Women Reservation: यहाँ समझिये भारत में महिला आरक्षण के विभिन्न पहलू
Women Reservation: महिला आरक्षण एक ऐसा मुद्दा है जो पिछले कुछ वर्षों से लगातार राजनीति से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में चर्चा का विषय बना हुआ है। पिछले 27 सालों से भी अधिक समय से विभिन्न सरकारें Women Reservation बिल लाने का प्रयास कर रही थी। आखिरकार पिछले साल आखिरकार मोदी सरकार द्वारा 28 सितम्बर 2023 में महिला आरक्षण बिल पारित कर दिया गया है। जिसका नाम है नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 (Nari Shakti Vandan Adhiniyam 2023)
आज इस लेख में हम इसी महिला आरक्षण बिल (Women’ Reservation Bill) की बात करेंगे। और इसके विभिन्न पहलुओं को समझते हुए जानेंगे कि क्या महिला आरक्षण अच्छा है या बुरा ?
भारत में महिला आरक्षण विधेयक क्या है?
वर्तमान केंद्रीय सरकार देश की महिलाओं को सशक्त करने के लिए पिछले 10 बर्षों से ही काफी मुखर रही है और विभिन्न योजनाओं और स्कीमों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त करने का पूरा प्रयास भी किया है। इसी कड़ी में एक और विधेयक (Women Reservation) पास करते हुए महिलाओं को अब राजनीति में भी नई शुरुआत करने का मौका दिया है।

दरअसल नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 नाम के इस विधेयक के पारित होने से अब ये उम्मीद है कि जल्द ही संसद में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ जाएगी।
इस Women Reservation विधेयक के जरिये महिलाओं को लोकसभा और देश की सभी विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटों पर आरक्षण मिलेगा। जिनमे एससी और एसटी सीटें भी शामिल होंगी।
हालाँकि इसके साथ अभी एक क्लॉज़ / शर्त भी जोड़ी गयी है। Women reservation / आरक्षण हेतु परिसीमन अनिवार्य है । और इसलिए महिला आरक्षण को लागू करने के लिए जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया का पूरा होना आवश्यक है। इसके बाद ही ये कानून लागू किया जाएगा।
परिसीमन की प्रक्रिया (Delimitation) पूरी होने के बाद व लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के भंग होने के बाद अगले चुनावों में महिला आरक्षण प्रभावी होगा। कृपया ध्यान दें कि गृहमंत्री अमित शाह के अनुसार चुनावों 2024 के बाद परिसीमन और जनगणना का कार्य पूरा कर लिया जाएगा और जिसके बाद ये कानून (Nari Shakti Vandan Adhiniyam 2023 ) लागू हो जाएगा।
समझिये क्या है महिला आरक्षण (Women Reservation Bill) ?
सरकार द्वारा पारित किये गए Mahila Aarakshan Bill में महिलाओं को संसद में 33 प्रतिशत तक का आरक्षण प्रदान किया जाएगा। दुसरे शब्दों में कहें तो ये कानून महिलाओं को लोकसभा और विधान सभा में 1/ 3, एक तिहाई आरक्षण देता है। आइये अब समझते हैं अधिनियम के प्रावधान के बारे में –
- संविधान के 128वें संशोधन 2023 के अंतर्गत नए नियम ; अनुच्छेद – 330 (A) और 332 (A) को शामिल किया गया है। जिसके अंतर्गत महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत तक सीट आरक्षित करने का प्रावधान होगा।
- महिला आरक्षण कानून (Women Reservation) लागू होने की तारीख से 15 वर्षों तक की अवधी के लिए होगा। बात दें कि अनुच्छेद 334 (A) के तहत 15 वर्ष पश्चात आवश्यकतानुसार, संसद की अनुमति से आरक्षण के अधिनियम को और आगे बढ़ाया जा सकता है।
- नारी शक्ति वंदन अधिनियम में अलग से एससी और एसटी महिलाओं के लिए आरक्षण नहीं होगा। क्यूंकि उन्हें इस एससी एसटी कानून के तहत मिलने वाले आरक्षण के अंदर ही आरक्षण दिया जाएगा। ऐसे समझिये –
वर्तमान में लोक सभा में कुल 84 एससी और 47 एसटी सीटें आरक्षित हैं। इस कानून के अनुसार 84 एससी सीटों में से 33 प्रतिशत यानी कि 28 सीटें एससी महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। ठीक इसी प्रकार एसटी 47 सीटों में 33 % अर्थात 16 सीटें एसटी महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
- Women Reservation bill में ओबीसी वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं है। दरअसल, एसटी एससी सीटों को हटा दें तो कुल 412 सीटों पर सामान्य और ओबीसी वर्ग के उम्मीदवार चुनाव लड़ते हैं।
- अब बची हुई सीटों यानी 412 सीटों पर महिला आरक्षण कानून के अनुसार 33 फ़ीसदी यानी कि 137 सीटों पर सामान्य और ओबीसी वर्ग की महिलाएं चुनाव लड़ेंगी।
- महिला आरक्षण बिल के अंतर्गत ये प्रक्रिया (33 % सीट का चयन) रोटेशन के आधार पर की जाएगी।
महिला आरक्षण का उद्देश्य
भारतीय संसद में Women Reservation देने के पीछे सरकार का उद्देश्य महिलाओं को नीति निर्धारण क्षेत्र में उनकी भूमिका को सशक्त करना है। जिससे देश के विकास में विशेषकर महिला आबादी के विकास में बेहतर तरीके से निर्णय लिए जा सकें और बेहतर प्रावधान किये जा सकें। सिर्फ इतना ही नहीं महिलाओं को राजनीति के क्षेत्र में बढ़ावा देना और उन्हें सशक्त बनाना भी है।

जानिए कब लागू होगा महिला आरक्षण ?
