Unemployment in India: 2 दशकों में सरकारी नौकरियों में करीब 14% की कमी
हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों के हिसाब से देखें तो देश में सबसे कम बेरोजगारी उत्तराखंड में है क्योंकि शायद इसका बड़ा कारण यह है कि उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर रोजगार की उम्र वाले लोग नौकरी की तलाश में दूसरे प्रदेशों को चले गए हैं। दूसरी बात यह भी है कि देश में बेरोजगारी का एक बड़ा कारण यह है कि हमारी 60 फीसदी से ज्यादा वर्क फोर्स अनस्किल्ड है यानी उसके पास कोई विशेष हुनर नहीं है।
वह कोई ऐसी सामान्य नौकरी चाहता है जिसमें किसी सामान्य हुनर की भी दरकार न हो। दूसरी तरफ सच्चाई यह भी है कि देश में करीब 72 क्षेत्रों में ढाई करोड़ से ज्यादा ऐसे कुशल और हुनरमंद लोगों की कमी है। यह जरूरत या तो पूरी नहीं हो पा रही या पूरी होती है तो लोग योग्य नहीं हैं। देश में रोजगार के एक संकट का बड़ा कारण यह भी है।

कुछ हजार नौकरियां करोड़ फॉर्म
देखा जाए तो बेरोजगारी से पूरी दुनिया जूझ रही है। हालांकि दूसरे देशों में भारत से स्थितियां भिन्न हैं। अपने यहां एक तो पढ़े लिखे से लेकर गैर पढ़े लिखे तक सभी लोग यह मान लेते हैं कि रोजगार का जिम्मा सिर्फ और सिर्फ सरकार का है। इसलिए देश में हर नौकरी चाहने वाले की पहली प्राथमिकता सरकारी नौकरी है। यह अकारण नहीं है कि रेलवे की तीसरे दर्जे की नौकरी के लिए भी 1 करोड़ फॉर्म जमा हो जाते हैं जबकि नौकरियां महज कुछ हजार ही होती हैं। देश में मौजूदा समय में 7.8 फीसदी से ज्यादा बेरोजगारी की दर है। यह महज आंकड़े की बात है।
सच्चाई यह है कि देश में 17 फीसदी से ज्यादा लोग बेरोजगार हैं क्योंकि 10 फीसदी से ज्यादा लोग रोजगार न होने के बावजूद दूसरे क्षेत्रों में घुसे हुए हैं। एक तरह से ये गुप्त बेरोजगार हैं। अगर बेरोजगारी की इस दर को आंकड़ों में देखें तो हरियाणा, राजस्थान, सिक्किम, बिहार, झारखंड और गोवा में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है। हरियाणा में 26 फीसदी से ज्यादा। राजस्थान में भी 26 फीसदी से ज्यादा। जम्मू कश्मीर में 23 फीसदी से ज्यादा। सिक्किम में 20, बिहार में 18, झारखं में 17.5 और गोवा में 15.9 फीसदी लोग बेरोजगार हैं।
5 करोड़ लोगों को चाहिए रोजगार
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इकोनॉमी का आंकलन है कि भारत में बेरोजगारी की समस्या का कोई हल तभी संभव है जब कम से कम 5 करोड़ लोगों को एक साथ रोजगार मुहैया कराया जाए जो कि कभी भी संभव नहीं होगा। रोजगार की दुनिया में एक और बड़ा परिवर्तन यह देखने को मिल रहा है कि जो क्षेत्र पारंपरिक रूप से पहले सबसे ज्यादा रोजगार उपलब्ध करा रहे थे, अब वे काफी पीछे चले गए हैं और कुछ नये क्षेत्र उभरकर सामने आ रहे हैं, जो पारंपरिक क्षेत्रों के मुकाबले ज्यादा रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं।
