Singlehood – सिंगल होने के बढ़ते जा रहे हैं फायदे
Singlehood: आज के युवाओं में अकेले रहने की प्रवृत्ति इसलिए भी बढ़ रही है क्योंकि अब कोई ऐसी चीज नहीं है जिसके लिए शादी करना जरूरी हो या दूसरे शब्दों में बिना शादी जीवन संभव न हो। मसलन आज दुनिया के हर कोने में आप से कुछ ही मीटर की दूरी पर सुरक्षित सेक्स मौजूद है। अगर इसके लिए आप किसी दूसरे साथी से संपर्क न भी रखना चाहें तो भी अब अकेले सेक्स लाइफ को एंज्वॉय करने के अनगिनत तकनीकी तरीके भी मौजूद हैं। यही कारण है कि आज युवा अकेले रहते हुए या अकेलेपन से परेशान नहीं हैं।
फ्लर्टिंग करना हो, अपनी हॉबी को कामयाबी की मंजिल बनाना हो, लेखन करना हो तो अकेलापन इनमें से किसी के लिए कोई बाधा नहीं है। सच तो यह कि दिनोंदिन सिंगल होने के फायदे बढ़ते जा रहे हैं। जैसे आप सिंगल हैं तो आपको किसी और की बात सुनने की जरूरत नहीं है। किसी और के मन का कुछ खाने की जरूरत नहीं है। जो मन आये खाइये, जो मन आये पीजिए और जैसे मन हो वैसे रहिए। किसी की सीख आपको इरीटेड नहीं करेगी। कुल मिलाकर कई ऐसी बातें हैं जिनके चलते आज का युवा सिंगलहुड की तरफ तेजी से बढ़ रहा है।

खुद से प्यार करने की चाहत
अकेले रहने का क्रेज इसलिए भी बढ़ा रहा है क्योंकि सेल्फ लव के इस दौर में हर कोई खुद से प्यार करना चाहता है और यह तभी संभव है जब वह अकेला हो। लोग अब प्यार करने के लिए किसी और के भरोसे न रहकर खुद अपने भरोसे रहना ज्यादा पसंद करते हैं। युवाओं का आज एक बड़ा हिस्सा ऐसा है जो अपने आप से प्यार करता है और सोचता है कि किसी के साथ शादी के बंधन में बंधूगा या बंधूगी तो अपने आपको वह प्यार नहीं दे पाऊंगा जो अकेले रहकर देता हूं या दे सकती हूं। पहले भले कभी अकेलापन सजा रहा हो लेकिन आज के इस तकनीकी युग में अकेले रहना किसी भी सुख से वंचित होना नहीं है बल्कि अकेले रहने का मतलब है कि ज्यादा सुखी रहने की गारंटी।
जो युवा इन दिनों किसी भी कीमत पर किसी के साथ बंधन में नहीं बंधना चाहते बल्कि अकेले रहना चाहते हैं वे जानते हैं कि सेल्फ लव से ज्यादा निःस्वार्थ प्रेम की कल्पना और कुछ हो ही नहीं सकती। इसलिए बड़ी तादाद में युवा सेल्फ लव की तरफ आकर्षित हो गया है। सवाल यह है जो युवा बहुत तेजी से अकेले रहने की आदत के शिकार हो रहे हैं, उसके पीछे का मनोविज्ञान क्या है और क्यों भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में सिंगलहुड का क्रेज बढ़ता जा रहा है?
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विकसित देशों में करीब 20 फीसदी युवा अविवाहित
आज दुनिया के विकसित देशों में करीब 20 फीसदी युवा अविवाहित हैं और वे अविवाहित रहते हुए न तो परेशान हैं और न ही दुखी। भारत में भी करीब 7 फीसदी युवक और करीब 4 फीसदी युवतियां अकेले रह रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि खुशी-खुशी अविवाहित रहने के लिए राजी हो रहे। इन युवाओं की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है, चाहे लड़के हों या लड़कियां। मनोवैज्ञानिकों के लंबे समय तक निकाले गए गहन निष्कर्ष की मानें तो आज नई पीढ़ी में युवाओं का एक हिस्सा ऐसा है जो अकेले रहने या अकेलेपन को कोई सजा नहीं मानता, उल्टे इसे उन्होंने अपनी खुशियों और कामयाबियों का ओपन सीक्रेट बना लिया है। इस बात से यह सवाल उठता है कि तब तो अकेले रहना वाकई कोई सजा नहीं है..और सचमुच ऐसा ही है? आज के युवाओं का एक बड़ा हिस्सा अकेले इसलिए भी है क्योंकि वह अकेले रहने में ज्यादा खुश है और ज्यादा सफल है।