अभी तक आप ने जाना कि महिलाओं के लिए बनाये गए इस विधेयक (Women Reservation) में राजनीति में भी महिलाओं के लिए आरक्षण (Women Reservation) की व्यवस्था की गयी है। अब सवाल है कि ये महिला आरक्षण नियम कब से लागू होगा ? तो जैसा कि अभी आप ने लेख में पढ़ा कि महिला आरक्षण कानून 2023 / नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 परिसीमन और जनगणना की प्रक्रिया के बाद ही प्रभावी होगा जिसका अर्थ है कि अब 2024 के चुनाव के पूरे होने के बाद ही ये प्रक्रिया (परिसीमन और जनगणना) हो सकेगी।
आप की जानकरी हेतु बता दें कि संविधान के 42वें संशोधन के तहत 1971 की जनगणना को ही आधार मानकर विधायिकाओं की सीटों की संख्या को 2001 तक स्थिर कर दिया गया था। इसके बाद फिर 2001 में 84वां संशोधन किया गया। जिस में वर्ष 2026 तक विधायिकाओं की सीटों में कोई परिवर्तन न करने का प्रावधान भी किया जा चूका था । जिसका अर्थ है कि कानूनी रूप से विधायिकाओं की स्थिति में कोई भी परिवर्तन 2026 से पहले नहीं किया सकेगा। तो इस हिसाब से Women’s Reservation Bill 2026 या 2027 के बाद ही लागू होगा।
कैसे लागू होगा महिला आरक्षण /Women Reservation?
अब समझते हैं कि Women’s Reservation Bill कैसे लागू होगा ? तो इसका जवाब है कि संविधान के आर्टिकल 368 के अनुसार इस कानून को लागू कराने के लिए कम से कम 50 फ़ीसदी राज्यों की सहमति आवश्यक है। हिसाब से यदि इन राज्यों से सहमति प्राप्त हो जाती है तो ये women reservation लागू कर दिया जाएगा।
वर्तमान में 16 राज्यों में एनडीए की सरकार है जबकि 11 राज्य ऐसे हैं जहाँ विपक्ष की गठबंधन सरकार है वहीँ 3 राज्य ऐसे भी हैं कि जहाँ अन्य दलों की सरकार हैं। इसलिए उम्मीद की जा रही है कि इसे (Nari Shakti Vandan Adhiniyam 2023 ) लागू कराने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। वजह है कि अधिकतर राज्य वैसे ही Women Reservation कराने के पक्ष में हैं।
महिलाओं के लिए आरक्षण क्यों महत्वपूर्ण है?
आइये अब जानते हैं कि Women Reservation से महिलाओ को क्या लाभ होगा और महिला आरक्षण क्यों महत्वपूर्ण है (Importance Of Women Reservation Bill)?
