Bonsai Tree: घर में भी बनाएं प्राकृतिक वातावरण
Bonsai Tree: पीपल, नारंगी, अमरूद, नाशपती, चैरी, इन सब फलदार पेड़ों को अगर बड़े होटलों, दफ्तरों में छोटे छोटे पात्रों में उगा हुआ देखते हैं तो मन में कौतुहल पैदा होता है। यह सब बोनसाई कला से संभव होता है, जिसमें बड़े वृक्षों, पौधों और झाड़ियों को उथले पात्रों, गमलों में प्राकृतिक रूप से बोने आकार में सजाया जाता है। इस विधि से तैयार बोने वृक्ष अपने रंग, रूप और आकार के कारण सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं और घर में भी प्राकृतिक वातावरण उत्पन्न करते हैं।
पिछले कुछ साल में हमारे देश में इस कला का काफी प्रसार हुआ है और यह शौक धीरे धीरे एक रोजगार का रूप ले रहा है। इस शौक को पैसा कमाने का जरिया बनाने के लिए थोड़ी सी लगन, मेहनत की जरूरत होती है। अच्छे बोनसाई उत्पादन में कई बातों का ध्यान रखना होता है। बोनसाई निर्माण में शैली का खास महत्व होता है। इनमें दो तने वाली बोनसाई, एक तने वाली बोनसाई, ब्रोन बोनसाई, राफ्ट बोनसाई, ओपन रूट बोनसाई जैसी अन्य अनेक शैलियां होती हैं।

बीज वाले पौधे ज्यादा उपयुक्त
वृक्ष का चुनाव करते समय उनके फूलों, पत्तियों, कलियों की सुंदरता, निकलने का समय, फूल आने के समय आदि का ध्यान रखना चाहिए। बोनसाई के लिए सर्वोत्तम वृक्ष चीड़ होता है। इनके लिए बीज वाले पौधे ज्यादा उपयुक्त होते हैं। बोनसाई वृक्षों के लिए हमेश उथले पात्रों या गमलों का चुनाव करना चाहिए। यह वर्गाकार, आयाताकार या फिर षटकोणीय आकार के होते हैं। इन्हें उगाने के लिए उथले पात्रों का चुनाव इसलिए किया जाता है ताकि पौधों की जड़ों के पास मिट्टी कम रहे और उन्हें पोषक तत्व भी कम मात्रा में मिलें। सभी पात्रों में पानी निकलने के लिए पर्याप्त छेद होने चाहिए। छिद्रों की संख्या पात्रों के आकार पर निर्भर करती है। गर्म और आद्र जलवायु के लिए मिट्टी व शुष्क क्षेत्रों में बाहरी सतह में मिट्टी वाले पात्र ही उपयुक्त होते हैं। मिट्टी तैयार करने के लिए पोषक पदार्थों से भरपूर मिट्टी का मिश्रण नहीं होना चाहिए।

कम पोषक तत्वों वाली मिट्टी जरूरी
बोनसाई पौधों के लिए कम पोषक तत्वों वाली मिट्टी होनी चाहिए, जिसमें एक भाग गोबर की पुरानी खाद, एक भाग पत्तियों की पुरानी खाद, एक भाग मोटी बजरी और शेष मिट्टी मिलानी चाहिए और इसमें नीम की खली मिलाकर हल्का और भुरभुरा मिश्रण तैयार करना चाहिए। गमलों में पौधे लगाना गमलों में पौधों को लगाने के लिए नर्सरी से या पहले से तैयार हो रहे पौधों का उपयोग करना चाहिए। नर्सरी में खरीदते समय कम मिट्टी में छोटे गमलों में लंबे समय से लगे पौधे लेने चाहिए।
पौधों की जड़ों से गैर जरूरी मिट्टी और जड़ें हटा लेनी चाहिए। पात्र के छेदों में कंकड़ या जाली लगानी चाहिए। अब तैयार मिट्टी के मिश्रण को पात्र में आधा भरने के बाद पौधे की जड़ों को फैलाकर मिट्टी के मिश्रण को डालकर, दबाकर जड़ों को सजयक दें। इसके बाद इन पात्रों को तीनचार दिन तक छाया वाले स्थान में रखें, फिर ऐसी जगह पर रखें जहां पर तीनचार घंटे तक सुबह की धूप आती हो।
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उपयुक्त समय बरसात का मौसम
बोनसाई के पात्रों को मिट्टी के फर्श पर रखने की बजाय पक्के फर्श पर रखना चाहिए। बोनसाई लगाने का उपयुक्त समय फरवरी, मार्च या फिर बरसात का मौसम होता है। बोनसाई वृक्षों में सिंचाई का खास महत्व होता है। इनकी सिंचाई नियमित, प्रतिदिन करनी चाहिए। पात्र की मिट्टी गीली हो तो सिंचाई नहीं करनी चाहिए। बड़े पात्रों में लगाये गये बोनसाई की अपेक्षा छोटे पात्रों में लगाये गये बोनसाई के वृक्षों को अधिक सिंचाई की जरूरत होती है। गर्मी के मौसम में दिन में दो से तीन बार इनमें पानी देना चाहिए। आजकल बोनसाई आम लोगों के बीच खूब लोकप्रिय हो रहे हैं, पहले यह केवल धनी और विशिष्ट वर्ग के लोगों के घरों की शोभा हुआ करते थे।
लेकिन आज लोग इनका खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। इनकी बढ़ी हुई मांग को देखते हुए कई लोग इसे एक व्यवसाय के तौरपर भी अपना रहे हैं, जितनी ज्यादा बोनसाई पुरानी होती है, उसका महत्व उतना ही ज्यादा होता है। इसकी उम्र 50 से लेकर 150 साल तक हो सकती है। इस व्यवसाय को बहुत ही कम पूंजी में शुरु किया जा सकता है और इसका भरपूर आनंद और लाभ हासिल किया जा सकता है।
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