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Reading: Violence Against Indian Students: विदेश में भारतीय छात्रों के साथ बढ़ रहा भेदभाव
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WeStory > हिंदी न्यूज़ > Violence Against Indian Students: विदेश में भारतीय छात्रों के साथ बढ़ रहा भेदभाव
हिंदी न्यूज़

Violence Against Indian Students: विदेश में भारतीय छात्रों के साथ बढ़ रहा भेदभाव

वर्तमान में विभिन्न देशों के भारतीय दूतावास, भारतीय छात्रों को सजग रहने के लिए लगातार गाइडलाइन जारी कर रहे हैं

WeStory Editorial Team
Last updated: 2024/06/14 at 2:53 PM
WeStory Editorial Team
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10 Min Read
Violence Against Indian Students
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Violence Against Indian Students: व्यक्तिगत जानकारियां व दस्तावेज रखना जरूरी

Violence Against Indian Students: वर्तमान में विभिन्न देशों के भारतीय दूतावास, भारतीय छात्रों को सजग रहने के लिए लगातार गाइडलाइन जारी कर रहे हैं और छात्रों को सलाह भी दे रहे हैं कि वो सजग रहें और हमेशा अपनी व्यक्तिगत जानकारियां व दस्तावेजों को अपने साथ रखें। फिर भी भारतीय छात्रों के साथ लगातार भेदभाव बढ़ रहा है। इसलिए दूतावासों से लेकर दूसरे भारतीय मिशनों तक ने भारतीय छात्रों के लिए सजग रहने हेतु कुछ जरूरी निर्देश दिए हैं। विदेश में मौजूद हर भारतीय छात्र को हमेशा स्थानीय पुलिस और एम्बुलेंस का नंबर अपने मोबाइल में सेव करके रखना चाहिए और जेब में भी ये नंबर लिखकर रखना चाहिए। भारतीय दूतावास के साथ सभी भारतीय छात्रों को नियमित रूप से टच में रहना चाहिए और दूतावास का नंबर भी अपने पास रखना चाहिए। कई देशों ने भारतीय लोगों द्वारा कई तरह के संगठन और संस्थाएं चलायी जा रही हैं। उनके साथ भी छात्रों को टच में रहना चाहिए। अमेरिका में रहने वाले भारतीय छात्रों से कहा गया है कि वो हमेशा अपने मोबाइल में 911 यानी आपातकाल का नंबर सेव करके रखें, जिससे कि किसी भी संकट के समय मदद मांगी जा सके।

Table of Contents
Violence Against Indian Students: व्यक्तिगत जानकारियां व दस्तावेज रखना जरूरीकैंपस रिक्रूटमेंट में सबसे ज्यादा सेलेक्ट होते हैंबुरा सलूक हो रहा है ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस मेंहिंसा, लूटपाट और नफरत की घटनाएंकोई न कोई निजी कारण भी मौजूद
Violence Against Indian Students
Violence Against Indian Students

कैंपस रिक्रूटमेंट में सबसे ज्यादा सेलेक्ट होते हैं

आज दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़ने के लिए भारतीय छात्र जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक साल 2022 में 13,24,954 भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए, जो 2021 की तुलना में करीब 68 फीसदी ज्यादा थे। आज अकेले अमेरिका में 4,65,791, कनाडा में 1,83,310, यूएई में 1,64,000, ऑस्ट्रेलिया में 1,00,009, सऊदी अरब में 65,800, कतर में 46,000, ओमान में 39,550 भारतीय छात्र उच्च शिक्षा की डिग्री हासिल कर रहे हैं। अपनी मेहनत, लगन और सजगता के कारण भारतीय छात्र, विभिन्न देशों के उच्च शैक्षिक संस्थानों में आज बड़ी संख्या में दिखते भर नहीं हैं बल्कि इन्होंने यहां अपना शानदार मुकाम बना लिया है। इन शैक्षिक संस्थानों में जब भी कैंपस रिक्रूटमेंट होता है, तो सबसे ज्यादा भारतीय छात्र ही सेलेक्ट होते हैं। इस बात ने न सिर्फ विदेशी छात्रों को उनके प्रति ईर्ष्या से भर दिया है बल्कि स्थानीय लोग भी भारतीय छात्रों से नफरत करने लगे हैं।

