मकर संक्रांति पर बन रहे हैं अद्भुत संयोग रवि योग में पूजा से होगी अक्षय फल की प्राप्ति
सूर्योपासना का ऋतु पर्व मकर संक्रांति 15 जनवरी को है, इस दिन गंगा स्नान कर पूजा, जप, तप और दान-पुण्य किया जाता है, गंगा स्नान कर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं, ज्योतिषियों की मानें मकर संक्रांति पर रवि योग समेत कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में गंगा स्नान कर पूजा, जप-तप करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है, साथ ही पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शुभ मुहूर्त
मकर संक्रांति पुण्य काल सुबह 7.15 से लेकर शाम 5.46 बजे तक है। वहीं, महापुण्य काल सुबह 7.15 से 9 बजे तक है। इस दौरान पूजा, जप- तप और दान-पुण्य के लिए बेहतर समय है। इस साल मकर संक्रांति पर वरीयान योग बन रहा है, जो देर रात 11.11 बजे है, इसके साथ ही रवि योग का भी निर्माण हो रहा है, रवि योग सुबह 7.15 से 8.07 बजे तक है, इस योग में पूजा-पाठ और दान-पुण्य करने से आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है.
भगवान शिव का करें रुद्राभिषेक
इस दिन खरमास समाप्त हो जाएगा। मकर संक्रांति के पावन पर्व पर शरीर पर गुड़ और तिल लगाकर गंगा आदि पवित्र नदी में स्नान करना लाभदायी होता है, इसके बाद दान संक्रांति में गुड़, तेल, कंबल, फल, छाता आदि दान करने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति के दिन देवों के देव महादेव, जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के साथ रहेंगे, इस दौरान साधक भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर सकते हैं, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां गौरी के साथ भगवान शिव के रहने के समय रुद्राभिषेक करने से साधक के घर में सुख और समृद्धि आती है।
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दान करने से दुर्भाग्य मिटेगा
मकर संक्रांति पर काले तिल, सफेद तिल, गुड़, सुहाग सामग्री का दान करने से दुर्भाग्य मिट जाता है। गरीबी दूर होती है। मकर संक्रांति पर विशेषकर चावल, दाल, सब्जियों, गुड़, घी से बनी खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। मान्यता है इसके सेवन और दान से नवग्रह प्रसन्न रहते हैं, इसके अलावा पितरों को प्रसन्न करने के लिए मकर संक्रांति पर तर्पण करने का विधान है, इससे घर में खुशहाली आती है, वंश बढ़ता है।,
इंद्रदेव-सूर्य का आभार प्रकट करें
मकर संक्रांति का त्योहार नई फसल के आगमन की खुशी के रूप में मनाया जाता है, ऐसे में इस दिन खेती से जुड़े समस्त उपकरण, मवेशियों की पूजा करनी चाहिए, इंद्रदेव-सूर्य का आभार प्रकट करना चाहिए। इससे सालभर धन-अन्न की कमी नहीं होती, मकर संक्रांति से नए कार्य की शुरुआत करना शुभफलदायी होती है। मान्यता है इससे भाग्य सूर्य की तरह चमकता है, नए निवेश, नया व्यापार, नई नौकरी शुरू करने से समृद्धि आती है।
सूर्य-शनि के मिलन का दिन
मकर संक्रांति सूर्य-शनि के मिलन का दिन होता है, ये दोनों ग्रह कुंडली में खास माने जाते हैं, इस दिन सूर्य की पूजा से करियर में लाभ मिलता है वहीं शनि उपासना से कष्टों का नाश होता है।
14 कौड़ियों की पूजा करें, 14 बार मंत्र जाप करें
मकर संक्रांति के दिन स्नान के बाद 14 कौड़ियों को गंगाजल से स्नान कराकर पूजा करें। ‘ॐ संक्रात्याय नमः’ मंत्र से 14 बार जाप करें। पूजा में घी का दीपक तुलसी के पास रखें और तिल के तेल का दीपक मुख्य द्वार पर रखें, इससे लक्ष्मी आकार्षित होती है।
भगवान श्रीराम ने शुरु की थी पतंग उड़ाने की परंपरा
तमिल की तन्नाना रामायण के अनुसार, पतंग उड़ाने की परंपरा भगवान श्रीराम ने शुरु की थी, मकर संक्रांति के दिन भगवान श्रीराम ने जो पतंग उड़ाई थी, वो इंद्रलोक तक पहुंच गई थी, यही वजह है कि इस दिन पतंग उड़ाई जाती है। पतंग उड़ाने के पीछे उद्देश्य सूर्य के प्रकाश में समय बिताना है, वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो मकर संक्रांति पर सूर्य की किरणें अमृत समान होती है, तिल को दारिद्रय नाशक कहा गया है, मकर संक्रांति पर ठंड रहती है, ऐसे में तिल-गुड़ का सेवन करने से शरीर में स्फूर्ति आती है, व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है.
ये कार्य अवश्य करें, जिंदगी में लाभ होगा
– मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर गाय को हरा चारा खिलाएं, मान्यता है इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है.
– मकर संक्रांति पर गाय के घी में सफेद तिल मिलाकर लक्ष्मी या श्रीसूक्त का हवन करने से घर में लक्ष्मी जी ठहर जाती हैं।
– मकर संक्रांति के लिए झाड़ू खरीदने से धन लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं।
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