Mango Variety In India: 5 ऐसे आम है जिन्हें मिला हुआ जीआई टैग
भारत में आम के कारोबार की जबरदस्त संभावनाएं हैं। यही कारण है कि बेंग्लुरु, अहमदाबाद, वासी और नासिक में आमों की आधुनिक प्रयोगशालाएं और गोदामें स्थापित की जा रही हैं, जहां वैज्ञानिक तरीके से आमों की नई नई और उन्नत किस्में तो विकसित होंगी ही, आमों की ऐसी पैकिंग भी होनी शुरू होगी, जिससे एक महीने से ज्यादा समय तक पैक किया हुआ आम बिल्कुल तरोताजा बना रहे।
अभी भारत में करीब 20 मीट्रिक टन आम वाष्प ताप उपचार करके दक्षिण कोरिया और जापान को निर्यात होता है। दरअसल इस तरीके से प्रसंस्कृत करके आमों की जो पैकिंग होती है, उससे आम महीनों तक बिल्कुल तरोताजा और स्वादिष्ट रहते हैं। भारत में विश्व विख्यात 75 से ज्यादा आम की किस्में हैं जिनकी मांग दुनिया के अलग अलग देशों में जबरदस्त है। भारत में पांच ऐसे महत्वपूर्ण आम है जिन्हें जीआई टैग मिला हुआ है। आम्रपल्ली, बंगनपल्ली और हिमसागर जैसी आम की किस्में हाल के सालों में मलेशिया से लेकर ब्राजील तक खूब पसंद की गई हैं।

हर साल आमों की प्रदर्शनियां और महोत्सव
दुनिया के अलग अलग देशों में मौजूद भारत के वाणिज्यिक दूतावासों, हाई कमीशनों और राजदूत निवासों में हर साल आमों की प्रदर्शनियां और महोत्सव आयोजित किए जाते हैं। जिनमें उन देशों के महत्वपूर्ण लोगों, कारोबारियों और सेलिब्रिटीज को आमंत्रित करके आमों का स्वाद चखाया जाता है ताकि ये लोग अपने अपने देशों में भारतीय आमों के ब्रांड अंबेस्डर बन सकें। इस तरह देखें तो आने वाले सालों में पूरी दुनिया में भारत के आमों के निर्यात का चमकदार भविष्य मौजूद है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के सहयोग से काम करते हुए एपीडा ने अप्रैल से अगस्त 2023 के बीच कुल 27,330 मीट्रिक टन आम का निर्यात किया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत से आम के कारोबार की कितनी जबरदस्त संभावनाएं हैं। भारत से सबसे ज्यादा आम अमेरिका को निर्यात होता है।
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41 देशों में यह कारोबार फैला
अमेरिका से भारत के लिए सबसे अधिक बादाम आयात होता है। अमेरिका के अलावा दुनिया में आम के लिए जो बड़ी मार्केट बन रही हैं उनमें जापान, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, ईरान, मॉरीशस, चेक गणराज्य और नाइजीरिया जैसे देश भी शामिल हैं। भारत से करीब 179 देशों को आम निर्यात होता है। हालांकि सबसे ज्यादा 41 देशों में यह कारोबार फैला हुआ है। जानकारों का अनुमान है कि अगले एक दशक तक भारत के आमों के पसंदीदा ग्राहकों की संख्या बढ़कर 60 देशों तक हो जायेगी। भारत आज जितना आम निर्यात कर रहा है तब उससे कम से कम तीन गुना ज्यादा कारोबार होगा। मुकेश अंबानी इस मामले में देश के सबसे बारीक नजर वाले बिजनेसमैन हैं। लगभग तीन दशक पहले ही उन्होंने फलों के राजा आम की कारोबारी खुशबू को सूंघ लिया था। इसलिए गुजरात के जामनगर में उन्होंने अपने पिता के नाम पर ‘धीरूभाई अंबानी लखीबाग आमराई’ जैसा शानदार बगीचा लगवाया। इसमें 200 से अधिक आम की किस्में और 1.5 लाख से ज्यादा आम के पेड़ मौजूद हैं।

आम के निर्यात में भी नंबर वन आम
मुकेश अंबानी आम के निर्यात कारोबार में भी दुनिया में नंबर वन हैं और उनकी फलों के राजा के इस कारोबार पर गहरी नजरें गड़ीं हुई हैं ताकि आने वाले वर्षों में वे इसी ऊंचाई पर कायम रहें। आज पूरी दुनिया में रिलायंस का ब्रांडेड आम यानी आरआईएल मैंगो सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। रिलायंस ने वर्ष 1998 में 600 एकड़ में आम का बगीचा लगवाया था। आज वह दुनिया का सबसे बड़ा और फलता-फूलता आम का बगीचा है। इसमें 200 से ज्यादा देसी-विदेशी किस्मों के मशहूर और लज्जतदार आम पैदा होते हैं। यहां के आम ने दुनिया के हर आम पसंद करने वाले देश में अपनी नंबर एक पहचान तथा पोजीशन बना ली है। इस बगीचे में देश के सारे प्रसिद्ध आमों की किस्में मसलन केसर, अल्फोंसो, रत्ना सिंधु, नीलम, आम्रपाली, कोंकण राजा, सुवर्णा, पयारी, लंगड़ा, बंगनपल्ली और हिमसागर तो हैं ही, कई विदेशी आमों की भी मशहूर किस्में मौजूद हैं।
जैसे अमेरिका के फ्लोरिडा का मशहूर आम टॉमी एटकिंस, केंट और इजराइल का लिली, केइट और माया जैसी वैरायटियां भी धीरूभाई अंबानी लखीबाग आमराई में पैदा होती हैं। यहां 1.5 लाख से ज्यादा आम के पेड़ों से हर साल करीब 10 मीट्रिक टन से ज्यादा आम का निर्यात होता है। वैसे उनके इस बागीचे में कई दूसरे फलों के पेड़ भी हैं और वे भी अच्छी खासी पैदावार देते हैं लेकिन इनका यह बगीचा आम तौर पर अपने शानदार और स्वादिष्ट आमों के लिए ही जाना जाता है। भारत में आमों का निर्यात लगातार बढ़ रहा है। पिछले साल मार्च माह में देश से 47।98 मिलियन डॉलर मूल्य के आमों का निर्यात हुआ था जबकि उसके पिछले साल इसी अवधि तक सिर्फ 40।33 मिलियन डॉलर आम का ही निर्यात हुआ था।
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