UP Election 2024- यूपी में विधानसभा उपचुनाव को लेकर सियासत तेज
UP Election 2024: उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के जीत का जिम्मा भाजपा की कोर कमेटी ने संभाल लिया है। मुख्यमंत्री आवास पर हुई बैठक में तय किया गया है कि संगठन और सरकार दोनों मिलकर उपचुनाव के जीत की इबारत लिखेंगे। सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और महामंत्री संगठन को दो-दो सीटों का टास्क दिया है। पार्टी के टॉप-5 नेता खुद मोर्चा संभालेंगे, लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि योगी-केशव-पाठक-चौधरी और धर्मपाल में सबसे चुनौती वाली सीट किसे सौंपी गई है। लोकसभा चुनाव के बाद रिक्त हुई विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव होना है। इनमें फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां, खैर, मीरापुर, कुंदरकी, करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी और सीसामऊ सीट शामिल हैं।

योगी ने बनाई मंत्रियों की एक कमेटी
यूपी उपचुनाव की तैयारी के लिए सीएम योगी ने अपने 30 मंत्रियों की एक कमेटी बनाई थी, लेकिन अब ये तय हुआ कि ये जिम्मेदारी अब सरकार और संगठन के टॉप-फाइव नेता संभालेंगे। सीएम योगी को कटेहरी और मिल्कीपुर विधानसभा सीट की जिम्मेदारी मिली है। डिप्टी सीएम मौर्य को फूलपुर और मंझवा, तो पाठक को सीसामऊ और करहल सीट की कमान सौंपी गई है। प्रदेश अध्यक्ष चौधरी को कुंदरकी और मीरापुर, तो संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह को गाजियाबाद और खैर सीट की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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सीएम योगी क्या खिला पाएंगे कमल
सीएम योगी को अयोध्या की मिल्कीपुर और अंबेडकरनगर की कटेहरी विधानसभा की जिम्मेदारी मिली है। यह दोनों ही सीटें 2022 में सपा ने जीती थीं। मिल्कीपुर सीट के सियासी वजूद में आने के बाद से बीजेपी सिर्फ दो बार ही जीत सकी है। जिसमें एक बार 1991 और दूसरी बार 2017 में जीती है। कटेहरी सीट सिर्फ एक बार 1991 में जीत सकी है। मिल्कीपुर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और दलित वोटर सबसे ज्यादा हैं। सामान्य वर्ग के साथ ओबीसी वोटर निर्णायक हैं, तो मुस्लिम भी अहम रोल में हैं। कटेहरी सीट पर दलित वोटर सबसे ज्यादा हैं, लेकिन मुस्लिम, ब्राह्मण, कुर्मी, निषाद वोटर भी बड़ी संख्या में हैं। जातीय समीकरण के लिहाज से बीजेपी के लिए काफी मुश्किल भरी सीट मानी जाती है। ऐसे में देखना है कि सीएम योगी कैसे बीजेपी के लिए जीत की इबारत लिखते हैं।

केशव को फूलपुर और मझवां का टास्क
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को फूलपुर और मझवां विधानसभा सीट के उपचुनाव की कमान सौंपी गई है। 2022 में फूलपुर सीट भाजपा ने जीती थी। तो मझवां सीट उसकी सहयोगी निषाद पार्टी ने जीती थी। मौर्य खुद फूलपुर से सांसद रह चुके हुए हैं और इसी इलाके से आते हैं। फूलपुर में दलित और यादव मतदाता अहम हैं, लेकिन कुर्मी यहां पर तुरुप का इक्का साबित होते रहे हैं। ब्राह्मण और मुस्लिम बड़ी सं

ख्या में हैं। मझवां सीट के समीकरण देखें तो ब्राह्मण, मल्लाह, कुशवाहा, पाल, दलित और ठाकुर वोटर अहम हैं, जिन्हें साधकर ही जीत की इबारत लिखी जाती रही है।
पाठक को सबसे मुश्किल टास्क
डिप्टी सीएम पाठक को कानपुर की सीसामऊ और मैनपुरी की करहल सीट की कमान सौंपी गई है। ये दोनों ही सीटें भाजपा के लिए काफी चुनौतीपूर्ण मानी जाती हैं। सीसामऊ सीट सपा लगातार तीन बार से जीत रही है। 1996 के बाद से बीजेपी यह सीट जीत नहीं सकी। करहल सीट सिर्फ एक बार सपा हारी है। इस तरह से दोनों ही सीट सपा की मजबूत सीटों में मानी जाती है और बीजेपी के लिए काफी मुश्किल भरी रही हैं। इस तरह से बृजेश पाठक को उपचुनाव में सबसे मुश्किल टास्क सौंपा गया है, सीसामऊ में सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं, उसके बाद ब्राह्मण, फिर दलित, कायस्थ, वैश्य, यादव और सिंधी हैं। मुस्लिम वोटर एक लाख के करीब हैं, तो 50 हजार ब्राह्मण हैं। करहल में यादव वोटर एक लाख से भी ज्यादा हैं, उसके बाद पाल और शाक्य वोटर हैं। इसके अलावा दलित और ठाकुर वोट भी ठीक-ठाक हैं। इस तरह से पाठक को सबसे मुश्किल भरी सीट देकर उनकी चुनौती को बढ़ा दिया है।
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भूपेंद्र चौधरी को मिला कठिन चैलेंज
प्रदेश अध्यक्ष चौधरी को मुजफ्फरनगर की मीरापुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट की जिम्मेदारी मिली है। पार्टी के लिहाज से दोनों सीटें मुश्किल भरी मानी जाती हैं। कुंदरकी सीट भाजपा महज एक बार जीत सकी है, जबकि मीरापुर सीट के सियासी वजूद में आने के बाद सिर्फ एक बार 2017 में जीती थी। 2022 में कुंदरकी सीट सपा जीतने में कामयाब रही है, तो मीरापुर सीट आरएलडी ने सपा के समर्थन से जीती थी। यहां का सियासी समीकरण देखें तो 65 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं, उसके बाद दलित और अन्य ओबीसी मतदाता हैं। इसके अलावा राजपूत वोटरों की संख्या 30 हजार के करीब है। मीरापुर में सबसे ज्यादा मुस्लिम हैं। एक लाख दस हजार मुस्लिम और 55 हजार के करीब दलित वोटर हैं। इसके बाद जाट 25 हजार, तो गुर्जरों की संख्या 20 हजार हैं, जबकि प्रजापति और अन्य ओबीसी के वोट भी ठीक-ठाक हैं।

धर्मपाल सिंह की होगी अग्निपरीक्षा
उत्तर प्रदेश बीजेपी के संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह को गाजियाबाद और अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट की जिम्मेदारी सौंपी गई है। 2022 में दोनों ही सीटें बीजेपी जीतने में सफल रही थी। इन दोनों ही विधानसभा सीट पर जाट वोटर अच्छी खासी संख्या में हैं। गाजियाबाद में वैश्य, दलित, जाट और मुस्लिम मतदाता निर्णायक हैं, तो खार सीट पर जाट, दलित और मुस्लिम जीत और हार की भूमिका में हैं। बीजेपी के संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह के कंधों पर बीजेपी की जीत के सिलसिले को बरकरार रखने का चैलेंज है।
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