Small Finance Bank: FD करने से पहले कैलकुलेट जरूर करें
Small Finance Bank: अगर एक निश्चित अवधि तक बिना परेशान हुए आप कुछ पैसे जमा करने की स्थितियां रखते हैं तो यह करना आकर्षक ब्याज दर पाने के लिए अच्छा होता है। लेकिन ऐसा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। मसलन- जब भी बैंक में फिक्स डिपोजिट करने की सोचें तो उसके पहले इस बात पर गहराई से विचार करें कि आप जितने समय तक के लिए फिक्स डिपोजिट कर रहे हैं, उस समय में वाकई पैसा निकालने की जरूरत न पड़े। मतलब यह कि एफडी करने के पहले काफी सोच विचार लें।
एफडी करने से पहले अगर हम कैलकुलेट करें तो पाएंगे कि ज्यादा ब्याज पाने के लिए स्मॉल फाइनेंस बैंक में निवेश करना ज्यादा फायदेमंद होता है। क्योंकि इनसे बेहतर रिटर्न मिलता है। लेकिन ऐसी निवेश योजनाओं पर निवेश करने के पहले अपनी सारी वर्तमान से लेकर अगले उस अवधि तक की परिस्थितियों को अच्छी तरह से समझ लें, जितने समय के लिए आप एफडी करने की सोंच रहे हैं।

आकर्षक और विश्वसनीय निवेश
अगर एफडी की समयवधि में आपको अतिरिक्त परेशानी नहीं होती तो यह निवेश बेहद आकर्षक और विश्वसनीय है। ज्यादा ब्याज पाने के लिए प्राइवेट सेक्टर या स्मॉल फाइनेंस बैंक में निवेश करना सही होता है, लेकिन इसके कुछ जोखिम भी होते हैं। अगर आप अपने खून पसीने की कमाई को किसी भी किस्म से असुरक्षित नहीं करना चाहते तो ऐसी योजनाओं पर निवेश न करें, जहां इंकम के साथ उससे कई गुना ज्यादा जोखिम की स्थितियां हों। बिना सोच-विचार के एफडी करने से फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है।याद रखिए दो तरह की एफडी होती हैं। एक कॉलेबल और दूसरी नॉन कॉलेबल। नॉन कॉलेबल एफडी का मतलब होता है कि आप उसके मैच्योर होने के पहले बैंक से पैसे नहीं निकाल सकते।
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निश्चित राशि निकाल सकते हैं
जबकि कॉलेबल एफडी में खाताधारक फिक्स की गई राशि के एवज में एक निश्चित राशि निकाल सकते हैं या अपनी एफडी कभी भी तुड़वा सकते हैं। ऐसी एफडी कॉलेबल एफडी कहलाती है। हालांकि इस एफडी में भी मैच्योरिटी से पहले रकम निकालने पर बैंक आपसे इसका हर्जाना या कहें जुर्माना वसूलते हैं। लेकिन कॉल करने योग्य एफडी में कोई लॉकिंग अवधि नहीं होती। इसलिए मजबूरी में आप इसका एक हिस्सा या पूरी एफडी की राशि बैंक से निकाल सकते हैं। नॉन कॉलेबल एफडी एक ऐसी एफडी होती है, जिसमें आप उसके मैच्योर होने के पहले किसी भी कीमत पर पैसा नहीं निकाल सकते, बशर्ते कुछ ऐसी स्थितियां न हो गई हों। मसलन-आप दीवालियां घोषित हो गए हों। एफडी कराने वाले शख्स की मृत्यु हो गई हो। इन दुर्लभ परिस्थितियों में नॉन कॉलेबल एफडी से भी पैसे निकाले जा सकते हैं। नॉन कॉलेबल एफडी पर सामान्य एफडी से ज्यादा पैसा इसीलिए मिलता है, क्योंकि तय अवधि तक के लिए इस एफडी में पैसा ब्लॉक रहता है।

टर्म डिपोजिट में तयशुदा राशि जमा करनी होती
आपने अकसर बैंक कर्मियों के मुंह से एफडी के साथ टीडी शब्द भी सुना होगा। टीडी दरअसल एफडी की कैटेगिरी की ही जमा सुविधा होती है, लेकिन इस सुविधा में एक निश्चित समय तक तयशुदा राशि जमा करनी होती है, इसलिए इसे टर्म डिपोजिट या टीडी भी कहते हैं, जिसका हिंदी में मतलब ‘सावधि जमा’ होता है। यह ‘जमा विधि’ विशेषकर उन लोगों के लिए होती है, जो अपनी जमा पर आकर्षक ब्याज चाहते हैं, लेकिन उनके पास फिक्स डिपोजिट करने की एकमुश्त धनराशि नहीं होती, इसलिए उन्हें हर महीने या हर दो महीने अथवा या चार या छह महीने के निश्चित समय अंतराल में एक तय रकम जमा करने की योजना प्रदान की जाती है। नियमित रूप से एक निश्चित समय तक इस नियम के मुताबिक जमा की गई राशि पर बैंक, सामान्य से ज्यादा ब्याज देते हैं।
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नोटिस जमा विधि का इस्तेमाल
हालांकि इसमें नॉन कॉलेबल एफडी या कॉलेबल एफडी से कम ब्याज मिलता है। अगर आपको लगता है कि आप जितने समय तक नियमित रूप से डिपोजिट करने की पॉलिसी ले रहे हैं, उस दौरान आपको कभी बैंक से पैसे वापस लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी, तब तो कोई बात नहीं। लेकिन अगर लगे कि आपको बीच में पैसे वापस निकालने की जरूरत पड़ सकती है, तो ऐसे मामले में नोटिस जमा विधि का इस्तेमाल करना चाहिए यानी पहले से ही बैंक से यह सुविधा ले लेनी चाहिए कि अगर बीच में आपको पैसे की जरूरत पड़ेगी तो एक निश्चित सीमा तक आप बैंक से पैसा वापस ले सकते हैं।
हां, इसके लिए पूर्व में नोटिस देना होगा। इस नोटिस जमा भी कहते हैं। अगर सावधि जमा एक आकर्षक ब्याज के मकसद से की गई है तो कोशिश करें इस तरह की स्थितियां न आएं, ताकि आपको एक आकर्षक रिटर्न मिले। बचत का सालों से एक बहुत पुराना और आकर्षक तरीका रहा है, बैंक एफडी यानी कुछ सालों के लिए बैंक में एक निश्चित रकम को डिपोजिट करना। पहले ऐसी डिपोजिट में यानी एफडी के एवज में बैंक आपको अधिकतम 15 लाख रुपये तक ही एफडी के मैच्योर होने के पहले दिया करते थे, लेकिन अब भारतीय रिजर्व बैंक ने इस नियम को बदल दिया है। अब ग्राहक अपनी फिक्स डिपोजिट के एवज में 1 करोड़ रुपये तक एफडी के मैच्योर होने के पहले ले सकते हैं।
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