Visa Free Entry: सुविधा ही नहीं एक सम्मान भी होता है
Visa Free Entry: वीजा मुक्त यात्रा दरअसल लंबी Visa Free Entry को पूरा किए बिना होती है जिससे बड़ी सहूलियत मिलती है। जब किसी देश का नागरिक किसी दूसरे देश में बिना वीजा यानी वीजा मुक्त यात्रा कर सकता है, तो इसका मतलब यह होता है कि दोनो देशों की सरकारों के बीच इस संबंध में समझौते हुए होते हैं लेकिन बिना वीजा यात्रा का यह मतलब नहीं होता कि आप किसी देश में जाकर स्थायी रूप से बस जाएं। जी नहीं, इसकी इजाजत नहीं होती। वीजा मुक्त यात्रा का मतलब है कि अलग अलग देश ऐसी छूट अलग अलग दिनों के लिए देते हैं। मसलन भारतीय लोग भूटान में बिना वीजा सिर्फ 14 दिन रह सकते हैं जबकि अल साल्वाडोर में हम 90 दिन तक आराम से सैर-सपाटा कर सकते हैं। भारतीयों को वीजा मुक्त यात्रा सिर्फ उन्हीं देशों से हासिल है जो हमसे कहीं ज्यादा गरीब और पिछड़े हुए हैं।
श्रीलंका ने भी यह सुविधा दी है, उसकी वजह यही है कि आम भारतीय श्रीलंकाइयों के मुकाबले काफी अच्छी आर्थिक स्थिति में है। इसलिए उन्हें डर नहीं है कि भारतीय यहां आकर गुम हो जाएंगे या बस जाएंगे। बहरहाल मुक्त वीजा यात्रा की सुविधा महज सुविधा ही नहीं एक सम्मान भी होता है। साथ ही यह उस देश के पासपोर्ट की हैसियत भी बताता है। अकसर हम भारतीय जब भी विदेश घूमने का प्रोग्राम बनाते हैं तो हमारे दिमाग में जो पहली बात आती है, वह यह है कि किस देश जाएं, जहां भारतीय मुद्रा भी मजबूत हो और वीजा आदि के लिए एम्बेसीज में बहुत धक्के न खाने पड़ें। हालांकि ट्रैवलिंग वीजा आमतौर पर ट्रैवलिंग एजेंसियां ही मुहैया करा देती हैं लेकिन चेकिंग काउंटर की लंबी लाइनों से तो खुद ही गुजरना होता है। इसलिए उन देशों में घूमने जाना सबसे मुफीद होता है जहां हमारा बिना वीजा के स्वागत किया जाता है। दुनिया में 60 से ज्यादा देश हैं जहां भारतीय बिना वीजा घूमने जा सकते हैं।

शक्तिशाली पासपोर्ट सूची में 87वां स्थान
भारत ‘हेनली एंड पार्टनर्स’ की शक्तिशाली पासपोर्ट सूची में 87वां स्थान रखता है। इसलिए दुनिया के 5 दर्जन देश भारतीयों के लिए बिना वीजा भी पलक पांवड़े बिछाते हैं। जिन प्रमुख देशों में भारतीय बिना वीजा के जा सकते हैं उनमें श्रीलंका के अलावा भूटान, अल साल्वाडोर, हैती, मकाऊ, फिलिस्तीन, सेनेगल, त्रिनिडाड और टोबैगो, डोमेनिकन गणराज्य, फिजी, इंडोनेशिया, मॉरीशस, कतर, सर्बिया, ट्यूनिशिया, इक्वाडोर, ग्रेनेडा, जमैका, नेपाल, सेंटकिट्स, सेंट विंसेट एंड ग्रेनेजियंस तथा वनातू के अलावा दर्जनों और देश भी हैं। श्रीलंका दुनिया का वह देश है, कोरोना महामारी में जिसकी अर्थव्यवस्था बिल्कुल तबाह हो गई है। ऐसे में वह चाहता है कि अगर 2025 तक उसके यहां कम से 50 लाख विदेशी घूमने आ जाएं तो उसकी अर्थव्यवस्था को अच्छा खासा आधार मिल सकता है।