भारत में 23.44 फीसदी बुजुर्ग अकेले रहते थे
भारत में बड़ी तादाद में बुजुर्ग दंपति भी अपनी इच्छा से तो नहीं लेकिन मजबूरन अकेले रहते हैं। साल 2018 में किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक भारत में 23.44 फीसदी बुजुर्ग अकेले रहते थे। यह आंकड़ा 20 राज्यों के 10 हजार बुजुर्गों के बीच गहन सर्वेक्षण के बाद तैयार किया गया था। यह आंकड़ा तैयार करने के दौरान पाया गया था कि 48।88 बुजुर्ग अपने जीवनसाथी के साथ रहते हैं और 26।5 फीसदी बुजुर्ग अपने बच्चों के परिवार व संयुक्त परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ रहते हैं। 2023 के एक अन्य सर्वेक्षण के मुताबिक 5.7 फीसदी भारत के वरिष्ठ नागरिक न तो परिवार, न तो रिश्तेदार और न ही दोस्तों के साथ बल्कि निपट अकेले रहते हैं।
यह उनकी मजबूरी है कि उनके साथ या तो कोई रहने को तैयार नहीं है या तो उनका कोई ऐसा है ही नहीं जिसके साथ वे रहें। माना जा रहा है कि वर्ष 2030 तक भारत में ऐसे वरिष्ठ नागरिकों की आबादी बढ़कर 19.2 करोड़ हो जाएगी और इनमें से हर 5वां बुजुर्ग पूरी तरह से अकेला रह रहा होगा। इसका कई कोणों से जवाब है, ‘हां’। विशेषकर बुजुर्गों के संबंध में क्योंकि एक उम्र के बाद हर इंसान असक्त हो जाता है। वह अपने हर काम खुद से नहीं कर पाता। ये अकेलापन तो मजबूरी का है।

भारत की 5.1 फीसदी आबादी ने नहीं की शादी
दुनियाभर के मनोवैज्ञानिक बेशक अकेले रहने को सामाजिक अलगाव और मानसिक व शारीरिक बीमारियों के उच्च जोखिम से जुड़ा हुआ बताने की कोशिश करें लेकिन हकीकत यह है कि पूरी दुनिया में अकेलेपन का क्रेज बढ़ रहा है। अमेरिका में वर्ष 1940 में जहां सिर्फ 7.7 फीसदी घर एक व्यक्ति वाले थे वहीं वर्ष 2020 में अमेरिका में 30 फीसदी घर ऐसे हो गए जहां सिर्फ एक व्यक्ति रह रहा था। वैसे अमेरिका में 14 फीसदी वयस्क शादी नहीं करते। वे अकेले रहते हैं।
अकेले रहने और अकेलेपन के मामले में अगर भारत जैसे देश के आंकड़ों को गौर से देखें तो चौंक पड़ेंगे क्योंकि भारत दुनिया का वह सबसे बड़ा देश है जो संयुक्त परिवार की सांस्कृतिक वकालत करता है लेकिन भारत में जिस तेजी से सिंगलहुड या अकेलेपन की प्रवृत्ति बढ़ रही है, इसका अंदाज हाल के कुछ शोध सर्वेक्षणों से लगता है। वर्ष 2020 में भारत की करीब 5.1 फीसदी आबादी ऐसी हो चुकी थी जिसने शादी नहीं की थी। अगर सिर्फ पुरुषों की बात करें तो वर्ष 2011 में 17.2 फीसदी 15 से 29 साल के उम्र के पुरुष अविवाहित थे। वर्ष 2019 में यह संख्या बढ़कर 23 फीसदी हो गई थी। हालांकि इससे पता नहीं चलता कि ये बाद की उम्र में भी सिंगल रहे या नहीं।
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गैर शादीशुदा महिलाओं की संख्या भी बढ़ रही
फिलहाल भारत में गैर शादीशुदा महिलाओं की संख्या जरूर हैरान करती है। 2001 में 5 करोड़ 12 लाख महिलाएं ऐसी थीं जिन्होंने शादी नहीं की थी या शादी करने के बाद शादी से अलग होकर अकेले रहती थीं। वर्ष 2011 में इनकी संख्या बढ़कर 7 करोड़ 10 लाख हो गई और इस समय कितनी है, इसका कोई अधिकृत आंकड़ा तो नहीं है लेकिन अनुमान है कि इस समय भारत में कम से कम 8 करोड़ महिलाएं तो अकेले ही रहती हैं। इनमें 90 फीसदी ऐसी हैं जिन्होंने कभी या तो शादी की नहीं या शादी हुई ही नहीं जबकि 10 फीसदी ऐसी हैं जिनकी शादी होने के बाद किसी वजह से शादी टूट गई।
भारत में अकेले रहने वाले पुरुषों के बारे में जानें तो इनकी आबादी करीब 11 करोड़ है। इनमें से करीब 9 करोड़ पुरुषों ने शादी की ही नहीं। शेष 2 करोड़ ऐसे हैं जिनकी शादी होने के बाद चली नहीं या किसी वजह से टूट गई। 2019 में जिन प्रदेशों में सबसे ज्यादा अविवाहित युवा अकेले रह रहे थे उनमें पहला नंबर जम्मू-कश्मीर का था। दूसरा उत्तर प्रदेश, तीसरा दिल्ली और चौथा पंजाब का था। भारत में सिर्फ वही लोग अकेले नहीं रहते जिन्होंने कभी शादी नहीं की या साथी के न रहने के बाद अकेले रह गए हों।
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