PM Jan Aushadhi Yojna: प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना रंग लाई
PM Jan Aushadhi Yojna: वित्तीय वर्ष यानी अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक इन जनऔषधि केंद्रों से 800 करोड़ से ज्यादा की दवाईयां बिकी हैं। इन्हीं दवाईयों को अगर लोग बाजार से खरीदते तो इन्हीं के लिए उन्हें 5 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती। बाजार के जानकारों का मानना है कि जब से इस योजना की शुरुआत हुई है, तब से अब तक लोगों को इस योजना के चलते 13 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का फायदा हो चुका है। कहने का मतलब यह कि अगर उन्हें ये दवाएं स्टोर से नहीं मिलतीं तो उनके लिए 13 हजार करोड़ रुपये और चुकाने पड़ते।
इन जनऔषधि केंद्रों ने आम लोगों की किस हद तक मदद की है, इसे इस बात से जाना जा सकता है कि इन केंद्रों पर महिलाओं को एक रुपये में सेनेट्री नैपकिंस मिल रहे हैं। जब से इन केंद्रों की शुरुआत हुई, अब तक यानी पिछले वित्तीय वर्ष तक 21 करोड़ से ज्यादा सेनेट्री नैपकिंस बिक चुके हैं। जैसे जैसे देश के लोगों को इन औषधि केंद्रों के बारे में जागरूकता बढ़ रही है, इन केंद्रों से बिकने वाली औषधियों की मात्रा भी बढ़ रही है।
साल 2015 में की थी शुरूआत
साल 2015 में 1 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी अपने पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत सरकार द्वारा उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाइयों को बाजार मूल्य से कम पर बेंचे जाने की योजना थी। इसलिए सरकार द्वारा पूरे देश में इसके लिए जनऔषधि केंद्र बनाये गए, जहां आज 1451 दवाएं उपलब्ध हैं। इन औषधि केंद्रों में आज 240 से ज्यादा सर्जिकल सामान भी उपलब्ध हैं। साल 2015 में देशभर में 1000 जन औषधि केंद्र खोलने की योजना से शुरु हुआ यह लक्ष्य आज एक बेहद सफल अभियान बन चुका है। 31 जनवरी 2022 तक देशभर में 8,675 जनऔषधि केंद्र मौजूद थे और 2024-25 तक इन केंद्रों की संख्या 10,500 तक बढ़ाने का लक्ष्य है। माना जा रहा है कि समय से पहले ही यह लक्ष्य पूरा हो जाएगा।
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हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती मिली
केंद्र सरकार की इस योजना से हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को बहुत मजबूती मिली है। आज की तारीख में कैंसर, टीबी, हृदय रोग, डायबिटीज जैसे बीमारियों से लड़ने के लिए जरूरी 800 से ज्यादा दवाईयां इन जनऔषधि केंद्रों में उपलब्ध हैं, जो बाजार की दरों से काफी सस्ती हैं। भारत के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने में इन जनऔषधि केंद्रों का महत्वपूर्ण योगदान है। जनऔषधि केंद्रों ने आम लोगों को उस दहशत से बाहर निकाला है, दवाओं की कीमत की जिस दशहत के चलते गरीब लोग इलाज न कराने की सोचते थे। दरअसल जब इन जनऔषधि केंद्रों में लोग दवा खरीदने पहुंचते हैं तो उन्हें इस बात से बहुत सुखद राहत मिलती है कि यहां मिलने वाली तमाम दवाओं की कीमत बाजार में मिलने वाली दवाओं से 50 से 90 फीसदी तक कम होती है। लेकिन इनकी गुणवत्ता में ऐसा कोई फर्क नहीं होता।

आम लोगों को जोड़ने का काम
ये जनऔषधि केंद्र वास्तव में आम लोगों को दवाओं की दुनिया तक लाने का काम कर रहे हैं। देश का कोई भी नागरिक, हॉस्पिटल, एनजीओ, ट्रस्ट, फॉर्मासिस्ट और डॉक्टर सभी जरूरी शर्तों को पूरी करके औषधि केंद्र खोल सकते हैं। इसके लिए आपके पास अगर 10 बाई 10 स्क्वायर फिट की जगह है तो भी आप यह औषधि केंद्र खोलने के लिए आवेदन कर सकते हैं। जनऔषधि केंद्र में भारत के स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर को एक नई दिशा और आयाम दिया है। इसी की बदौलत आज 50 करोड़ से ज्यादा भारतीय नागरिक आयुष्मान भारत योजना के दायरे में हैं और 3 करोड़ से ज्यादा लोग तो अब तक इसका फायद भी उठा चुके हैं।
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