- केंद्र सरकार द्वारा कई वर्षों से महिला सशक्तिकरण के मुद्दे से संबंधित बहुत से कदम उठाएं हैं। विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं ने स्वयं को सशक्त किया है लेकिन अभी भी राजनीतिक क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति सुदृढ़ होनी बाकी है। इसलिए ये बिल (Women Reservation) एक प्रकार से महिलाओं को राजनीति के क्षेत्र में सशक्त (women Political Empowerment) करेगा।
- वर्तमान में बात करें राजनीति में महिलाओं की उपस्थिति के प्रतिशत की जो लोकसभा में कुल 14 % और राजयसभा में 11 प्रतिशत महिलाएं ही हैं। आजादी के बाद से ही लोकसभा में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की प्रगति बेहद धीमी रही है। इसलिए अब इस महिला आरक्षण बिल के चलते इनके प्रतिशत में बढ़ोतरी होगी।
- बात करें महिलाओं की देश में राजनीती क्षेत्र में उपस्थिति की तो वो बाकी के पडोसी देशों के मुकाबले बहुत कम है। हमारे देश में संसद में महिलाओं का कुल प्रतिशत लगभग 14 या 15 प्रतिशत ही है। जबकि बात करें अन्य देशों की तो वहां भी हमारे देश से अधिक महिलायें संसद में हैं। जैसे पाकिस्तान में 20 % (आरक्षण सहित ), बांग्लादेश 21 % (आरक्षण सहित), नेपाल में 33 % (आरक्षण सहित), न्यूज़ीलैंड में 50 % महिलाएं हैं। इस हिसाब से Women’s Reservation Bill से देश की महिलाओं को प्रोत्साहन दिया जाएगा की वो भी राजनीती में आएं।
- राजनीति का क्षेत्र बेहद वृहद है और बहुत ही महत्वपूर्ण भी। देखा जाए तो किसी भी देश की स्थिति का निर्णय राजनीति के गलियारों के जरिये ही होता है। यदि राजनीती का स्तर अच्छा है और सकारात्मक है तो उससे देश को लाभ होता है और विकास होता है। ऐसे ही यदि महिलाओं को इसमें शामिल करते हैं तो एक प्रकार से हम देश के नीति निर्माण में उन्हें हिस्सेदारी दे रहे हैं।
- महिलाओं के खिलाफ अपराधों की उच्च दर, कार्यबल में महिलाओं की कम भागीदारी, खराब पोषण स्तर और विषम लिंग अनुपात जैसी समस्याओं के समाधान के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया में महिलाओं का प्रतिनिधित्व होना चाहिए।
- महिलाओं के राजनीति में आने से न सिर्फ संसद में उनकी संख्या बढ़ेगी बल्कि इससे कई कानून और नीति निर्धारण के समय उनकी राय भी सम्मिलित होगी। जिससे हम उम्मीद कर सकते हैं कि आगे भी ये निर्णय देश के सभी वर्गों के लोगों के लिए समान रूप से लाभकारी होगा।
- महिलाओं का पिछले चुनावों में पुरुषों के मुकाबले अधिक योगदान रहा या यूं कहें कि महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले अधिक संख्या में वोटिंग की है। जिसके चलते उनके हितों के बारे में सोचने के लिए उन्हें भी संसद में स्थान मिलना चहिये।
- ऐसा माना जाता है कि यदि महिलाओं का प्रतिनिधित्व अधिक हो तो संसद में महिलाओं के मुद्दों पर अधिक प्रभावी ढंग से चर्चा की जाती है।
- पंचायती राज में 73वें संविधान संशोधन में महिलाओं के लिए किये गए 33 प्रतिशत आरक्षण से बहुत ही सकारात्मक नतीजे सामने आये हैं। ये देखा गया है कि किसी पद पर रहकर महिलाओं ने सरकार की और से आये पैसे को सामाजिक सुधार व विकास हेतु लगाया है। इसके अतिरिक्त महिलाओं की संवेदनशीलता के चलते उनसे सभी वर्ग के लोग अपनी समस्या कहने से भी नहीं हिचकिचाते जिससे उनकी समस्या का समाधान भी जल्द हो जाता है और विकास भी साथ साथ हो जाता है।
- जब निर्णय लेने के मामलों में महिलाओं को संसद में शामिल किया जाता है तो शासन में गुणात्मक परिवर्तन होता है। Women Reservation bill इसके लिए काफी फायदेमंद साबित होगा।
Women Reservation के विपक्ष में उठने वाले तथ्य
महिला आरक्षण बिल (Nari Shakti Vandan Adhiniyam 2023 )के पक्ष के साथ साथ उसके विपक्ष में भी कुछ तर्क किये जा रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस कानून को लागू करने के साथ साथ कुछ अन्य महत्वपूर्ण कदम भी उठाये जाने चाहिए। जिससे इस महिला आरक्षण बिल (Women Reservation) का कुछ लाभ भी हो। हालाँकि कुछ लोग का ये भी कहना है कि महिला आरक्षण बिल की आवश्यकता ही क्यों पड़नी चाहिए ? इस बात के लिए वो नीचे दिए गए कुछ तथ्य प्रस्तुत करते हैं।

- आरक्षण यदि कमजोर वर्ग को दिया जाता है तो महिलाओं को इसके लिए आरक्षण (Women Reservation) क्यों जब वो इसके लिए बराबर की हक़दार हैं। ये संविधान के समानता की गारंटी के खिलाफ होगा। और इस आधार पर आरक्षण लागू होने पर महिलाएं अपनी योग्यतानुसार प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगी।
(हालाँकि यहाँ पर बता दें की बिल को संविधान के समानता की गारंटी के खिलाफ नहीं माना जा सकता क्यूंकि संविधान में ही मूल अधिकारों के तहत अनुच्छेद 15 (3) में महिला और बच्चों के पक्ष में विशेष प्रावधान करने को कहा गया है। ) - महिलाओं को संसद या राजनीती में आरक्षण (Women Reservation) देने से क्या महिलाएं सशक्त हो जाएंगी ? सिर्फ इतना करने से कोई महिला सशक्त नहीं हो जाएगी। इसलिए इस आधार पर आरक्षण देना कहाँ तक सही है ?
