Pakistan Hunger Emergency – खाद्य संकट पर वैश्विक रिपोर्ट-2025 में खुलासा
Pakistan Hunger Emergency: संयुक्त राष्ट्र की खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार नवंबर 2024 से मार्च 2025 तक पाकिस्तान में गंभीर खाद्य असुरक्षा की स्थिति बनी रही। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल करीब 1.1 करोड़ लोग प्रभावित हो सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र की संस्था खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि नवंबर 2024 से मार्च 2025 तक पाकिस्तान में गंभीर खाद्य असुरक्षा (भुखमरी) बनी रही। रिपोर्ट में बताया गया कि करीब 1.1 करोड़ लोगों को इस असुरक्षा सामना करना पड़ सकता है।

68 ग्रामीण जिले की 22 फीसदी आबादी शामिल
एफएओ की ‘खाद्य संकट पर वैश्विक रिपोर्ट-2025’ के मुताबिक, पाकिस्तान के 68 ग्रामीण जिले की 22 फीसदी आबादी को गंभीर खाद्य संकट का सामना करना पड़ सकता है। इसमें खासकर बाढ़ प्रभावित बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा भी शामिल हैं। इसमें से 17 लाख लोग आपात स्थिति में हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 में भूखमरी की स्थिति का सर्वेक्षण किया गया था, तब 3.67 करोड़ लोगों को इसमें शामिल किया गया था। लेकिन 2025 में 5.08 करोड़ लोगों को इसमें शामिल किया गया। इसमें 25 और जिलों को शामिल किया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मौसम की चरम स्थितियां (जैसे बाढ़, सूखा) लोगों की आजीविका को प्रभावित करेंगी। हालांकि, पिछले साल की तुलना में स्थिति कुछ बेहतर रहेगी।
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पोषण सेवाओं की पहुंच भी सीमित
2023 से 2024 के बीच पाकिस्तान में लगभग 1.18 करोड़ लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा का शिकार थे, जो कि 2024 की चरम सीमा (पीक) थी और यह 2023 के बराबर ही रही। 2018 से 2024 की शुरुआत तक बलूचिस्तान और सिंध में गंभीर कुपोषण के मामले लगातार उच्च स्तर पर रहे। वैश्विक तीव्र कुपोषण (जीएएम) का स्तर कई जिलों में 10% से ऊपर और कुछ में 30% से ज्यादा था। पर्याप्त फंड न मिलने के कारण पोषण सेवाओं की पहुंच भी सीमित रही।

21 लाख बच्चों को कुपोषण का सामना करना पड़ा
2025 में जलवायु आपदाएं और गंभीर खाद्य संकट कुपोषण की पहले से ही गंभीर स्थिति को और बिगाड़ सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 की सर्दियों में (नवंबर 2023 से जनवरी 2024 तक) 1.18 करोड़ लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा का शिकार थे, जिनमें से 22 लाख लोग ‘आपात’ स्थिति में थे। मार्च 2023 से जनवरी 2024 के बीच 6 महीने से 5 साल तक के 21 लाख बच्चों को कुपोषण का सामना करना पड़ा। बच्चों को मिलने वाला भोजन गुणवत्ता और मात्रा दोनों में कम था। सर्दियों में जब खाने की कीमतें बढ़ती हैं और बाजारों तक पहुंच कम हो जाती है, तब यह स्थिति और बिगड़ जाती है।
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कम वजन के बच्चे पैदा होने की घटनाएं ज्यादा
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं में भी कुपोषण बहुत अधिक था, जिसके कारण कम वजन के बच्चे पैदा होने की घटनाएं ज्यादा थीं, खासकर सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में। सर्दियों के दौरान डायरिया, सांस की बीमारी और मलेरिया के मामले बढ़े। स्वच्छ पानी और शौचालय की सुविधाएं भी बाढ़ के बाद कम हो गई हैं। सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में बाधा रही। सड़कों का बंद होना और लोगों को कम स्वास्थ्य जानकारी मुख्य कारण रहे। साथ ही, फंड की कमी के कारण पोषण सेवाओं की स्थिति और खराब हो गई है। रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि 2025 में जलवायु संकट और भोजन की कमी से पहले से ही गंभीर कुपोषण और बढ़ सकता है।
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