Lok Sabha Polls: 47.1 करोड़ से ज्यादा होगी महिला मतदाताओं की संख्या
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छ्त्तीसगढ़ में सत्तासीन हुई भाजपा की बड़ी जीत में महिला वोटर्स बड़ा योगदान रहा था। ऐसे में देश में आधी आबादी की बढ़ी संख्या को देखते हुए भाजपा समेत सभी पार्टियों ने लोकसभा चुनाव में महिला वोटर्स को साधने के लिए कवायद शुरू कर दी है। पिछले कुछ साल में महिला वोटर्स के बढ़ते महत्व को देखते हुए पीएम मोदी ने महिलाओं के सशक्तीकरण और सामाजिक उत्थान के लिए कई बड़े फैसले किए हैं. इनमें महिला आरक्षण कानून, मुफ्त एलपीजी सिलेंडर और 2024-25 अंतरिम बजट लैंगिक बजट में 36.6 फीसदी प्रमुख है।
देश के चुनावी इतिहास में पहली बार बड़ी संख्या में महिला वोटर्स हिस्सा लेंगी। जो इस बार जीत की असल सूत्रधार होंगी। अब तक कुल 96.88 करोड़ मतदाता रजिस्टर हो चुके हैं। इनमें 47.1 करोड़ मतदाता महिलाएं हैं। यानी 50 फीसद के करीब। हालिया विधानसभा में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों की तुलना में ज्यादा रहा। यह रुझान बताता है कि लोकसभा चुनाव में भी महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाली हैं। 2019 के चुनाव में सभी दलों के फोकस में युवा मतदाता था। इस बार फोकस बदलता भी दिखाई दे रहा है। राजनीतिक दलों से लेकर केंद्र और सभी राज्य सरकारों का ध्यान महिला उत्थान पर केंद्रित हो चला है।
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महतारी योजना, लाड़ली बहना, महिला सम्मान
छत्तीसगढ़ की महतारी योजना हो या फिर मध्यप्रदेश की लाड़ली बहना, केजरीवाल की महिला सम्मान हो या फिर हिमाचल की सुक्खू सरकार की महिला सशक्तिकरण, लगभग सभी सरकारें 1000 से 1500 रुपये महीना महिलाओं को मासिक खर्च के नाम पर दे रही हैं। सरकारों का मनना है इससे महिलाएं सशक्त होंगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रसोई से लेकर बाजार तक में महिलाओं का आत्मनिर्भर बनाने में जुटे हुए हैं। उनका ताजा ऐलान महिला दिवस पर हुआ, जिसमें रसोई गैस पर दूसरी राहत में 100 रुपये प्रति सिलेंडर दाम कर दिए गए। वहीं राजस्थान से उन्होंने देश की 11 करोड़ महिलाओं से सीधा संवाद किया। यह सभी महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं। राजस्थान में तो यह आयोजन सभी 11,500 ग्राम पंचायतों में किया गया। इरादा साफ था, आत्मनिर्भर बनाने की घुट्टी से स्वा कल्याण करना।
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महिला सशक्तीकरण के लिए कई बड़े फैसले
बीते छह माह में महिला वोटर्स के बढ़ते महत्व को देखते हुए केंद्र सरकार ने महिला सशक्तीकरण और सामाजिक उत्थान के लिए कई बड़े फैसले किए हैं। इनमें महिला आरक्षण कानून, उज्ज्वला योजना में मुफ्त एलपीजी सिलेंडर और 2024-25 अंतरिम बजट के तहत लैंगिक बजट में 38.6 फीसद की वृद्धि प्रमुख है। लखपति दीदी का लक्ष्य भी 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया गया है। कमोबेश देश में आधी आबादी की बढ़ी संख्या को देखते हुए ऐसे प्रयास भाजपा समेत सभी पार्टियों ने शुरू कर दिए हैं। जाहिर यह कवायद लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ही है।

नए मतदाताओं में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं
आगामी लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक संख्या में महिलाएं मतदाता के रूप में पंजीकृत हुई हैं। ईसीआई के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, लोकसभा चुनाव के लिए पंजीकृत लगभग 97 करोड़ मतदाताओं की कुल संख्या में से 47.1 करोड़ महिला मतदाता हैं।
मतदाता सूची में 2.63 करोड़ से अधिक नए मतदाताओं को शामिल किया गया है, जिनमें से लगभग 1.41 करोड़ महिला मतदाता हैं, जो नए नामांकित पुरुष मतदाताओं ( 1.22 करोड़) से 15% अधिक हैं। पिछले एक साल में महिला वोटरों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है। लिंगानुपात जो 2023 में 940 था, 2024 में बढ़कर 948 तक पहुंच गया। महिला मतदाताओं की यह बढ़ी संख्या इस बार सभी राजनीतिक दलों को भाग्यविधाता बनती दिखाई दे रही है।
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