बुरा सलूक हो रहा है ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस में

ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों में भी जो लोकतांत्रिक प्रतिबद्धताओं के लिए सजग देश माने जाते हैं और यहां भारतीयों की हमेशा से सम्मापूर्ण उपस्थिति रही है, लेकिन आज इन देशों में भी विदेशी टैक्सी ड्राइवरों से लेकर दुकानदार और सामान्य बेरोजगार विदेशी युवक तक भारतीय छात्रों के साथ रह रहकर बेहद बुरा सलूक कर रहे हैं। वैसे इनमें यह भाव पैदा होने के लिए कहीं स्थानीय नेताओं का भी योगदान है। क्योंकि भले ओबामा से लेकर राष्ट्रपति ट्रंप तक ने अपने छात्रों में भारतीय छात्रों के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारतीयों को ज्यादा योग्य और मेहनती करार देते हों, लेकिन वो जिस अंदाज में अपने छात्रों के सामने भारतीय छात्रों को चुनौती के रूप में प्रस्तुत करते हैं, उससे अमेरिकी छात्रों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना कम आती है, भारतीयों छात्रों से ईष्र्या और भेदभाव की भावना ज्यादा पैदा हो रही है। पेप्सिको की पूर्व सीईओ इंदिरा नूई ने विदेश पढ़ने जाने वाले भारतीय छात्रों खासकर अमेरिका और कनाडा का रुख करने वाले छात्रों के लिए 10 मिनट का एक ऐसा वीडियो मैसेज जारी किया है, जिसमें यूं तो नये छात्रों को इन देशों में सावधान रहने की सलाह दी गई है, लेकिन यह सलाह संदेश देती है कि भारतीय छात्रों के लिए विदेशों में खासकर विकसित और सम्पन्न देशों में पढ़ने जाना और वहां अपना भविष्य तलाशना कितना खतरनाक हो गया है?

हिंसा, लूटपाट और नफरत की घटनाएं

अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा ऑस्ट्रेलिया जैसे देश न सिर्फ अपने को सभ्य विकसित और कानून का पालन करने वाले देश बताते हैं बल्कि यह कहते भी नहीं थकते कि दुनिया में लोकतंत्र उन्हीं की बदौलत जिंदा हैं। लेकिन इन्हीं देशों में हाल के सालों में जिस तरह से भारतीय छात्रों के विरूद्ध हिंसा, लूटपाट और नफरत की घटनाएं घटी हैं, वो हैरान करने वाली हैं। जबकि पूरी दुनिया में मशहूर है कि भारतीय छात्र दुनिया के किसी भी देश के छात्रों के मुकाबले बेहद पढ़ाकू और विनम्र हैं। इसके बावजूद उनके साथ विदेशों में लगातार खौफनाक वारदातें हो रही हैं। पिछले दो साल में पश्चिमी देशों में डेढ़ दर्जन से ज्यादा भारतीय छात्रों पर जानलेवा हमले हुए हैं, जिनमें एक दर्जन से ज्यादा छात्रों को अपनी जान गंवानी पड़ी है और सैकड़ों दूसरे छात्रों को आए दिन इसी तरह की घटनाओं के चलते अपमानजनक स्थितियों से गुजरना पड़ रहा है। इसलिए पेप्सिको की पूर्व सीईओ ने अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों में पढ़ने जाने के लिए भारतीय छात्रों को इन देशों में सतर्क रहने, स्थानीय कानून का सम्मान करने, अपनी सुरक्षा के लिए खुद सजग रहने और नशे के सेवन से बचने की सलाह दी है।