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भारत की ताजा आबादी का आंकड़ा 1.4 अरब को पार कर चुका है जबकि रोजगार के आंकड़ों का सच यह है कि पिछले 2 दशकों में केंद्र सरकार की नौकरियों में करीब 14 फीसदी की कमी आयी है। इस समय देश में केंद्र सरकार वाली कुल नौकरियां 40 लाख हैं और उसमें भी 9,85,000 से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। यह आंकड़ा कार्मिक मंत्री जीतेंद्र सिंह ने एक साल पहले संसद में दिया था। जब देश की आबादी लगातार बढ़ रही हो रोजगार की मांग तो बढ़ेगी ही लेकिन अर्थव्यवस्था और संरचनात्मक रोजगार की स्थिति में कुछ ऐसी अव्यवस्था लगातार बनी हुई है कि हर गुजरते साल के साथ रोजगार पाने वाले हाथ बढ़ रहे हैं और रोजगार सिकुड़ रहे हैं।
डिजिटल मार्केटिंग में रोजगार 1,000% से बढ़ा
एक जमाने में पारंपरिक मार्केटिंग क्षेत्र जिसमें मार्केट एग्जीक्यूटिव हमेशा सक्रिय रूप से बाजार क्षेत्र में घूमता रहता था लेकिन पिछले एक दशक में पारंपरिक मार्केटिंग के क्षेत्र से नौकरियां तेजी से सिकुड़ी हैं और ये जाकर डिजिटल मार्केटिंग में समा गई हैं। जी हां, पिछले एक दशक में डिजिटल मार्केटिंग में रोजगार एक हजार फीसदी से ज्यादा बढ़ा है। अब मार्केट एग्जीक्यूटिव को कहीं नहीं जाना, सिर्फ डिजिटल दुनिया में ही दिनभर अपनी मार्केटिंग के समूचे कौशल के साथ बने रहना है। अब मार्केटिंग का तौर तरीका यही है।
पहले जहां बिजनेस पाने के लिए मार्केट में लगातार घूमना पड़ता था, आज ऐसे लोगों को बाजार से कारोबार मिल रहा है यानी टारगेट मिल रहा है, जो कभी किसी से मिले ही नहीं। आज बिना कभी आमने-सामने मिले लोग हर दिन लाखों रुपये का बिजनेस कर रहे हैं। पिछले एक दशक में जहां पारंपरिक मार्केटिंग के क्षेत्र में महज 5 से 7 लाख लोगों को रोजगार मिला है, वहीं डिजिटल मार्केटिंग के क्षेत्र में कम से कम 20 लाख लोगों को रोजगार मिला है।

वास्तव में इंटरनेट दौर की मार्केटिंग बदल गई है। अब न सिर्फ खरीदने बल्कि बेचने का भी सबसे बड़ा बाजार ऑनलाइन ही है। यही वजह है कि उन्हीं लोगों को मार्केट में ज्यादा नौकरियां मिल रही हैं, जो ऑनलाइन मार्केटिंग के एक्सपर्ट हैं, जो टेक्नोलॉजी के सारे गुर बहुत अच्छी तरह से समझते हैं और डिजिटल दुनिया में ग्लोबल टारगेट बहुत अच्छे से सेट कर लेते हैं। कुल मिलाकर इस क्षेत्र में उन्हीं लोगों को अब नौकरियां मिल रही हैं जो इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की कुशलता से सम्पन्न हैं।
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3 से 4 करोड़ नौकरियां दे रहा है रियल सेक्टर
भारत में कुल रोजगार का करीब 90 फीसदी अनौपचारिक क्षेत्र से आता है। इसलिए अनौपारिक या इन्फॉर्मल सेक्टर में बड़ी-बड़ी आदर्शवादी नीतियां बिल्कुल काम नहीं आतीं। वे बगल से होकर निकल जाती हैं। मसलन कोरोना से जबरदस्त प्रभावित होने के बावजूद आज भी रियल सेक्टर देश में 3 से 4 करोड़ नौकरियां दे रहा है लेकिन इस क्षेत्र में कामगारों के लिए सरकारी फाइलों में जो नियम कायदे हैं, वे वहीं तक सीमित हैं।
हकीकत में इस अनौपचारिक क्षेत्र में लोगों को वे सुविधाएं, वे लाभ कहीं मिलते ही नहीं हैं जिनकी चर्चा अक्सर सरकारें करती हैं। मसलन न्यूनतम वेतन, जॉब गारंटी, पेड लीव्स या स्वास्थ्य बीमा जैसे लाभ। इसके बाद भी इस क्षेत्र में कामगारों की कोई कमी नहीं है। कारण यह है कि पारंपरिक तरीके से सम्पूर्ण सुविधाओं से परिपूर्ण रियल सेक्टर में एक लाख लोगों के लिए भी पूरे देश में रोजगार नहीं है। इसलिए बड़ी-बड़ी बातें अपनी जगह हैं, काम करने की व्यावहारिक शर्तें बिल्कुल भिन्न हैं।
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