Ram lalla Photo: आयु हजारों साल, जल से कोई नुकसान नहीं
अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है। रामलला गर्भगृह में विराजमान हो गए हैं और उनकी पहली तस्वीर सामने आई है। समारोह के दौरान गर्भगृह में पीएम नरेंद्र मोदी ने रामलला की पूजा-अर्चना की और इसके बाद मूर्ति पूजा का अनुष्ठान पूरा किया गया। इसी बीच रामलला की मूर्ति की बेहद खास तस्वीर सामने आई है। इस तस्वीर में उनके पूरे स्वरूप को देखा जा सकता है। तस्वीर में रामलला माथे पर तिलक लगाए बेहद सौम्य मुद्रा में दिख रहे हैं। तस्वीर में रामलला के सिर पर स्वर्णमुकुट है और गले में हीरे- मोतियों का हार है। इसके अलावा कानों में कुंडल सुशोभित हैं। हाथ में स्वर्ण धनुष-बाण हैं, रामलला पीली धोती पहने हुए नजर आ रहे हैं।
पुरानी मूर्ति को कराई गई पंचकोसी परिक्रमा
भगवान राम के बाल रूप की मूर्ति को गर्भ गृह में स्थापित कर दिया गया है। तस्वीर में रामलला माथे पर तिलक लगाए बेहद सौम्य मुद्रा में दिख रहे हैं। राम लला के चेहरे पर भक्तों का मन मोह लेने वाली मुस्कान दिखाई दे रही है। मूर्ति की विशेषताएं देखें तो इसमें कई तरह की खूबियां हैं। मूर्ति श्याम शिला से बनाई गई है जिसकी आयु हजारों साल होती है। मूर्ति को जल से कोई नुकसान नहीं होगा। चंदन, रोली आदि लगाने से भी मूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। वहीं रामलला की पुरानी मूर्ति को अयोध्या की पंचकोसी परिक्रमा करायी गई, यहां के मंदिरों में ले जाया गया। इसके बाद उस मूर्ति को भी राम मंदिर के गर्भगृह में नई प्रतिमा के साथ ही रख दिया गया।
200 किलोग्राम है मूर्ति का वजन
मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है। इसकी कुल ऊंचाई 4।24 फीट, जबकि चौड़ाई तीन फीट है। कमल दल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति, हाथ में तीर और धनुष है। कृष्ण शैली में मूर्ति बनाई गई है। मूर्ति के ऊपर स्वास्तिक, ॐ, चक्र, गदा, सूर्य भगवान विराजमान हैं। रामलला के चारों ओर आभामंडल है। श्रीराम की भुजाएं घुटनों तक लंबी हैं। मस्तक सुंदर, आंखें बड़ी और ललाट भव्य है। भगवान राम का दाहिना हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है। मूर्ति में भगवान विष्णु के 10 अवतार दिखाई दे रहे हैं। मूर्ति नीचे एक ओर भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमान जी तो दूसरी ओर गरुड़ जी को उकेरा गया है।
बाल सुलभ कोमलता
मूर्ति में पांच साल के बच्चे की बाल सुलभ कोमलता झलक रही है। मूर्ति को मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अधिकारियों का कहना था कि जिस मूर्ति का चयन हुआ उसमें बालत्व, देवत्व और एक राजकुमार तीनों की छवि दिखाई दे रही है। मूर्ति नीचे एक ओर भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमान जी तो दूसरी ओर गरुड़ जी को उकेरा गया है। रामलला की प्रतिमा के सिर पर सूर्य विराजमान है और वहीं आभामंडल के नीचे राम जी के परम भक्त हनुमान जी बनाए गए हैं।
विष्णु का स्वरूप शालीग्राम पत्थर
इस मूर्ति को कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है जिसे शालीग्राम शिला से बनाया गया है। यह काले रंग का पत्थर होता है। शास्त्रों और धर्म ग्रंथों में शालीग्राम पत्थर को साक्षात भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भगवान विष्णु के ही सातवें अवतार माने गए हैं। शालीग्राम शिला की आयु हजारों साल होती है। यह जल रोधी होती है। चंदन और रोली लगाने से मूर्ति की चमक प्रभावित नहीं होगी।
कमल के आसन पर विराजित
रामलला की मूर्ति को कमल के आसन पर विराजित किया गया है। उनके बाएं हाथ में धनुष होगा और दाहिने हाथ से आशीर्वाद देंगे। सिर पर रामलला को सोने का मुकुट पहनाया जाएगा। वहीं गर्भगृह को अष्टकोण में बनाया गया है। एक तरफ प्रार्थना मंडप और दूसरी तरफ कीर्तन मंडप बनाया गया है। राम मंदिर जब पूरी तरह से बन कर तैयार हो जाएगा तब कीर्तन मंडप में रामधुन होती रहेगी। राम मंदिर का गर्भगृह उसी जगह पर है जहां महाराज विक्रमादित्य ने इसको बनवाया था। रामनवमी के दिन साक्षात सूर्य देव रामलला का अभिषेक करेंगे। हर रामनवमी पर दोपहर 12 बजे सूर्य की किरण शिखर से आकर भगवान श्रीराम के ललाट पर आकर पड़ेंगी।