं लगाता है, तो यह सिस्टम अपने आप ब्रेक लगा देता है। यह सिस्टम खराब मौसम में भी सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करता है। कवच को अब तक 1,465 आरकेएम और 121 लोकोमोटिव पर लागू किया गया है। इसके साथ ही ट्रेन सुरक्षा में और भी सुधार के लिए 6,586 स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की गई। वहीं, ट्रैक की सुरक्षा और रखरखाव के लिए एडवांस्ड ट्रैक रिकॉर्डिंग कारों का उपयोग किया जा रहा है।जो पहले से तेज और अधिक विश्वसनीय हैं। 31 मई 2023 तक 6,609 स्टेशनों पर पूरा ट्रैक सर्किटिंग किया गया है। रेल के अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग के माध्यम से समस्याओं की पहचान की जा रही है। इससे भी ट्रैक की सुरक्षा की पुष्टि होती है।
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कांग्रेस ने वैष्णव का मांगा इस्तीफा
पश्चिम बंगाल में हुए रेल हादसे को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इस हादसे के लिए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है। उन्होंने कहा कि वैषणव को मंत्री पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि देश में लगभग हर व्यक्ति का रेल से जुड़ाव रहा है। रेल हिंदुस्तान की जीवन रेखा है। यह आवागमन का एक सस्ता साधन हुआ करता था और लोगों को विश्वास रहता था कि वो गंतव्य तक पहुंच जाएंगे। लेकिन आज यात्रियों के मन में शंका रहती है कि गंतव्य तक वो सुरक्षित पहुंचेगे अथवा नहीं। ये कीर्तिमान नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने स्थापित किया है।

बालासोर रेल हादसे में 296 लोगों की मौत हुई थी
श्रीनेत ने कहा कि ठीक एक साल पहले, जून 2023 में बालासोर रेल हादसे में 296 लोगों की मौत हुई थी और 900 से ज़्यादा बुरी तरह घायल हुए थे। अब पश्चिम बंगाल में फिर एक रेल हादसा हुआ। जिसमें 15 लोगों की मौत और करीब 40 लोगों के घायल होने की खबर है। पिछले दस साल में 1,117 रेल दुर्घटनाएं हुईं। जिनमें जान-माल का नुकसान हुआ। यानी हर महीने में11 और हर तीन दिन में एक हादसा हुआ है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि रेल मंत्री कुछ वक्त पहले कवच प्रणाली के फायदे समझा रहे थे।
कल हुए हादसे में कवच कहां गया। दस साल में रेल आवागमन का सबसे असुरक्षित साधन बन चुका है। ऐसा इसलिए क्योंकि नरेंद्र मोदी और उनके मंत्री को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। श्रीनेत ने कहा कि रेलवे में 3.12 लाख से ज्यादा पद खाली हैं। लोको पायलट के करीब 20।5 प्रतिशत और सहायक लोको पायलट के 7.5 प्रतिशत पद खाली हैं। लोको पायलट पर काम का दबाव होता है। जिसके चलते चूक होती है। ट्रेनों की इतनी किल्लत है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में दो करोड़ सत्तर लाख यात्री वेटिंग लिस्ट में होने की वजह से यात्रा नहीं कर पाए।
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