Metropolitan Drugs: ड्रग्स कंज्यूम करने वाले टॉप-10 देशों में है भारत
भारत का कोई ऐसा इलाका नहीं है जो नशे से अछूता हो। नशे के गढ़ बनकर मुंबई, चंड़ीगढ़, बेंगलुरु, दिल्ली, हैदराबाद और चेन्नई जैसे शहर उभरे हैं। अगर इन महानगरों में हाल के सालों में औद्योगिक, फैशन और करिअर संबंधी बूम आया है तो इसी के साथ और इससे भी ज्यादा बूम नशे का आया है। भारत में अधिकांश ड्रग्स अफगानिस्तान से आती है और अफगानिस्तान एक ऐसा लैंडलॉक्ड देश है जिससे तस्करी आसानी से रोकी जा सकती है लेकिन इसके बाद भी तस्करी रुक नहीं रही, लगातार बढ़ती जा रही है। भारत ड्रग्स कंज्यूम करने वाले टॉप-10 देशों में है और मुंबई इस देश का नहीं बल्कि दुनिया के सुपर ड्रग्स बाजार में अहम जगह रखता है।
देश में तो यह पहले नंबर पर है ही। दूसरे नंबर पर बेंगलुरु और तीसरे नंबर हैदराबाद है। पिछले साल 30 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात के 103वें एपीसोड में देश में युवाओं के बीच बढ़ते ड्रग्स के सेवन को लेकर चिंता व्यक्त की थी। इसी सोच के मद्देनजर तीन साल पहले साल 2020 में 15 अगस्त को नशा मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की गई थी जिसमें पिछले साल जुलाई तक 11 करोड़ से ज्यादा लोग जुड़ चुके थे और इस दौरान हर साल लाखों किलोग्राम ड्रग्स नष्ट करने का भी देश में एक अनोखा रिकॉर्ड बनाया था। बावजूद इसके नशे के दलदल में किसी भी तरह की कमी आती नहीं दिख रही।

1,40,000 किलोग्राम से ज्यादा ड्रग्स एकसाथ नष्ट
17 जुलाई, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित ‘ड्रग्स तस्करी एवं राजकीय सुरक्षा’ पर क्षेत्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता करने के दौरान केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा था, ‘नशे की लत सिर्फ व्यक्ति को ही नहीं, उसके परिवार और उसकी आने वाली नस्लों को भी बर्बाद कर देती है।’ इसी सम्मेलन में पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और पंजाब के राज्यपाल व चंड़ीगढ़ के प्रशासक सहित जम्मू कश्मीर और लद्दाख तथा दिल्ली के उप राज्यपाल और ओडिशा के गृह राज्य मंत्री भी शामिल हुए थे। केंद्रीय गृह सचिव, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के महानिदेशक और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों व भारत सरकार के संबंधित मंत्रालयों के अधिकारी भी इस सम्मेलन में उपस्थित हुए थे। इस सम्मेलन के दौरान ही वर्चुअल रूप से नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो से जुड़े सभी राज्यों के एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने 1,40,000 किलोग्राम से ज्यादा ड्रग्स एक साथ एक ही दिन में नष्ट किया था।
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यह अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा एक दिन में नष्ट की गई ड्रग्स की मात्रा है। अगर पिछले पूरे एक साल को देखें तो 10 किलोग्राम से ज्यादा ड्रग्स के बरामद करने और उसे नष्ट करने का काम किया गया है जो कि 12,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की कीमत है। हैरानी की बात यह कि धर पकड़ और कारवाई में इतनी तेजी के बावजूद देश में ड्रग्स का सेवन घटने का नाम नहीं ले रहा। निश्चित रूप से इस काम में अकेले सरकार को कामयाबी नहीं मिलने वाली। समाज के बाकी हिस्सों को भी इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सेदारी करनी पड़ेगी, तभी नई पीढ़ी को और देश के भविष्य को इस दलदल में धंसने से बचाया जा सकता है। पंजाब में नारकोटिक्स विभाग द्वारा साल दर साल जब्ती ड्रग्स के बढ़ते आंकड़ों को देखकर आश्चर्य होता है। मसलन- साल 2017 में नारकोटिक्स विभाग ने 3,67,555 किलोग्राम ड्रग्स बरामद की थी जबकि 2018 में यह आंकड़ा बढ़कर 18,03,137 किलोग्राम, 2019 में 18,66,450 किलोग्राम, साल 2020 में 21,65,150.41 किलोग्राम और 2021 में 45,17,331 किलोग्राम हो गया।
5 सालों में करीब 15 गुना की बढ़ोतरी
इससे पता चलता है कि महज साल 2017 से साल 2021 के बीच ही प्रतिबंधित ड्रग्स की तस्करी में कितनी बढ़ोतरी हुई होगी जब नारकोटिक्स विभाग द्वारा जब्त की गई ड्रग्स में इन 5 सालों में करीब 15 गुना की बढ़ोतरी हो चुकी है। दुनिया के शायद ही किसी और देश में हाल के सालों में इतने बड़े पैमाने पर ड्रग्स पकड़ी गई हो जितनी भारत में पकड़ी जा रही है। भारत सरकार का गृह मंत्रालय लगातार ड्रग्स की तस्करी पर विराम लगाने के लिए हर तरह की सुरक्षा और खुफिया जांच की क्षमता बढ़ाता जा रहा है लेकिन ड्रग्स की तस्करी में कमी नहीं आ रही।

अलबत्ता जब्त ड्रग्स की तादाद ही बढ़ रही है। इससे एक बात तो साफ है कि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद देश में नशीले पदार्थों का सेवन घट नहीं, बढ़ ही रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 20 फीसदी आबादी पूरी तरह से नशे की चपेट में है और इसमें तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इस 20 फीसदी आबादी में 10 साल की उम्र से लेकर 75 साल तक की उम्र के लोग शामिल हैं। सबसे ज्यादा ड्रग्स के दलदल में 15 से 30 साल की उम्र के नौजवान फंसे हुए हैं। अगर विभिन्न सरकारों द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर देखें तो उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब ऐसे राज्य हैं जो सबसे ज्यादा नशे के शिकार हैं।
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28,417 ड्रग्स से संबंधित एफआईआर दर्ज
साल 2019 से 2021 के बीच उत्तर प्रदेश में 31,482, महाराष्ट्र में 28,959 और पंजाब में इस दौरान 28,417 ड्रग्स से संबंधित एफआईआर दर्ज की गई थीं। लेकिन अगर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की आबादी और इनके क्षेत्रफल को देखें तो इन दोनों राज्यों से कहीं ज्यादा नशे के सघन दलदल में पंजाब फंसा हुआ है। पंजाब में ड्रग्स को लेकर पिछले एक दशक से लगातार राजनीतिक बहस-मुबाहिशा, सामाजिक नवजागरण, पुलिस की धर पकड़ के साथ-साथ तमाम गैर सरकारी संगठनों द्वारा नशा उन्मूलन के कार्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं लेकिन पंजाब में नशे के सेवन में जरा भी कमी नहीं आ रही, उल्टे लगातार यह बढ़ ही रही है। साल 2019 में अकेले पंजाब में 11,536 एफआईआर ड्रग्स से संबंधित दर्ज की गई थीं। 2020 में इनमें थोड़ी कमी आयी लेकिन साल 2021-22 में ये 2019 से भी आगे बढ़ गईं।
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