इंदिरा नूई ने इस वीडियो मैसेज में कहा है कि न्यूयार्क में खास तौर पर आने वाले छात्रों को अपना सारा फोकस पढ़ाई पर रखना चाहिए, क्योंकि यहां दिन पर दिन भारतीय छात्रों के दुर्भाग्यपूर्ण स्थितियों में फंसने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। कार्पोरेट जगत की महत्वपूर्ण शख्सियत इंदिरा नूई ने इस संदेश में यह भी कहा है कि बेशक इन देशों में कानून कड़े हैं, लेकिन फिर भी आपको अपनी सुरक्षा खुद ही सुनिश्चित करना है। इसलिए कानून के दायरे में रहें, रात में अकेले सुनसान जगहों पर जाने से बचें और नशे का सेवन बिल्कुल न करें। इंदिरा नूई ने भारतीय छात्रों को विपत्ति से बचे रहने की यह सलाह एक्स पर वीडियो मैसेज के रूप में पोस्ट किया है।

Violence Against Indian Students
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कोई न कोई निजी कारण भी मौजूद

सवाल है कि आखिर भारतीय छात्रों के साथ इन तथाकथित विकसित पश्चिमी देशों में इस तरह की घटनाएं क्यों लगातार बढ़ती जा रही हैं? निश्चित रूप से हर दुर्भाग्यपूर्ण घटना के पीछे कोई न कोई निजी कारण भी मौजूद है, लेकिन अगर समग्रता में देखा जाए तो इस सबके पीछे भारतीय छात्रों की प्रगति और वैश्विक परिदृश्य में उनके महत्वपूर्ण होकर उभरने से जो ईर्ष्या और खिसियाहट इन देशों के छात्रों और दूसरे नागरिकों में पैदा हुई है, वास्तव में ये तमाम दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं उसी का नतीजा हैं। अकेले फरवरी 2024 में अमेरिका में चार भारतीय छात्रों पर जानलेवा हमले हुए, जिनमें तीन छात्रों की मौत हो गई। हालांकि हर घटना के बाद इन देशों के कानून और व्यवस्था के महत्वपूर्ण पदाधिकारी भारतीय छात्रों को सुरक्षा का आश्वासन देते हैं, लेकिन ऐसे हर आश्वासन के बाद भी खौफनाक घटनाओं का सिलसिला जारी है।

आज भारतीय छात्र सिर्फ संख्या के लिहाज से ही नहीं बल्कि आर्थिक संसाधन के लिहाज से भी हर देश के लिए महत्वपूर्ण हैं। पूरी दुनिया में करीब 2.9 करोड़ भारतीय रह रहे हैं, जिनमें एनआरआई, पीआईओ और ओसीआई जैसी कई कैटेगिरियों में बंटे भारतवासी हैं। बढ़ते ग्लोबलाइजेशन, भारतीय प्रोफेशनलों की पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ती मांग तथा कारोबारी जगत में महत्वपूर्ण भूमिका में उभरे भारतीयों के कारण, हर साल 25 लाख भारतीय किसी न किसी रूप में विदेश प्रवास करते हैं। एक जमाने में जहां भारतीयों को लोग गरीब और बेरोजगार होने की सहानुभूति वाली नजरों से देखा करते थे, वहीं आज भारतीयों के प्रति विदेशों का नजरिया ईर्ष्या भाव से भर गया है। क्योंकि आज भारतीय कार्पोरेट विश्व की महत्वपूर्ण जगहों पर काबिज हैं। भारतीयों ने अपनी कुशलता तथा मेधा की बदौलत आज हर महत्वपूर्ण इंडस्ट्री के लिए अपरिहार्य हो गए हैं। इसलिए दुनिया के तथाकथित विकसित देशों में भारतीयों को लेकर लगातार ईर्ष्या बढ़ती जा रही है।

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