रामायण सर्किट का सांस्कृतिक पर्यटन मौजूद
भारतीय वैसे भी बड़ी संख्या में श्रीलंका घूमने जाते हैं क्योंकि श्रीलंका में भारतीयों के लिए रामायण सर्किट का सांस्कृतिक पर्यटन मौजूद है। पिछले साल श्रीलंका ने भारतीयों को अपने यहां बिना वीजा आने की इजाजत दी है। मतलब अब भारतीय चाहें तो अपना बैग पैक करें और श्रीलंका को जाने वाली फ्लाइट में बैठ जाएं। उन्हें वीजा के लिए श्रीलंका के हाई कमीशन में चक्कर लगाने या एयरपोर्ट के चेकिंग काउंटर की लंबी लाइन में लगने की कोई जरूरत नहीं है।
श्रीलंका को उम्मीद है कि इससे भारत के साथ उसके रिश्ते तो बेहतर होंगे ही श्रीलंका आने वाले भारतीय पर्यटक भी बढ़ेंगे जिससे उसकी अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। भले इतिहास में न साबित होता हो कि पौराणिक आख्यानों का खलनायक रावण वास्तव में कभी लंका का राजा था भी या नहीं लेकिन अपनी पर्यटन अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए श्रीलंका इस मिथ को लेकर आमतौर पर चुप रहता है और हर साल लाखों भारतीय यह मानकर श्रीलंका की यात्रा करते हैं कि भगवान श्रीराम अपहृत सीता को छुड़ाने के लिए रावण से युद्ध करने हेतु श्रीलंका गए थे और उन्होंने रावण का वध करके मां सीता को वापस अयोध्या लाये थे।
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भारतीय रुपया 4 गुना ज्यादा कीमत का
वैसे भारतीयों के लिए श्रीलंका जाने के और भी कई लालच हैं। हमारे सांस्कृतिक अवचेतन से तो श्रीलंका का मजबूत रिश्ता है ही, भारतीय रुपया श्रीलंकाई रुपये से 4 गुना ज्यादा कीमत का है। इसलिए अगर भारतीय एक लाख रुपये लेकर श्रीलंका घूमने जाते हैं तो यहां उन्हें 4 लाख रुपये की क्रयशक्ति हासिल होती है। इसलिए भी भारतीय श्रीलंका घूमने जाना पसंद करते हैं क्योंकि विदेश यात्रा तो हो ही जाती है, साथ ही भारत के कई शहरों और क्षेत्रों से भी यह यात्रा सस्ती पड़ती है। मसलन अगर आप दिल्ली से अंदमान निकोबार द्वीप और कोलंबो की यात्रा में जाएं तो कोलंबो जाना सस्ता पड़ता है।
यही वजह है कि बड़ी संख्या में भारतीय श्रीलंका घूमने जाते हैं। कोरोना के पहले तक हर साल करीब 20 लाख भारतीय श्रीलंका की यात्रा करते रहे हैं लेकिन कोरोना के बाद एक तो विश्व पर्यटन चरमरा गया था, साथ ही श्रीलंका में काफी उथल-पुथल की स्थिति थी। अब किसी हद तक भारत और चीन की आर्थिक मदद से श्रीलंका स्थिर हो रहा है। वह फिर से अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने करने की कोशिश कर रहा है। इसी कोशिश का एक नतीजा भारत सहित क्षेत्र के कई देशों जिनमें चीन, इंडोनेशिया, जापान आदि भी शामिल हैं, को श्रीलंका ने वीजा मुक्त यात्रा की सुविधा प्रदान की है।
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लंबी लाइनों में लगने की जरूरत नहीं
वीजा मुक्त यात्रा करने के कई लाभ होते हैं। जैसा कि पहले ही हम कह चुके हैं कि इस सुविधा के कारण हर जगह प्रवेश पाने के लिए लंबी लाइनों और ऊबाऊ आवेदन प्रक्रियाओं से नहीं गुजरना पड़ता। साथ ही अतिरिक्त दस्तावेजों को भी साथ लेकर चलने की जरूरत नहीं रहती। जैसे उस देश में रह रहे अपने मित्रों और नियोक्ताओं के समर्थन पत्र, उनकी तस्वीरें, पासपोर्ट की प्रतियां या बैंकिंग विवरण आदि ढोना। यही नहीं, जब किसी देश के लोगों को वीजा यात्रा की सहूलियत दी जाती है तो कोई आप से यह पूछने वाला नहीं होता कि आप यहां घूमने फिरने आएं हैं या किसी कारोबार के मकसद से आएं हैं? जब हम किसी देश में बिजनेस के मकसद से ट्रैवल करते हैं तो इसके लिए अलग से आवेदन करना पड़ता है। साथ ही इसके लिए काफी ज्यादा फीस भी चुकानी पड़ती है।

नैरू में कारोबार के लिया यात्रा
दुनिया के तीसरे सबसे छोटे देश नैरू में भी कारोबार के लिए अगर आप यात्रा करते हैं तो 3 महीने की अवधि के लिए करीब 6,40,000 रुपये की अतिरिक्त फीस चुकानी पड़ती है। ज्यादातर देशों में कारोबारी यात्राओं के लिए फीस का यह एक मिनिमम स्टैंडर्ड होता है, चाहे आप एक दिन की यात्रा पर जाएं या कई दिनों की यात्रा करें। आपको मिनिमम फीस तो देनी ही पड़ती है लेकिन जब किसी देश के नागरिकों को वीजा मुक्त यात्रा की सुविधा मिलती है तो इस तरह के सारे खर्च बच जाते हैं। इसलिए हर देश चाहता है कि उसको ज्यादा से ज्यादा देश वीजा मुक्त यात्रा की परमिशन दें। जापान, स्विटरजलैंड, अमेरिका, फ्रांस और यूरोप के दर्जनों ऐसे देश हैं जिन्हें 180 देशों से भी ज्यादा देशों में मुक्त वीजा यात्रा की सहूलियत हासिल होती है।
जापान में प्रति व्यक्ति आय बेहतर है
जिन देशों के बारे में समझा जाता है कि उनकी प्रति व्यक्ति आय काफी ठीक-ठाक है, उन देशों के नागरिकों को लेकर ज्यादातर देशों को डर नहीं होता कि वे उनके यहां आ बसेंगे। इसलिए ऐसे देशों को अधिकतर देश मुक्त वीजा यात्रा की सुविधा दे देते हैं। जापानियों को ही लें। उनके बारे में ज्यादातर देशों में यह समझा जाता है कि किसी देश में बसने के लिए पर्यटन नहीं करेंगे क्योंकि जापान में प्रति व्यक्ति आय अमेरिका और यूरोप के दूसरे देशों से भी बेहतर है। इसलिए दुनिया के ज्यादातर देश जापानियों का हर समय पलक पांवड़े बिछाकर स्वागत करते हैं। उनसे वीजा आदि के बारे में नहीं पूछा जाता लेकिन भारत जैसे देशों के बारे में यह माना जाता है कि अगर विकसित देशों ने वीजा मुक्त यात्रा कर दी तो बहुत सारे भारतीय आनन-फानन में वहां पहुंचकर गायब हो जाएंगे।
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