Successful Train Trial Run: दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब रेल ब्रिज पर सफल ट्रेन ट्रायल रन
Successful Train Trial Run: कश्मीर घाटी शेष भारत से सीधे रेल मार्ग से जुड़ने के लिए तैयार है। भारतीय रेलवे ने गुरुवार को नवनिर्मित दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब रेल ब्रिज पर सफल ट्रेन ट्रायल रन किया है। यह ब्रिज रामबन जिले के संगलदान को रियासी से जोड़ता है। उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना (यूएसबीआरएल) के तहत संगलदान-रियासी खंड के बीच मेमू ट्रेन का सफल परीक्षण किया गया। इससे पहले रेलवे ने चिनाब रेल ब्रिज पर इंजन का सफलतापूर्वक ट्रायल रन किया था। इस लाइन पर रेल सेवाएं जल्द ही शुरू होंगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर ट्रायल रन की तस्वीर साझा की है।
उन्होंने लिखा कि उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना (यूएसबीआरएल परियोजना) के संगलदान-रियासी खंड के बीच मेमू ट्रेन का सफल परीक्षण हुआ है। यूएसबीआरएल परियोजना के तहत चिनाब रेल ब्रिज का निर्माण सबसे जोखिम भरा चरण था। जिसको भारतीय रेलवे ने पूरा कर लिया है। बताया जा रहा है कि इंदिरा गांधी के कार्यकाल में इस परियोजना का खाका तैयार किया गया था। लेकिन अब जाकर यह परियोजना पूरी हो पाई है।
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इलेक्ट्रिक इंजन से सुरक्षा जांच
यूएसबीआरएल के लिए सभी निर्माण कार्य लगभग पूरे हो चुके हैं। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को संगलदान से रियासी तक इलेक्ट्रिक इंजन के सफल ट्रायल की घोषणा की, जिसमें चिनाब ब्रिज को पार करना भी शामिल था। इससे पहले 46 किमी लंबे संगलदान-रियासी सेक्शन का रेलवे ने इलेक्ट्रिक इंजन से सुरक्षा जांच की थी। जम्मू और कश्मीर को एक वैकल्पिक और विश्वसनीय परिवहन प्रणाली प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना (यूएसबीआरएल) के तहत कश्मीर घाटी को भारतीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ने वाली उधमपुर से बारामुला तक 272 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन सफलतापूर्वक बिछाई है। यह परियोजना भारतीय रेलवे द्वारा स्वतंत्रता के बाद की सबसे चुनौतीपूर्ण परियोजना रही है। निर्बाध और परेशानी मुक्त कनेक्टिविटी प्रदान करने में यूएसबीआरएल परियोजना के महत्व को देखते हुए परियोजना को 2002 में “राष्ट्रीय परियोजना”घोषित किया गया था।

8 कोच मेमू ट्रेन की चला कर ट्रायल
भारतीय रेलवे ने 8 कोच मेमू ट्रेन की को चला कर ट्रायल किया। मेमू ट्रेन ने रामबन जिले के संगलदान और रियासी के बीच करीब 46 किमी. की दूरी तय की। इस दौरान ट्रेन की स्पीड 40 किमी प्रति घंटे की रही। भारतीय रेलवे के अनुसार ट्रेन संगलदान से 12:35 बजे चली और 14:05 बजे रियासी पहुंची। इस दौरान रास्ते में ट्रेन 9 सुरंगों से होकर गुजरी, जिनकी कुल लंबाई 40.787 किमी है। इसके साथ ही सबसे लंबी सुरंग टी-44 11.13 किमी लंबी थी। पहली पूर्ण ट्रेन चिनाब नदी पर दुग्गा और बक्कल स्टेशनों के बीच प्रतिष्ठित पुल को पार कर गई, जो दुनिया का सबसे ऊंचा आर्च रेलवे पुल है।
रियासी, बक्कल, दुग्गा और सावलकोटे स्टेशन जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में स्थित हैं। इस खंड पर विद्युतीकरण कार्य भी किया गया है। 48.1 किमी लंबे बनिहाल-संगलदान खंड सहित यूएसबीआरएल परियोजना का उद्घाटन 20 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री द्वारा किया गया था। 118 किमी लंबे काजीगुंड-बारामूला खंड को कवर करने इस परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन अक्टूबर 2009 में किया गया था। जून 2013 में 18 किमी लंबे बनिहाल-काजीगुंड खंड और जुलाई 2014 में 25 किमी लंबे उधमपुर-कटरा खंड का उद्घाटन किया गया था और आज चिनाब ब्रिज से ट्रेन का सफल संचालन किया गया।

सबसे चुनौतीपूर्ण रेल परियोजना
यह परियोजना आज़ादी के बाद भारतीय रेलवे की सबसे चुनौतीपूर्ण रेल परियोजना है। कश्मीर घाटी के लिए निर्बाध और परेशानी मुक्त कनेक्टिविटी प्रदान करने में यूएसबीआरएल परियोजना के महत्व को देखते हुए, इसे वर्ष 2002 में “राष्ट्रीय परियोजना” घोषित किया गया था। यूएसबीआरएल परियोजना में 38 सुरंगें हैं जिनकी कुल लंबाई 119 किलोमीटर हैं। सबसे लंबी सुरंग (टी-49) की लंबाई 12.75 किलोमीटर है और यह देश की सबसे लंबी परिवहन सुरंग है। पुलों की संख्या 927 है जिनकी कुल लंबाई 13 किलोमीटर है। इन पुलों में प्रतिष्ठित चिनाब पुल की कुल लंबाई 1315 मीटर, आर्क विस्तार 467 मीटर और नदी तल से ऊंचाई 359 मीटर है, जो एफिल टॉवर से लगभग 35 मीटर ऊंचाई पर है और इसे दुनिया का सबसे ऊंचा आर्क रेलवे पुल माना गया है।
यह पुल इस तरह के परीक्षणों की एक श्रृंखला के सफल संचालन के बाद, अब सभी ट्रेन सेवाओं को चलाने के लिए उपलब्ध होगा जो जम्मू क्षेत्र और शेष भारत के साथ कश्मीर घाटी के निर्बाध एकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। यह लोगों और वस्तुओं की आसान आवाजाही को सुविधाजनक बनाकर सामाजिक एकीकरण और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, जिससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा और पर्यटन और व्यापार जैसी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
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ये भी जानें
- – 17 किलोमीटर का भाग बाकी रह गया है इस लंबी रेलवे लाइन का
- – 46 किलोमीटर की विद्युतीकृत लाइन खंड है
- – 40 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से गुजरी मेमू ट्रेन
- – 09 नौ सुरंगों से होकर गुजरी मेमू ट्रेन, सुरंगों की कुल लंबाई 40.787 किलोमीटर है
- – 118 किलोमीटर लंबे काजीगुंड-बारामूला खंड के पहले चरण का उद्घाटन अक्टूबर 2009 में किया गया था।
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