Naxal violence- लोस में गृह राज्यमंत्री बोले- 14 साल में 73 फीसदी घटी हिंसा
Naxal violence: भारत में वामपंथी उग्रवाद लगातार कम हो रहा है। 14 साल में भारत में वामपंथी उग्रवाद से होने वाली हिंसा की घटनाओं में 73 फीसदी तक की गिरावट हुई है। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने यह जानकारी दी। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि वामपंथी हिंसा का क्षेत्र भी काफी हद तक कम हुआ है। 2013 में 10 राज्य के 126 जिले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित थे। अप्रैल 2024 तक नौ राज्य के केवल 38 जिले इस उग्रवाद से प्रभावित माने गए हैं।
लोकसभा में सांसद सतीश गौतम के एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि 2010 के मुकाबले वामपंथी उग्रवादी हिंसा की घटनाओं में 73 फीसदी तक की कमी आई। इसके चलते हिंसा में 2010 में जहां 1005 लोगों और सुरक्षा जवानों की मौत हुई थी। वहीं 2023 में मौतों का आंकड़ा 86 फीसदी कम होकर 138 रह गया। वहीं 30 जून 2024 तक वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में 32 फीसदी और मौतों में 17 फीसदी की भारी कमी आई है।

पाक शरणार्थियों को दिया अधिकार
राय ने कहा कि धारा 370 हटाए जाने से पहले जम्मू-कश्मीर में पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों और उनके वंशजों को जम्मू-कश्मीर का गैर स्थायी निवासी माना जाता था। उनके पास न तो संपत्ति रखने का अधिकार था और न ही राज्य सरकार द्वारा रोजगार का। वह लोग विधान सभा और स्थानीय निकाय चुनावों में वोट नहीं डाल सकते थे। जबकि पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) के विस्थापितों को जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी माना जाता था। धारा 370 हटने के बाद सभी निवासियों को भारत के संविधान के तहत सभी अधिकार दिए गए। इनमें संपत्ति का अधिकार, रोजगार और जम्मू-कश्मीर की विधान सभा और स्थानीय निकाय चुनावों में वोट डालने का अधिकार दिया गया।
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उत्तर पूर्वी राज्यों से हटाया सशस्त्र बल अधिनियम
गृह राज्य मंत्री ने लोकसभा में कहा कि सशस्त्र बल अधिनियम के तहत अशांत क्षेत्रों में काफी कमी आई है। इसे 2014 के बाद से उत्तर पूर्वी राज्यों के कई हिस्सों से हटाया गया है। त्रिपुरा से 27 मई 2015 को अधिनियम पूरी तरह हटा दिया गया। जबकि मेघालय से एक अप्रैल 2018 हटाया गया। असम के चार जिलों को छोड़कर अन्य जिलों से इसे हटा लिया गया है। अरुणाचल प्रदेश में केवल नामसाई जिले के 3 पुलिस स्टेशन क्षेत्रों और 3 अन्य जिलों यानी तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग सशस्त्र बल लागू है।

उत्तर पूर्वी राज्यों में सुधार हुआ
वहीं मणिपुर में 7 जिलों में 19 पुलिस स्टेशन क्षेत्रों से इसे वापस ले लिया गया। नागालैंड में आंशिक रूप से वापस ले लिया गया और अब केवल 8 जिलों में और 5 अन्य जिलों में 21 पुलिस स्टेशन क्षेत्रों में लागू है। राय ने कहा कि 2014 के बाद से उत्तर पूर्वी राज्यों में सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है। 2014 की तुलना में 2023 में उग्रवाद की घटनाओं में 71% की कमी, सुरक्षा बलों के जवानों की मौत की संख्या में 60% की कमी और नागरिक मृत्यु में 82% की कमी आई है। वामपंथी हिंसा का क्षेत्र भी काफी हद तक कम हुआ है।
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2 इनामी नक्सलियों का आत्मसमर्पण
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में दो इनामी नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। जिले में दो नक्सलियों उर्मिला उर्फ सोमड़ी मड़कम और मड़कम सोना ने सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है जिन पर दो-दो लाख रुपये इनाम घोषित है। नक्सलियों के खिलाफ पुलिस दल पर हमला करने और अन्य नक्सली घटनाओं में शामिल होने का आरोप है।
– 2013 में 10 राज्य के 126 जिले प्रभावित थे।
– 2024 अप्रैल तक 7 राज्य के केवल 38 जिले उग्रवाद से प्रभावित माने गए हैं।
– 2010 में 96 जिलों के 465 थाने उग्रवादी हिंसा की रिपोर्ट करते थे
– 2023 में हिंसा की सूचना देने वाले थानों की संख्या 42 जिलों के 171 रह गई।
– 2024 जून तक 30 जिलों के 89 पुलिस स्टेशनों से वामपंथी हिंसा की सूचना मिली।
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