United Nations: 2030 तक केवल 17% ही हासिल होने की संभावना
United Nations: संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि दुनिया के 7 अरब से अधिक लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से उसके 169 लक्ष्यों में से केवल 17 प्रतिशत लक्ष्य ही 2030 तक हासिल होने की संभावना है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग आधे लक्ष्यों को लेकर ही कुछ प्रगति दिखाई देती है और केवल 17 प्रतिशत लक्ष्य ही हासिल होने की संभावना है। रिपोर्ट में कोरोना महामारी के प्रभावों का भी हवाला देते हुए कहा गया है कि 2019 की तुलना में 2022 में 2।3 करोड़ लोग गरीबी और 10 करोड़ से अधिक लोग भूखमरी की चपेट में आ गये।

दुनियाभर में एक चिंता का विषय गरीबी
गरीबी एक ऐसी समस्या है, जो बीते कई वर्षों से दुनियाभर में एक चिंता का विषय बनी हुई है। पूरी दुनिया में ऐसे कई देश हैं, जहां के लोग गरीबी में अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं। यह लोग इतने गरीब हैं कि अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी इन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लक्ष्य अभी भी बहुत पीछे है। दुनियाभर में केवल 58 प्रतिशत छात्र प्राथमिक विद्यालय स्तर पर पढ़ने में न्यूनतम दक्षता हासिल कर पाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्षय ऊर्जा से बिजली पैदा करने की वैश्विक क्षमता पिछले पांच वर्ष से अभूतपूर्व 8.1 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ रही है। गुतारेस ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और हरित और डिजिटल बदलावों की दिशा में अधिक कदम उठाये जाने का आह्वान किया। उन्होंने गाजा से लेकर यूक्रेन, सूडान और अन्य जगहों पर युद्ध समाप्त करने के लिए प्रयास करने का भी आह्वान किया।
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भविष्य का ब्लूप्रिन्ट तैयार
वर्ष 2015 में टिकाऊ विकास के लिए 2030 एजेंडा के तहत टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को स्थापित किया गया था, और तभी उच्चस्तरीय राजनैतिक फ़ोरम का खाका भी तैयार हुआ। यूएन सदस्य देशों ने इस एजेंडा पर सहमति जताते हुए उसे पारित किया था, जिसे पृथ्वी व आमजन के लिए एक बेहतर भविष्य का ब्लूप्रिन्ट भी कहा जाता है। इस एजेंडा के अन्तर्गत 17 लक्ष्य स्थापित किए गए हैं, जोकि निर्धनता, शिक्षा, लैंगिक समानता और पर्यावरण संरक्षण पर केन्द्रित हैं।
इन लक्ष्यों की प्राप्ति के सफ़र में आधे पड़ाव पर 2023 में एसडीजी शिखर बैठक आयोजित की गई, जिसमें यह स्पष्ट हो गया कि फ़िलहाल वैश्विक प्रयास, प्रगति पथ से बहुत दूर हैं। इसके मद्देनज़र, इस वर्ष राजनैतिक फ़ोरम में प्रतिनिधि, एसडीजी प्राप्ति के प्रयासों में नया उत्साह भरने और वैश्विक कार्रवाई में तेज़ी लाने पर ध्यान केन्द्रित करेंगे। इस वर्ष सर्वजन के लिए एक बेहतर भविष्य को आकार देने के इरादे से भविष्य की शिखर बैठक आयोजित की जाएगी।

नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में तेज़ी से प्रगति
संयुक्त राष्ट्र यह दर्शाने के लिए तत्पर है कि अभी उम्मीद ख़त्म नहीं हुई है। नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में तेज़ी से प्रगति हुई है, अधिकाँश क्षेत्रों में लड़कियाँ समता हासिल कर रही हैं और कुछ मामलों में तो लड़कों से आगे निकल रही हैं। वहीं एचआईवी/एड्स के विरुद्ध लड़ाई में भी प्रगति दर्ज की गई है। इस बैठक दौरान, अनेक सदस्य देश ऐसे ही सफलता भरे अनुभवों, सर्वोत्तम तौर-तरीक़ों और अब तक लिए गए सबक़ को साझा करेंगे।
स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षा प्रस्तुत करने वाले देशों की पूरी सूची यहाँ देखी जा सकती है। आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के लिए यूएन अवर महासचिव ली जुनहुआ ने बताया कि मानवता ने बार-बार यह दर्शाया है कि जब हम साथ मिलकर काम करते हैं और सामूहिक समझ का उपाय करते हैं, तो हम कठिन से कठिन नज़र आने वाली चुनौतियों का भी समाधान ढूंढ सकते हैं।
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समाज के सभी क्षेत्रों को प्रभावित करता है 2030 एजेंडा
टिकाऊ विकास के लिए 2030 एजेंडा, केवल सरकारों को नहीं बल्कि समाज के सभी क्षेत्रों को प्रभावित करता है, और यही बात इस फ़ोरम में भी परिलक्षित होगी। ऐसे अनेक विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें विविध प्रकार की पृष्ठभूमि से आने वाले व्यक्तियों व समूहों को प्रतिनिधित्व मिलेगा। महिलाएँ, बच्चे, युवजन, ग़ैर-सरकारी संगठन, आदिवासी लोग और स्थानीय प्रशासनिक एजेंसियाँ।
पहले सप्ताह के दौरान, टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर विज्ञान आधारित कार्रवाई, स्थानीय व क्षेत्रीय सरकारों की लामबन्दी, और शिक्षा में रूपान्तरकारी बदलाव की थीम पर केन्द्रित कार्यक्रमों पर नज़र रहेगी। वहीं, दूसरे सप्ताह में खाद्य सुरक्षा व पोषण, जल कार्रवाई और जलवायु पर चर्चा होगी।

( दुनिया के 10 गरीब देश-रिपोर्ट 2024 )
देश प्रति व्यक्ति आय-सालाना
दक्षिण सूडान 492 डॉलर (41,173 रुपए)
बुरुंडी 936 डॉलर ( 78,250 रुपए)
मध्य अफ्रीकी 1,140 डॉलर (95,261 रुपए)
कांगो गणराज्य 1,570 डॉलर (1,31,193 रुपए)
मोजाम्बिक 1,650 डॉलर (1,37,878 रुपए )
मलावी 1,710 डॉलर (1,42,892 रुपए )
नाइजर 1,730 डॉलर (1,44,563 रुपए )
चाड 1,860 डॉलर(1,55,427 रुपए )
लाइबेरिया 1,880 डॉलर(1,57,098 रुपए )
मेडागास्कर 1,990 डॉलर(1,66,290 रुपए )

( भारत की स्थिति )
- – 24.8 करोड़ लोग ‘बहुआयामी गरीबी’ से बाहर आ गए पिछले 9 वर्षों में
- – 2013-14 में 29.17 % से घटकर 2022-23 में 11.28% रह गई है भारत में गरीबी दर, पिछले 9 सालों में 17.89 % की कमी आई
( केंद्र सरकार की 5 योजनाएं, जिनसे पहुंचा लाभ )
- – 10 करोड़ से ज्यादा लोगों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
का लाभ मिल चुका है। - – 100% परिवारों को प्रधानमंत्री जन धन योजना सुविधा के तहत लाया जा चुका है, खोले गए खातों में से 60% खाते ग्रामीण क्षेत्रों में और 40% खाते शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं। जनधन की वेबसाइट के अनुसार 51.42 करोड़ अकाउंट होल्डर हैं। और उनके खातों में 2 लाख करोड़ रुपए जमा हैं
- – 81.35 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज दिया जाता है प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत
- – 30 करोड़ आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत, इसके जरिए भारत के नागरिक अपना 5 लाख तक का इलाज फ्री में करा सकते हैं
- – 19 करोड़ घरों तक पानी की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी जल जीवन मिशन के तहत
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