- अन्य तर्क है कि इससे लैंगिक असमानताएं बनी रहेंगी क्यूंकि इससे ऐसा लग सकता है कि महिलाओं को उनकी योग्यता के आधार पर नहीं आँका जा रहा है।
- महत्वपूर्ण चुनावी सुधारों से ध्यान भटकाती है। यह रणनीति अधिक महत्वपूर्ण चुनावी सुधार मामलों, जैसे राजनीति के अपराधीकरण और आंतरिक-पार्टी लोकतंत्र की स्थिति, से ध्यान हटा देती है।
- यह विधेयक एक प्रकार से मतदाता की पसंद को प्रतिबंधित करता है। यदि महिलाओं के लिए संसदीय सीटें आरक्षित की जाती है तो इससे मतदाता की पसंद को प्रतिबंधित होती है। कुछ विशेषज्ञ पार्टी आरक्षण जैसे विकल्प सुझाते हैं।
- इस कानून (Women Reservation bill) के अंतर्गत प्रत्येक चुनाव में रोटेशन की प्रक्रिया से आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में एक सांसद का अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए काम करने का प्रोत्साहन कम हो सकता है।
- यह विधेयक (Women Reservation) राज्यसभा और महत्वपूर्ण समितियों में महिलाओं की भागीदारी के बारे में कुछ नहीं कहता है।
- कई लोगों का तर्क है कि उच्च सदन के लिए मौजूदा चुनाव प्रक्रिया राज्यसभा में सीटें आरक्षित करने की संभावना को रोकती है।
महिला आरक्षण अच्छा है या बुरा?
पिछले 27 वर्षो से चल रहे महिला आरक्षण (Women Reservation) के इस मुद्दे को आखिरकार संसद की मुहर लग ही गयी। ऐसा माना जा रहा है कि इस विधेयक के जरिये महिलाओं की देश में राजनीतिक स्थिति में सुधार होगा। हालाँकि वहीँ कुछ लोगों की इसके इतर भी अपनी राय है जो कि इस बिल के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन अभी तक सभी सभी तथ्यों को ध्यान में रहकर देखा जाए तो यदि जिस उद्देश्य के साथ इस महिला आरक्षण बिल को पास किया गया है वो सराहनीय है। बाकी समय के साथ साथ इसका उपयोग कैसे होगा ये देखने वाली बात होगी। और इसके प्रयोग के बाद ही हमे इस बिल की उपयोगिता समझ आ सकेगी।
महिला आरक्षण का फायदा तभी मिलेगा जब इसके तहत अन्य कर्मठ चेहरों को लाया जाए। यानी की जो महिलाएं आम जनता के बीच से उठकर आती हों, न कि पहले से किसी राजनीतिक पार्टी से ताल्लुक रखती हों। यदि पहले से ही कोई राजनीतिक पार्टी से या परिवार से ताल्लुक रखने वाली महिलाएं यदि Women Reservation Bill का लाभ उठाती हैं तो इस विधेयक का पूरा लाभ नहीं मिल पाएगा। क्यूंकि ये ताकत सिर्फ कुछ ही सीमित हाथों में रह जाएगी। इसलिए बेहतर होगा यदि पार्टी कुछ नए चेहरों को इसके लिए मौका दें।
राजनीतिक पार्टियों के लिए भी ये किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा। क्यूंकि उन्हें अपने पार्टी के लिए कर्मठ और काबिल महिला सदस्य का चुनाव करना होगा और साथ ही उन्हें राजनीती के क्षेत्र के लिए तैयार करना होगा। जिससे वो बेहतर देश के निर्माण और हित में निर्णय लेने के योग्य बन सकें।
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