Manipur Violence – मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने की अपील
Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा की नई घटनाओं के बीच मुख्यमंत्री एन। बीरेन सिंह ने केंद्र से राज्य की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए कदम उठाने की अपील की। सिंह ने केंद्र सरकार से कुकी-जो समूहों द्वारा उठाई गई अलग प्रशासन की मांग के आगे न झुकने का भी आग्रह किया। उन्होंने ये अपील राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को सौंपे ज्ञापन में की। आचार्य को सौंपे ज्ञापन में सिंह ने कहा कि केंद्र को मणिपुर में शांति सुनिश्चित करनी चाहिए और निर्वाचित राज्य सरकार को पर्याप्त शक्तियां देनी चाहिए। सिंह ने परिचालन निलंबन (एसओओ) समझौते को रद्द करने का भी आह्वान किया।
एसओओ समझौते पर केंद्र, मणिपुर सरकार और कुकी उग्रवादी संगठनों के दो समूहों – कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (केएनओ) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते पर 2008 में हस्ताक्षर किये गये थे तथा उसके बाद समय-समय पर इसे बढ़ाया जाता रहा। पुलिस के अनुसार उग्रवादियों ने एक व्यक्ति के घर में घुसकर उसे सोते समय गोली मार दी। हत्या के बाद, संघर्षरत समुदायों के सदस्यों के बीच भारी गोलीबारी हुई, जिसमें चार हथियारबंद लोगों की मौत हो गई। पिछले साल मई से अब तक मैतेई और कुकी के बीच संघर्ष में 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग बेघर हो गये हैं।

बीजेपी में अंदरूनी कलह तेज
मणिपुर में ताजा हिंसा के बीच बीजेपी में अंदरूनी कलह तेज हो गई है। सरकार के मंत्री ही बीरेन सिंह पर केंद्र के दखल को लेकर दबाव बना रहे हैं। इस बीच मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने राज्य सरकार की मांगों को लेकर 16 घंटे में दो बार राज्यपाल एल आचार्य से मुलाकात की है। बताया जाता है इस दौरान बीरेन सिंह ने राज्य में गृह मंत्रालय द्वारा संचालित यूनिफाइड कमांड पर नियंत्रण के अलावा अन्य मांगों की सूची सौंपी है। दूसरी मुलाकात के दौरान बीरेन सिंह के साथ 18 विधायक भी मौजूद थे। इन मांगों को बीरेन सिंह के इस्तीफे की पेशकश और राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। प्रात जानकारी के अनुसार गवर्नर को सौंपी गई मांगों की सूची में प्रमुख रूप से केंद्र सरकार से एकीकृत कमान सौंपने और सरकार व कुकी विद्रोही समूहों के बीच निलंबन समझौते को रद्द करने का आह्वान शामिल है।
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समझौते को समाप्त करने की मांग
जनवरी में आयोजित एक सर्वदलीय बैठक में भी सुरक्षा बलों को विद्रोहियों के खिलाफ पूर्ण पैमाने पर अभियान शुरू करने की अनुमति देने के लिए समझौते को समाप्त करने की मांग की गई थी। एकीकृत कमान मणिपुर में सुरक्षा अभियानों की देखरेख करती है और वर्तमान में इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों, राज्य सुरक्षा सलाहकार और सेना की एक टीम द्वारा नियंत्रित किया जाता है। मणिपुर में यह राजनीतिक घटनाक्रम कुकी उग्रवादियों द्वारा दो स्थानों पर किए गए रॉकेट हमलों में हुई छह लोगों की मौत के बाद शुरू हुआ है।
परिवार के भी निशाने पर बीरेन राज्य में जारी हिंसक घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह सत्तापक्ष के विधायकों के साथ ही अपने परिवार के सदस्यों के भी निशाने पर आ गए हैं। हाल ही में उनके दामाद ने ही उन्हें ‘मूक दर्शक’ करार दिया था और कहा था कि मणिपुर में लगभग 60000 केंद्रीय बलों की मौजूदगी से शांति नहीं मिल रही है। जबकि इस सप्ताह की शुरुआत में, भाजपा विधायक राजकुमार इमो सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर राज्य में तैनात केंद्रीय बलों को हटाने की मांग की थी।

आधुनिक हथियारों से हमला
मणिपुर में यह सबसे खराब स्थिति है, यहां हुई हिंसा की भयावहता का अंदाजा भी लगाना बहुत मुश्किल है। हालिया हमलों में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। उग्रवादी अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं, बमबारी कर रहे हैं। दूसरी तरफ राज्य सरकार के पास नियंत्रण करने के लिए कुछ भी नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा राज्य की शक्ति पूरी तरह से बंद कर दी गयी है। कमोबेश, यह अनुच्छेद 355 को लागू करने जैसा है। वर्तमान में सीएम की कोई शक्ति नहीं है। विपक्ष ने स्थिति से निपटने में केंद्र सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठाया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र सिंह ने सीएम और उनके मंत्रिपरिषद की राज्यपाल से मुलाकात को दिखावा बताया। उन्होंने कहा वे एकीकृत कमान की बहाली की मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार की भूमिका को समझना बहुत कठिन है। वे मणिपुर में हिंसा ख़त्म नहीं करना चाहते। मुझे नहीं पता क्यों? पूरा मणिपुर एक ही सवाल पूछ रहा है।
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